Jubliee Movie Review: भारत में सिनेमा का क्रेज काफी लम्बे समय से रहा है. लेकिन युवाओं के बीच ओटीटी काफी फेमस हो रहा है.वह ज्यादा समय ओटीटी(OTT) पर बीता रहे हैं. आपको बता दे कि यह बदलाव लॉकडाउन में लोगो के बीच ज्यादा देखने को मिला है.विक्रमादित्य मोटवानी(vikramaditya motwani) डायरेक्टर,स्क्रीन राईटर प्रोडूसर हैं. ओटीटी(OTT) पर उनकी नई सीरीज रिलीज़ हुई है. उनके निर्देशन में 'जुबली' सीरीज को रिलीज़ किया गया है. यह एक पुराने समय पर आधारित सीरीज़ है. इसमें सिर्फ 10 एपिसोड अभी तक फिल्माए गए हैं.
दमदार एक्टिंग के साथ है दमदार डायलॉग
विक्रमादित्य मोटवानी बॉलीवुड(Bollywood) में अपनी लिखने की शैली को लेकर हमेशा ही चर्चे में रहते हैं. इस सीरीज में भी उन्होंने वही कमाल करके दिखाया है. अगर डायलॉग की बात करें तो इस सीरीज में काफी आकर्षक डायलॉग बोले गए हैं. शायद यह कमाल सिर्फ डायलॉग का ही नहीं सीरीज में काम करने वाले सभी अभिनेताओं का भी है. अपनी दमदार एक्टिंग से यह सभी लोगो के दिलों पर राज कर रही है. सीरीज में भले ही कई कमियाँ है लेकिन अगर उनको दरकिनार किया जाए तो आप किरदारों की एक्टिंग और सीरीज से बिल्कुल निराश नहीं होंगे. एक नई कहानी के साथ मोटवानी ने काफी अच्छी तरह से कहानी को समेटा है.अगर किरदार की बात करें तो श्रीकांत रॉय(प्रोसेनजीत चटर्जी), जमशेद खा(नन्दीश सिंह संधू), बिनोद दास( अपारशक्ति खुराना) रत्ना दास(श्वेता प्रसाद) जय खन्ना(सिद्धांत गुप्ता) ने किरदार को निभाया है.
आइये आपको बताते हैं कुछ कहानी के बारे में
इसमें 1940 के दशक की कहानी हैं. उस समय सिनेमा में बॉम्बे टाल्कीस(bombay talkies) के जमाने के बारे में बताया गया है. इस कहानी में बॉम्बे टाल्कीस के मालिक श्री कान्त रॉय बने हैं. जो अपनी मूवी के लिए एक एक्टर की तलाश में है .कहानी में वह एक बेहतरीन डायरेक्टर हैं.जो किसी भी एक्टर की एक्टिंग को एक ही नजर में पहचान सकते हैं. कहानी में श्रीकांत की सुमित्रा हैं. जो एक सुपरस्टार हैं.
यह कहानी आजादी के समय के पहले की है. उस समय भारत और पाकिस्तान का बटवारा नहीं था. लेकिन कहानी में बटवारे के समय को फिल्माया गया है. जिस समय सिनेमा का बोलबाला था. कहानी में एक तवायफ के बारे में बताया गया है जिसका किरदार निलोफर कुरैशी ने निभाया है. एक और किरदार शरणार्थी लड़का है जिसका किरदार जय खन्ना(jay khanna) ने निभाया है. कहानी में उसे एक्टर बनने की चाह होती है और कहानी के एक मोड़ पर आकर श्रीकांत और जय की मुलाक़ात होती है. सीरीज में एक जगह आकर वह जीवन के मोड़ पर आकर फंस जाता है. जिसके बाद पूरी कहानी उसके आस पास घूमती है.
सुनिधि और अमित त्रिवेदी की अवाज़ ने फिर चलाया जादू
इस सीरिज के गानों के बारे में अगर बात करे तो इस सीरीज में कई गाने नहीं जी नहीं(नहीं जी नहीं), इतनी सी है दास्तां(itni si hai daastan) अमित त्रिवेदी और सुनिधि,दिल जहां पर ले चला(dil jahan par le chala) अमित त्रिवेदी ,बाबूजी भोले भाले (babuji bhole bhaale) सुनिधि चौहान और अमित त्रिवेदी ने इस गानों को आवाज़ दिया है.