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दानिश अख्तर सैफी फिलहाल एण्डटीवी के ‘बाल शिव’ में नंदी का किरदार निभा रहे हैं और वे अपनी फिटनेस बहुत ध्यान देते हैं. दानिश ऐक्टर बनने से पहले कुश्ती करते थे और पहलवानी के लिये उनके दिल में एक खास जगह है. उन्होंने अपने ऐक्टिंग कॅरियर में कई पौराणिक भूमिकाओं को पर्दे पर साकार किया है. लेकिन पहलवानी के लिये उनका प्यार आज भी कायम है. अपनी बेमिसाल प्रतिभा, लगन और अनुभव के साथ दानिश ने लगातार दमदार परफॉरमेंस दिये हैं और पर्दे पर एवं कुश्ती के रिंग में दर्शकों का दिल जीता है. एक बातचीत के दौरान दानिश ने बताया कि वे अपने अभिनय, पहलवानी एवं बाकी चीजों को एकसाथ कैसे मैनेज करते हैं.
आपको पहलवान बनने के लिये किस बात ने प्रेरित किया?
मैं बिहार का रहने वाला हूं, जहां पर कई लोग कुश्ती का आनंद उठाते हैं. और यही कारण है कि मुझे भी पहलवानी ने आकर्षित किया. मैंने बचपन में ही सोच लिया था कि मुझे पहलवान बनना है और सबसे पहले मैंने अपने पापा को अपने इस फैसले के बारे में बताया. मेरी बात सुनकर वह भी चैंक गये, लेकिन उन्होंने मुझे इसके लिये प्रेरित भी किया. उन्होंने सालों तक मेरी काफी गंभीर ट्रेनिंग करवाई और मेरी खान-पान एवं दिनचर्या का सख्ती से पालन करवाया, जिससे मुझे बेहतरीन फिटनेस और अपनी बाॅडी में गजब की एनर्जी पाने में मदद मिली. मुझे ड्ब्ल्यूड्ब्ल्यूई बहुत पसंद है और मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर का पहलवान बनना चाहता था. चूंकि, मेरे शहर में ज्यादा सुविधायें उपलब्ध नहीं थीं, इसलिये मैं जालंधर गया और वहां पर ट्रेनिंग लेनी शुरू की. बाद में, मुझे वहां पर एक मौका भी मिला, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
तकदीर आपको पहलवानी से ऐक्टिंग के रास्ते पर कैसे लेकर आई?
वर्ष 2010 में, मैं नेशनल स्कूल आॅफ बाॅडीबिल्डिंग, जालंधर गया था और वहां पर मैंने छह महीने की ट्रेनिंग ली, जिससे मुझे एक पहलवान जैसी बाॅडी पाने में मदद मिली. उसके बाद मैं दिल्ली आ गया और शुरूआत में बतौर जिम ट्रेनर काम करने लगा. जालंधर में मेरी मुलाकात द ग्रेट खली के भाई से हुई थी. इसलिये, एक दिन उनका काॅल आया और उन्होंने कहा कि ड्ब्ल्यूड्ब्ल्यूई के सेलेक्टर्स आ रहे हैं और मुझे लगता है कि तुम्हारी बाॅडी अच्छी है और तुम्हें यहां होना चाहिये. तो क्या मैं इसके लिये जालंधर वापस लौट सकता हूं? मैंने फौरन वहां जाने का फैसला कर लिया. खली सर ने सेलेक्शन से पहले अपनी एकेडमी सीड्ब्ल्यूई (काॅन्टिनेंटल रेसलिंग एन्टरटेनमेंट) में खुद छह महीने तक मुझे ट्रेनिंग दी. मुझे याद है कि सेलेक्शन के लिये लगभग चार से पांच हजार लोग आये थे, जिनमें से केवल पांच से छह लोगों को ही शाॅर्टलिस्ट किया गया और मैं उनमें से एक था. लेकिन कुछ कागजी कार्रवाई के कारण, मैं उस समय अमेरिका नहीं जा पाया. उसके बाद, मैं मुंबई आ गया और अपना अभिनय कॅरियर शुरू किया.
आपको बतौर एक्टर पहला ब्रेक कैसे मिला?
