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रेटिंग****
इसमें कोई दो राय नहीं कि रोहित शेट्टी एक कंपलीट कलरफुल मनोरजंन फिल्म बनाने में महारत हासिल कर चुके हैं। उनकी इसी तरह की फिल्मों की श्रंखला की अगली फिल्म ‘ सिंबा’ अपने अलग क्लेवर, फ्रैश कास्टिंग तथा मनोरजंन के सारे मसालों के साथ एक बेहतरीन फिल्म साबित होती है।
फिल्म शिवगढ़ से शुरू होती है जहां से सिंघम शुरू हुई थी। शिवगढ़ का एक अनाथ बच्चा संगाम भालेराव यानि रणवीर सिंह सिंघम का फैन है जो बड़ा होकर उसकी की तरह बनना चाहता है बस फर्क इतना है कि वो पुलिस ऑफिसर बन कर जायज नाजायज तरीके से खूब सारा पैसा कमाना चाहता है। संग्राम यानि सिंबा रात को पढ़ाई कर अपने मकसद में कामयाब होकर दिखाता है यानि वो शिवगढ थाने का इंसपेक्टर बन अपनी शुरूआत करता ही है कि ऊपर से उसका तबादला गोवा के ऐसे इलाके में कर दिया जाता है जंहा उसकी नाजायज कमाई के दुगने चांस हैं। वहां उसे कैटरिंग का काम करने वाली उसी की तरह अनाथ लड़की शगुन यानि सारा अली खान मिलती है, जो उसे प्यार करने लगती है। इसके अलावा उसे एक ईमानदार हेड कांस्टेबल मोहिते यानि आशुतोष राणा तथा सब इंस्पेक्टर तावड़े यानि सिद्धार्थ जाधव जैसा साथी मिलता है और धुर्वा रानाडे यानि सोनू सूद भी है जो एक ऐसा पावरफुल शख्स जो हर तरह के गलत धंधे करता है, जो औरों की तरह सिंबा जैसे भ्रष्ट ऑफिसर का पैसो से मुंह बंद कर देता है। गोवा में अनाथ सिंबा को प्रेमिका के अलावा आकृती नामक एक सोशल लड़की बहन के रूप में मिलती है तो मोहिते की बेटी बहन और बीवी मां के रूप में मिलती है। सभी कुछ सही चल रहा है कि अचानक सिंबा को पता चलता है कि रानाडे के दो भाईयों ने न सिर्फ आकृति का बुरी तरह से बलात्कार किया बल्कि उसकी हत्या भी कर दी। इसके बाद सिंबा के भीतर का जांबाज ऑफिसर और एक भाई जागता है जो बलात्कारियों को उनके अंजाम तक पुहंचाने के अलावा रानाडे को भी जेल तक पहुंचाता है। यहां उसकी मदद उसके साथियों के अलावा सिंघम भी करता है।
रोहित शेट्टी की फिल्म यानि कॉमेडी, एक्शन, म्यूजिक और नयनाभिराम लोकेशन। यहां भी ये सारी चीजें भरपूर मात्रा में मौजूद हैं जो पहले भाग में कॉमेडी मजाक मस्ती तथा म्यूजिक का डोज देती हैं इसके बाद लाजवाब एक्शन। बेशक फिल्म की कहानी पुरानी है लेकिन उसे इस तरह से पेश किया गया है कि वो अंत तक दर्शक की आंखों को चुधिंयाये रखती है। कसी हुई पटकथा, चटकारेदार संवाद और धमाल म्यूजिक जिसमें आंख मारे,तेरे बिन तथा आला रे आला जैसे फुल धिरकने वाले गाने है। जो फिल्म को एक कंपलीट मनोरंजक फिल्म बनाते हैं। फिल्म का क्लाईमेक्स फिल्म की तरह ही शानदार है।
रणवीर सिंह की शादी के बाद ये पहली फिल्म है दूसरे वो बाजीराव मस्तानी और पद्मावत जैसी विशाल फिल्मों के बाद एक बार फिर अलमस्त हीरो के तौर पर अपनी भूमिका में पूरे नंबरो से पास है। उसने सिंबा को मराठी एक्सेंट वाले ऐसे फनी बंदे के अंदाज में निभाया है जिसमें उसकी चाल ढाल, लुक, संवाद अदाईगी तथा जबरदस्त एक्शन दर्शक के सिर चढ़कर बोलता है। सारा अली खान की सही तौर पर केदारनाथ नहीं बल्कि ये डेब्यू फिल्म कहलाई होती तो उसके लिये ज्यादा अच्छा होता, क्योंकि यहां वो हर तरह से एक नायिका के तौर पर फिट है। रणबीर के साथ उसके कमेस्ट्री बेहतरीन रही। सबसे बड़ी बात कि ये फिल्म उसे पूरी तरह हिन्दी फिल्मों में स्थापित करती है। जहां आशुतोष राणा ईमानदार कांस्टेबल के तौर पर प्रभावित करते हैं,वहीं सिद्धार्थ जाधव दर्शक का मनोरंजन करने में सफल है। फिल्म में सोनू सूद एक विशाल प्रभावशाली विलन के तौर पर उभर कर सामने आते हैं। बतौर गेस्ट सिंघम के तौर पर अजय देवगन अपनी एन्ट्री पर खूब तालीयां बटोरते हैं। अक्षय कुमार लास्ट में आकर इसी श्रंखला की अपनी फिल्म सूर्यवंशी एनांउस कर जाते हैं। एक गाने में गोलमाल की टीम तुषार कपूर, कुणाल खेमू, अरशद वारसी आदि भी नजर आते हैं।
अगर फिल्म के देखने की बात की जाये तो रोहित शेट्टी के दर्शकों को फिल्म में पहले से कहीं ज्यादा मनोरंजन का डोज मिलने वाला है।