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कभी कभी आप किसी फिल्म में तकरीबन सारे मसाले मिलाये हुये देखते हैं लिहाजा वो फिल्म न रहकर चूं चूं का मुरब्बा बन कर रह जाती है। निर्देशक विनोद तिवारी की फिल्म ‘तेरी भाभी है पगले’ पर ये जुमला सटीक बैठता है। फिल्म का टाइटल इसे एक हसौड़ फिल्म दर्शाता है, जबकि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है।
फिल्म की कहानी
रजनीश दुग्गल टीवी सीरियल में एडी है लेकिन उसका सपना फिल्म उायरेक्टर बनना है। एक दिन सीरियल के अकड़ू हीरो की बदतमीजी पर वो उसे तमाचा रसीद कर देता है। बाद में उसे एक प्रोड्यूसर एक्टर कृष्णा अभिषेक अपनी फिल्म डायरेक्ट करने का मौका देता हैं। इत्तेफाकन टीवी अभिनेत्री और रजनीश की गर्लफेंड नाजिया हसन उसके ऑफिस पहुंच जाती है। उसे देखते ही कृष्णा उसे अपनी फिल्म की हीरोइन बना देता है जबकि रजनीश ऐसा बिलकुल नहीं चाहता।
खैर फिल्म की शूटिंग शुरू होती है गोवा में। वहां पूरी यूनिट पुलिस के चक्कर में फंस जाती है। तब उन्हें पुलिस के चक्कर से मुबंई का डॉन मुकुल देव गोवा आकर छुड़ाता है। वहां कृष्णा के साथ साथ वो भी हीरोइन पर लाइन मारने लग जाता है। इन सारे पंगों के बीच फिल्म खत्म होती है तो रिलीज से पहले उसकी पायरेसी हो जाती है लिहाजा कृष्णा एक बार फिर गहरे चक्कर में फंस जाता है।
फिल्म की कहानी ऐसे चलती है कि लगता है कि कृष्णा, सुनील पाल और ख्याली उसे कॉमेडी फिल्म साबित करना चाहते हैं जबकि डायरेक्टर उस में एक के बाद एक सीरीयस चीजें डालता रहता है। वैसे भी फिल्म अंत तक टाइटल रजिस्टर्ड तक कर पाती। जब लगता है कि फिल्म खत्म होने जा रही है तो अचानक उसमें पायरेसी का सवाल खड़ा कर दिया जाता है और फिर अगले दस पंदरह मिनिट तक पायरेसी के नुकसान बताये जाते हैं। उसके बाद कहीं जाकर दर्शक फिल्म से अपना पीछा छुड़वा पाता है।
अभिनय की बात की जाये तो फिल्म कुछ ऐसी है कि वहा हर कोइ कन्फ्यूज है लिहाजा किसी को भी एक्टिंग करने का मौका नहीं मिल पाता। फिर भी कृष्णा अभिषेक और रजनीश काफी कुछ करने की कोशिश करते नजर आते हैं। नाजिया हसन दक्षिण की अभिनेत्री काजल की झलक मारती है। बाकी कलाकार जैसे मुकुल देव, सुनील पाल, ख्याली, दीपशिखा, नैंसी मारवाह, अमन वर्मा आदि भी बस खानापूर्ती करते नजर आते हैं।