स्मिता बंसल उर्फ सोनी सब के ‘अलादीनः नाम तो सुना होगा’ की अम्मीः
बचपन में स्कूल के दिनों में चिल्ड्रन्स डे से एक दिन पहले सेलिब्रेशन हुआ करता था। हमारे सभी टीचर्स स्टूडेंट्स के लिये परफॉर्म करते थे और हम सब उसके लिये बहुत ही उत्साहित रहते थे। उस दिन स्कूल में हम सबको लड्डू भी दिया जाता था। हालांकि, अब इस दिन को वाकई बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है, क्योंकि मैं देखती हूं कि मेरी बेटियों के स्कूल में थीम पार्टी होती है।
मेरा ऐसा मानना है कि बच्चे के जीवन में हर दिन चिल्ड्रन्स डे होना चाहिये, एक बार जब यह बचपन चला जाता है और जिंदगी का सामना होता है तो वह दोबारा उन दिनों का मजा कभी नहीं ले पाते हैं। इसलिये, मेरी पैरेंट्स से भी यह गुजारिश है कि वह बच्चों की मासूमियत को जितना हो सके उतने लंबे समय तक बरकरार रखने में मदद करें और वह उन्हें अपनी तरह से जीने दें।
हिबा नवाब उर्फ सोनी सब के ‘जीजाजी छत पर हैं’ की इलायची
चिल्ड्रन्स डे मेरे लिये हमेशा ही मजेदार रहा है क्योंकि इस दिन मेरा बर्थडे आता है। मुझे आज भी याद है कि स्कूल के दिनों में बर्थडे के दिन हम कैजुअल ड्रेस पहन सकते थे, लेकिन मैं कभी भी अपनी क्लास में अलग नज़र नहीं आ सकी क्योंकि सारे बच्चों को चिल्ड्रन्स डे के दिन कैजुल्स पहनकर आने को कहा जाता था। मेरे ज्यादातर क्लासमेट्स मुझे हैप्पी बर्थडे कहने की बजाय हैप्पी चिल्ड्रन्स डे कहते थे। इसके अलावा मुझे हमेशा से ही चिल्ड्रन्स डे पसंद रहा है क्योंकि यह उन थोड़े दिनों में से एक होता है जब बच्चों को ढेर सारी शरारत करने का मौका मिलता है और उसके लिये उन्हें सजा भी नहीं मिलती!