एकता कपूर की सोच का बोल्ड कल्चर 'वीरे दी वेडिंग'

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By Shyam Sharma
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एकता कपूर की सोच का बोल्ड कल्चर 'वीरे दी वेडिंग'

बेशक आज औरतों को लेकर हमारी फिल्में भी बदल रही हैं लिहाजा पिछले कुछ अरसे से हीरो को नजर अंदाज कर सिर्फ हीरोइन को बेस बनाकर फिल्में बन रही है और बाकायदा हिट भी रहीं। इसका ताजा उदाहरण हालिया फिल्म 'राजी' है जो पहली ऐसी महिला प्रधान फिल्म है जो सो करोड़ से ज्यादा का बिजनिस कर चुकी है। इससे उत्साहित हो एकता कपूर ने निर्देशक शशांक घोष के साथ फिल्म ‘ वीरे दी वेडिंग’ जैसी अति बोल्ड फिल्म का निर्माण किया, जिसकी हर बात भारतीय कल्चर से मीलों आगे निकलती दिखाई दी।

फिल्म की कहानी

करीना, सोनम, स्वरा और शिखा चार ऐसी बचपन की सहेलियां हैं उनकी दोस्ती आज भी बरकारार है। वे चारों आज भी लाइफ के फैसले मिल कर लेती हैं। फिल्म की कहानी करीना की शादी को लेकर बुनी गई है। वो आस्ट्रेलिया में अपने दोस्त सुमित व्यास के साथ लिव इन रिलेशन के तहत रहती है। जब सुमित उसे शादी के लिये प्रपोज करता है तो वो उसे हां तो करती है लेकिन उसे कमिटमेन्ट से परहेज है लिहाजा वो इंडियन तौर तरीके से होने वाली शादी से घबराती है। बाद में उस पंजाबी तरीके से होने वाली शादी में काफी सारे मजेदार क्षण हैं। स्वरा एक अमीर मां बाप की ऐसी लड़की है,जो जिन्दगी को अपने तौर तरीकों से जीना चाहती है इसीलिये विदेश में रह रहे उसके पति से उसका तलाक होने जा रहा है। शिखा भी अपने पेरेन्ट्स के खिलाफ एक अमेरिकन से शादी कर चुकी है। उसका एक बच्चा है लेकिन अभी तक उसके पिता ने उसे और उसके अमेरिकन पति को नही अपनाया। सोनम करियर ऑरियेन्टेड हैं और शादी नहीं करना चाहती। जबकि उसकी मां नीना गुप्ता शादी के लिये उसके पीछे पड़ी रहती है। करीना की शादी में चारों सहेलियां जमा होती हैं। उसके बाद जो कुछ होता है उसके लिये दर्शक को फिल्म देखनी पड़ेगी।

इसमें कोई शक नहीं कि बदलते सिनेमा में औरत की अहमियत बढ़ी है। आज सोलो नायिका को लेकर फिल्में बनने लगी हैं और दर्शक भी उन्हें खासा पसंद कर रहे हैं। इस बात का फायदा उठाते हुये एकता कपूर ने चार औरतों को लेकर ऐसी फिल्म बना डाली जो अपनी लाइफ कुछ इस तरह से जीना चाहती हैं कि उन्हें देख अमेरिका की औरतें भी शरमा जाये। हॉलीवुड फिल्म सेक्स एंड द सिटी से पूरी तरह प्रभावित इस फिल्म में सोनम करियर ऑरियेंटिड है जो शादी नहीं करना चाहती लेकिन शराब पीकर किसी अंजान आदमी के साथ हम बिस्तर हो जाती है। करीना कपूर अपने बाप की उदासहीनता के तहत आस्ट्रेलिया में अपने पार्टनर सुमित व्यास के साथ रहती है और अब उसके कहने पर इंडिया आकर उससे शादी करने जा रही हैं लेकिन शादी के बीच में ही वो शादी तोड. कर वापिस आस्ट्रेलिया जाने के लिये तैयार है। स्वरा भास्कर अमीर मां बाप की इकलौती औलाद होने के तहत अपनी मनमानी करते हुये वो सब करती है जो कम से कम किसी इंडियन लड़की से - जो कितनी ही मॉड्रन क्यों न हो- तो उम्मींद नहीं की जा सकती। वह सिगरेट, शराब के अलावा गालियां तक धड़ल्ले से देती है। वो विदेश में रहने वाले लड़के से शादी तो कर लेती है लेकिन वहां अपनी गलत हरकतों की वजह से इंडिया वापस आ जाती है और अब तलाक लेने पर अमादा है। शिखा अपने पिता के खिलाफ अमेंरिका से शादी कर अमेरिका में बस जाती है। फिल्म के चार किरदारों का परिचय इसलिये दिया गया है क्योंकि फिल्म में यही सब बताने की कोशिश की गई है कि अब औरत भी मर्दो की तरह अपने फैसले खुद ले सकती है, वह इस कदर आधुनिक होती जा रही है कि उसकी हरकतें देख पुरूष भी शरमा जाये। फिल्म का पहला भाग तो किरदारों का परिचय देने में ही गुजर जाता है। दूसरे भाग में चारों किरदारों की समस्याओं से अवगत कराते हुये बताने की कोशिश की है कि जो कुछ मर्द करते आये हैं वो सब औरतें क्यों नहीं कर सकती। लिहाजा फिल्म में चारों लेडी किरदारों को ऐसे ऐसे संवाद दिये गये हैं जिनका वर्णन तक नहीं किया जा सकता। फिल्म को एक साथ परिवार के देखने की बात तो दूर, साथ में मियां बीवी तक फिल्म देखते हुये एक दूसरे से नजरें नहीं मिला पाते। स्वरा भास्कर ने एक ऐसी मॉर्डन लड़की भूमिका निभाई जो सिगरेट शराब और गंदी गालियों के अलावा बिस्तर पर अकेले सेक्स का वो नजारा पेश करती है जो सिर्फ पोर्न फिल्मों में देखा जा सकता है। इसके अलावा चारों में सेक्स को लेकर जिस तरह की बातें होती है वैसे कल्चर के बारे में फिलहाल एकता कपूर ही सोच सकती है।

शानदार अभिनय

करीना कपूर शादी के बाद पहली बार इस फिल्म में दिखाई दी है वो एक बच्चे के होने बाद पूरी तरह से मैच्यौर ओरत बन चुकी है। एक्ट्रेस तो वो पहले से ही मंजी हुई है। यहां भी उसने बढ़िया काम किया है। सोनम कपूर अपनी भूमिका को लेकर काफी उत्साहित दिखाई दी, लिहाजा उसने भी कुछ बोल्ड सीन काफी खुलकर दिये हैं। स्वरा भास्कर ने जिस प्रकार बोल्डनेस दिखाई है और जिस प्रकार खुलकर खुली बातें और गालियां दी हैं। उससे उसका भूमिका के लिये ईमानदार समपर्ण दिखाई दिया । शिखा तलसानिया ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। सहयोगी भूमिकाओं में सुमित व्यास, मनोज पाहवा आदि कलाकारों ने बढ़िया काम किया।

अंत में कहना है कि फिल्म में औरत के बदलाव के नाम पर जिस तरह का कल्चर दिखाया गया है वो फिलहाल एकता कपूर की सोच का कल्चर हो सकता है। फिल्म युवा वर्ग को पंसद आ सकती है।

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