सोशल इशूज पर इससे पहले निर्देशक शरत कटारिया ‘टॉयलेट- एक प्रेम कहानी ’ जैसी बेहतरीन फिल्म बना चुके है । अब एक बार फिर वे ऐसे ही इशू पर फिल्म ‘ सुई धागा- मेड इंन इंडिया’ जैसी बेहतरीन फिल्म लेकर आये हैं।
फिल्म की कहानी
मौजी यानि वरूण धवन वास्तव में एक ऐसा मनमौजी नौजवान है जिसे अपने मान सम्मान तक का आभास नहीं है लिहाजा जहां वो काम करता है, वहां उसके मालिक का बेटा उसे कभी कुत्ता तो कभी बंदर बनाता रहता है। एक दिन जब उसकी पत्नि ममता यानि अनुष्का शर्मा उसे ढेर सारे लोगों के बीच ये करतब करते देखती है तो बाद में वो उसे अपने मान सम्मान का पाठ पढ़ाती है। ममता को एहसास है कि मौजी वास्तव में अपने खानदानी काम (दर्जी) में माहिर हैं लिहाजा वो उसे नौकरी छोड़ अपना खुद का काम करने के लिये कहती है। लेकिन वहां ममता के अलावा उसका उसके मां बाप समेत कोई साथ नहीं देता, बल्कि रिश्तेदार तो उसके साथ धोखा करने तक से बाज नहीं आते। बाद में किस प्रकार ममता मौजी की काबलियत के तहत उसे तरक्की के रास्ते दिखाती है और एक दिन वो मौजी और खुद के द्धारा देखे सपने सच करके दिखाती है।
फिल्म एक सामान्य आदमी की समस्यायों भरी दिनचर्याओं को बहुत रीयलस्टिक तरीके से दिखाती है। मौजी जैसा सीधा आदमी मंजिल को पाने के लिये अपने मां बाप की बेरूखी तथा अपने सगे संबधियों से धोखे का शिकार होने के बाद भी यही कहता है ‘ सब बढ़िया है’ । चाहे मौजी की निजी समस्यायें हो, मां की बीमारी या पैसे की तंगी या फिर हमेशा बाप की फटकार। फिल्म में सभी कुछ मनोरजंक तरीके दिखाया गया है। मौजी की बीवी ममता जब से शादी कर घर आयी, एक बार भी उसे पति के पास बैठने तक का मौका नहीं मिला। फिल्म एक सामान्य आदमी की जिन्दगी के संघर्ष की कहानी है। फिल्म की हाईलाइट ये है कि बिना रोमांस के भी किरदारों के बीच प्यार दिखाई देता है। संगीत भी कहानी का एक मजबूत हिस्सा है। लोकशन, किरदारों के लुक और माहौल उसे और रीयल बनाते हैं।
वरूण धवन नई पीढ़ी का एक ऐसा अभिनेता है जो जितनी कुशलता से जुड़आ टू या मैं तेरा हीरो जैसी शुद्ध कमर्शल फिल्में करता है उतनी शिद्दत से बदलापुर, अक्टूबर और सुई धागा जैसी रियलस्टिक फिल्में भी करता है। मौजी के किरदार को उसने पूरी तरह से जी कर दिखाया है। इसी प्रकार अनुष्का शर्मा ममता जैसे लोअर मिडिल क्लास कॅरेक्टर को जिस सहजता से कर जाती है वो उसकी अभिनय क्षमता को बेखूबी दर्शाता है। रघुबीर यादव को एक अरसे बाद उनके कद जितना बड़ा किरदार मिला है, जिसे उन्होंने एक कुशल अभिनेता की तरह निभाया है तथा यामिनी दास ने मौजी की मदर की मां की भूमिका को प्रभावी ढंग से जीया है। बाकी सिद्धार्थ भारद्वाज, आशीष वर्मा,नमित दास, भूपेश सिंह तथा पूजा सरूप आदि सहयोगी कलाकारों का अच्छा सहयोग रहा।