मूवी रिव्यू: एक आम आदमी के चमत्कारी सफर का दस्तावेज 'सुपर 30' By Mayapuri Desk 11 Jul 2019 | एडिट 11 Jul 2019 22:00 IST in रिव्यूज New Update Follow Us शेयर रेटिंग**** जब से बॉलीवुड में बायोपिक फिल्मों का दौर शुरू हुआ, उसके बाद दर्षक को समाज से उठाये गये ऐसे ऐसे उठाये गये पात्र फिल्मों में दिखाई दिये, जिनके चमत्कारी कारनामे देख वो स्वंय चमत्कृत रह गया । इसी श्रंखला की अगली कड़ी का नाम है‘ सुपर 30’ जिसे विकास बहल ने निर्देशित किया है । इस फिल्म में रितिक रौशन एक पटना के विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ आनंद कुमार की भूमिका में एक नये अवतार में एक बार फिर अपनी अदाकारी का जहूरा दिखा जाते हैं । कहानी आनंद कुमार(रितिक रौशन) पटना के ऐसे गणितज्ञ हैं, जो अभावग्रस्त लेकिन कुशाग्र स्टूडेंट्स को फ्रि कोचिंग देकर आई आई टी में दाखिले का रास्ता बनाते हैं । शिक्षा मंत्री श्रीराम सिंह (पंकज त्रिपाठी) जब उन्हें रामानुज पुरस्कार देकर सम्मानित कर रहे होते है, उस वक्त भी आंनद गणित में ही खोये रहते हैं । एक वक्त आनंद कुमार को अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर लंदन की कैब्रिज युनिवर्सिटी में दाखिला मिल जाता है, लेकिन उनके पोस्टमैन पिता वीरेन्द्र सक्सेना जब उनके जाने का प्रबंध नही कर पाते तो सदमे में चल बसते हैं । बाद में आंनद अपने भाई के और मां के साथ पापड़ बनाने और बेचने का काम करने लगते हैं । उन्हीं दिनों उनकी प्रेमिका भी उन्हें छोड़ कर चली जाती है । उसी दौरान उन पर कोचिंग क्लासिस चलाने वाले लल्लन जी (आदित्य श्रीवास्तव) की नजर पड़ती है तो वो उन्हें मैथ के स्टार टीचर के तौर पर दुनियां के सामने लाते हैं। इसके बाद आंनद कुमार के दिन बदल जाते हैं। लेकिन एक दिन उन्हें एहसास होता है कि वो क्या कर रहे हैं, राजा के बेटों को राजा बनाने का ही काम कर रहे हैं । इसके बाद वे नोकरी छोड़ अभावग्रस्त 30 बच्चों को तलाश कर उन्हें कोचिंग दे आई आई टी तक पहुंचाकर ही दम लेते हैं लेकिन इस बीच उन्हें न जाने कितनी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है । ये सब आपको फिल्म देखते हुये पता चलेगा। अवलोकन विकास बहल की पहली फिल्म क्वीन सुपर हिट साबित हुई थी लेकिन दूसरी फिल्म शानदार पहले शो में ही लुढ़क गई थी। इस बार उन्होंने बायोपिक में हाथ आजमाये ,जिसमें में वे पूरी तरह सफल साबित हुये । पटना के रहने वाले गणितज्ञ आंनद कुमार पर बनी इस फिल्म का पहला भाग काफी चुस्त दुरूस्त है लेकिन दूसरा भाग थोड़ा लंबा खींचा गया । हालांकि उस वक्त तक दर्शक फिल्म से पूरी तरह जुड़ जाता है। निजी तौर पर आंनद कुमार काफी विवादित रहे हैं लेकिन उनके साथ जुड़े विवादों को फिल्म से दूर रख गया । आनंद कुमार के संघर्ष, उनके परिवारिक रिश्तों को निर्देशक ने इस कदर प्रभावशाली तरीके से पर्दे पर उतारा कि दर्शक कितनी ही जगह दृवित हो उठता है। फिल्म में कुछ संवाद जैसे राजा का बेटा अब राजा नहीं बनेगा या आपत्ति से अविष्कार का जन्म होता है आदि दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर करते हैं । फिल्म की कथा, पटकथा तथा संवाद फिल्म को और ऊपर ले जाते हैं । फिल्म का क्लाईमेक्स देख थोड़ी कसमसाहट जरूर होती है, क्योंकि वो और ज्यादा बेहतर हो सकता था । एक महत्वपूर्ण खबर कि रीयल आंनद कुमार इन दिनों ब्रेन ट्यूमर से लड़ रहे है, वे अपने जीते जी अपनी यात्रा पर बनी इस फिल्म को लेकर खासे खुश हैं । अभिनय एक अरसे बाद रितिक पर्दे पर एक ऐसे रोल में दिखाई दिये जिसमें वे शुरूआत के दस मिनिट रितिक रौशन रहते हैं, उसके बाद तो जैसे वे आनंद कुमार में पूरी तरह विलीन हो कर रह जाते हैं । भूमिका के तहत अपने द्धारा बोला गया एक एक संवाद, अदायगी यहां तक रोल की बॉडी लैंग्वेज तक में रितिक ने अपने आपको पूरी तरह झौंक दिया और वे एक जबरदस्त अभिनेता के तौर पर उभर कर सामने आते हैं । आनंद की प्रेमिका के तौर पर मृणाल ठाकुर, आंनद के भाई की भूमिका में नंदीश सिंह, मंत्री बने पकंज त्रिपाठी, पिता वीरेन्द्र सक्सेना तथा मां की भूमिका में साधना सिंह, पत्रकार अमित साद तथा कोचिंग सेन्टर मालिक के तौर पर आदित्य श्रीवास्तव फिल्म के बेहद उपयोगी पात्र साबित हुये हैं । क्यों देखें आम आदमी के चमत्कारी कारनामों से भरी इस ओजस्वी फिल्म को कतई मिस न करें । #bollywood news #pankaj tripathi #bollywood #Mrunal Thakur #Bollywood updates #Hrithik Roshan #movie review #television #Telly News #Super 30 #Nandish Singh #Aditya Shrivastava #vijay varma #Sadhna Singh #Virendra Saxena हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article