एक माइथोलाॅजीकल शो के लिये ऑडिशंस हो रहे थे; मेकर्स को एक लंबे कद का, बेहद मजबूत, गठा हुआ और साफ छवि वाला आदमी चाहिये था. मेरे एक कास्टिंग फ्रैंड ने मुझे ऑडिशंस में जाने की सलाह दी और पहले ऑडिशंस में ही मुझे हनुमान का रोल मिल गया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस फील्ड में आऊंगा. वह डायरेक्टर निखिल शर्मा का विजन था, जिसने मुझे उस भूमिका को निभाने के लिये तैयार किया. मुझे एक्टिंग के लिये काफी मेहनत करनी पड़ी और मैंने लगभग तीन महीने तक उस किरदार को पढ़ा, ताकि उसे सही तरीके से निभा सकूं.
‘बाल शिव’ में आपका अनुभव कैसा रहा?
मैं इस शो में नंदी बना हूँ, जो शिव के निवास स्थल कैलाश के रक्षक देवता हैं. इस किरदार को सराहा गया है और इंडस्ट्री के कई लोगों ने इसे निभाने पर मेरी तारीफ की है. इस किरदार ने दर्शकों के करीब आने में मेरी मदद की है, क्योंकि कई शिव भक्त इस शो को बड़ी लगन से देखते हैं और यह ऐसा शो है, जिसे हर उम्र के दर्शक पसंद करते हैं. मेरा सफर और मेरे सभी साथी कलाकारों सिद्धार्थ अरोड़ा (महादेव), शिव्या पठानिया (देवी पार्वती), मौली गांगुली (महासती अनुसुइया), आन तिवार व अन्य के साथ मेरा रिश्ता बेहतरीन रहा है. हम सभी के बीच एक अटूट रिश्ता है. आन तिवारी (बाल शिव) बहुत प्यारा है. मैं जब भी सेट पर होता हूँ, आन मेरे बाइसेप्स के साथ खेलता रहता है और कहता है कि उसे मेरे जैसी बाॅडी बनानी है.
आप किस्मत से ऐक्टिंग के क्षेत्र में आये और इसे अपना कॅरियर बनाया, क्या आपको लगता है कि जो हुआ अच्छा हुआ?
बिलकुल. दर्शकों को मुझे स्क्रीन पर देखना अच्छा लगता है और बीते सालों में मैंने अपने डायरेक्टर्स और साथी कलाकारों से खुद को कैसे पेश करते हैं और अच्छा एक्टर कैसे बनते हैं, के बारे में बहुत कुछ सीखा है. मैं अक्सर लोगों से कहता हूँ कि मेरा पहला प्यार पहलवानी और आखिरी प्यार एक्टिंग है. मुझे एक्टर के तौर पर परफाॅर्म करने और साथ ही कुश्ती की रिंग में मुकाबला करने से बहुत खुशी और संतोष मिलता है.
आपने स्क्रीन पर हमेशा पौराणिक भूमिकायें निभाई हैं, इसका कोई खास कारण?
मैंने दो मौकों पर हनुमान का रोल किया है, एक कन्नड़ मूवी में भीम बना हूँ और अब एण्डटीवी के ‘बाल शिव’ में नंदी बन गया हूँ. इसके लिये मैं बहुत आभारी हूँ. मुझे अपने हर पौराणिक किरदार के लिये दर्शकों से शाबाशी मिली है. और मेरा मानना है कि दर्शकों के समर्थन और मुझे अपनाने के कारण मेकर्स मुझे ऐसे किरदारों के लिये चुनते हैं. इसलिये मुझे लगातार ऐसे रोल मिल रहे हैं. हालांकि इसका थोड़ा श्रेय मेरी शारीरिक बनावट को भी जाता है, जिसके कारण मेकर्स ऐसे भक्ति वाले किरदारों के लिये मुझे लेने की सोचते हैं. और सच कहूं, तो मैं उन सभी माइथोलाॅजीकल शोज को करना चाहूंगा, जो मुझे ऑफर होंगे.
माइथोलाॅजीकल किरदारों को छोड़ दें, तो आप खुद को कहाँ पाते हैं?
अगर मुझे मौका मिले, तो मैं दूसरे जोनर्स को आजमाना चाहूंगा, खासकर एक्शन को. मुझे लगता है कि मेरी फिजिक भी किसी फिल्म में विलेन का रोल पाने में मेरी मदद कर सकती है. मुझे हीरो के साथ लड़ने और क्लाइमेक्स के पहले तक उसे हराने का मौका मिलेगा (हंसते हैं).