बुराई पर अच्छाई की जीत या भ्रश्टाचार के खिलाफ नायक की लड़ाई। हमारी फिल्मों के लिये हमेशा से ये पंसदीदा विशय रहा है। इसी सब्जेक्ट को लेखक निर्देशक मिलाप मिलन जावेरी जबरदस्त एक्शन और जौरदार संवादों की चमकदार परत चढाकर फिल्म ‘ सत्यमेव जयते’ जैसी आकर्षक विशुद्ध मसाला फिल्म बना कर दर्शकों की वाह वाही लूटने में पूरी तरह सफल हैं।
फिल्म की कहानी
जॉन अब्राहम द्धारा एक पुलिसवाले को जिन्दा जलाने से कहानी शुरू होती है। पता चलता है कि वो किसी कारणवश भ्रष्ट पुलिस वालों के खिलाफ एक अभियान छेड़े हुये है जिसमें वो भ्रष्ट पुलिस वालों को सजा के तौर पर जिन्दा जला देता है। उसे पकड़ने के लिये पुलिस कमिश्नर मनीश चौधरी एक ईमानदार डीसीपी मनोज बाजपेयी को नियुक्त करता है। इसके बाद मनोज और जॉन के बीच आखिर तक चूहे बिल्ली को खेल चलता रहता है। अंत में जॉन द्धारा ये सब करने की वजह सामने आती है। इसी के साथ कहानी का अंत होता है।
मिलाप मिलन जवेरी राइटर के तौर पर कई फिल्में लिख चुके हैं। लेकिन कुछ अरसे से वो लोफेस चल रहे थे। लेकिन इस बार उनकी एक शुद्ध कमर्शल कहानी पर जॉन अब्राहम और मनोज बाजपेयी ने विश्वास किया। दो बेहतरीन एक्टर, एक अदद नई खूबसूरत नायिका। इनको लेकर कितनी बार एक्सपोज हो चुकी कहानी पर बेहतरीन पटकथा, तालियां बजाने पर मजबूर करते डायलॉग्ज तथा शानदार एक्शन यानि फिल्म में वे सभी फामॅूले फिट किये जो किसी फिल्म को हिट करवाते हैं। म्यूजिक की बात की जाये तो नूरा पर फिल्माया गया आइटम सॉन्ग दिलबर दिलबर बढ़िया बन गया।
जॉन अब्राहम अपना वेट कुछ कम कर चुके हैं लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी वे एक्शन दृश्यों में कमाल लगे हैं। उनका टायर फाड़ना और दरवाजा उखाड़ना स्वाभाविक लगता है। भृष्टाचारी पुलिस वालों के खिलाफ उनकी लड़ाई काल्पनिक होते हुये भी उन पर स्वाभाविक लगती है। मनोज बाजपेयी ने अपनी भूमिका को एक कुशल अदाकार की तरह बेहतरीन ढंग से जिया है। नई अभिनेत्री इशिता शर्मा ने पहली फिल्म में पूरे आति विश्वास के साथ काम किया है। सहयोगी भूमिकाओं में मनीश चौधरी, गणेश यादव आदि कलाकार अच्छा काम कर गये।
अंत में फिल्म को लेकर कहा जा सकता है कि जॉन के जबरदस्त एक्शन और मनोज बाजपेयी की अदाकारी के प्रशसंको की फिल्म में पंसदीदा सभी चीजें हैं।