मायापुरी में महाभारत के द्रोणाचार्य सुरेंद्र पाल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू 

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By Shanti Swaroop Tripathi
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मायापुरी में महाभारत के द्रोणाचार्य सुरेंद्र पाल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू 

मायापुरी में महाभारत के द्रोणाचार्य , सीरियल चाणक्य के अमात्य राक्षस और शक्तिमान के किलविश सुरेंद्र पाल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

 

1. महाभारत और सीरियल चाणक्य को 30 साल बाद  दोबारा प्रसारित किया जा रहा है। आज के ज़माने में इन दोनों सीरियल का प्रसारण कितना सार्थक है ?

 

सार्थकता यही है दोनों में आज लोगो को हमारी संस्कृति और हमारा समाज देखने को मिल रहा हैं। अभी नेशनल टीवी पर या जो बाकि चैनल्स पर सीरियल्स दिखाए जाते हैं वो वेस्टर्न कल्चर से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं उनके अंदर  भूत , मक्खी, नागिन बनी हुई है और अन्धविश्वास से भरे हुए हैं। आजकल की जो हमारी पब्लिक है क्योकि उनके दर्शक अलग तरह के हो गए हैं। नई जनरेशन है टेक्निकली चीज़े एडवांस हो चुकी हैं। उन्हें थ्रिल और एडवेंचर करके दिखाया जा रहा है पर उसमे हमारी संस्कृति कहीं भी नज़र नहीं आ रही। महाभारत में बहुत बड़ी जंग हुई थी जिसमे सब कुछ खत्म  हो गया था तब कौरव सेना थी और आज के युग में कोरोना सेना है जिससे हमे लड़ाई लड़नी है। उसमे भी दुर्योधन ( तब्लीगी जमात ) के लोगों ने एक्टिवली पार्ट लिया है। इस वक़्त सवाल हिन्दू मुस्लमान का नहीं है। मैं किसी भी हिन्दू ,सिख ,ईसाई की बात नहीं कर रहा हूँ मैं जो भी बात कर हूँ मानवता की कर रहा हूँ। इस वक़्त संसार के सभी बड़े- बड़े देशों ने अपने घुटने भी टेक दिए हैं कि इस महामारी से कैसे बचा जाए तो महाभारत के टाइम पर जब युद्ध हुआ तो सब कुछ खत्म हो गया था। महाभारत का एक छोटा सा प्रसंग आपको बता देता हूँ - जब आचार्य  द्रोण को मार दिया गया था, तब अश्वथामा को बहुत क्रोध आया था। और उन्होंने नारायण अस्त्र उठा लिया था , नारायण अस्त्र इतना घातक था कि उसका कोई तोड़ नहीं था। और जिसके हाथ में वो हथियार देखते थे तो पांडव सेना के ऊपर अग्नि बरसाकर उसको खत्म कर देता थे और जब भगवान कृष्ण ने देखा कि इसके आगे हम लड़ नहीं सकते हैं यहाँ तो हम युद्ध हार जायेंगे। फिर भगवन कृष्ण ने कहा - इस वक़्त आप सब अपने हथियार त्याग दें क्योंकि जिसके हाथ में शस्त्र देखेगा उस पर अग्नि वर्षा करेगा। और आप लोग अपने अंदरअच्छे विचार लाये ये अपने आप शांत हो जाएगा। इस तरह कृष्ण ने पांडवो को बचाया था।

ये सब कहानियां सिर्फ सुनने के लिए नहीं बनी है ये हमे प्ररेणा देती हैं। तो आज जब इतना बड़ा प्रकोप हुआ है तो हमे  चाहिए कि जहाँ पर भी हैं वहीँ रहे, शांत रहे। इसका प्रकोप भी धीरे धीरे कम हो जाएगा। इसलिए कहते है - कृष्ण की बताए बातें व्यर्थ नहीं जाएंगी।

अब चाणक्य प्रसंग आज के युग में कैसे मेल खाता है इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा। क्योंकि मैं ये बिल्कुल नहीं समझ सकता की चाणक्य आज के युग में कितना सार्थक होगा। चाणक्य की नीति किस तरह से कोरोना से लड़ाई लड़ सकती है। ये मैं नहीं बता पाऊंगा।

2. आपके दो चरित्र  द्रोणाचार्य और अमात्य राक्षस इन दोनों को आप आज की परिस्तिथियों  में कैसे देखते हैं ?

मायापुरी में महाभारत के द्रोणाचार्य सुरेंद्र पाल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू 

Source - Ndtv

आचार्य  द्रोण एक शिक्षक थे। और उनका कार्य था शास्त्र  विद्या सिखाना , वो शास्रों के बहुत बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने अपने शिष्यों को शिक्षा दी कि जैसे आर्मी में जनरल होता है और वो अपनी फौज को किस तरह से शिक्षित करता है। युद्ध के लिए तैयार करता है कि कैसे कठिन परिस्थिति से निकलना है वो सारी  शिक्षाए गुरु द्रोण के पास थी। और अमात्य राक्षस दनादन के सेनापति थे लेकिन जबकि समाज में बहुत सारी बेईमानियाँ चलती हैं। वो जो इन सब पर कंट्रोल कर पाता था वो सिर्फ अमात्य राक्षस थे। वैसे ही परिस्तिथि आज भी है हमारे देश में बहुत करप्शन है अगर कोई एक नायक के तौर पर जैसे नरेंद्र मोदी हैं।  वो प्रथानमंत्री कम है महानायक ज्यादा हैं। लेकिन उनके अगल बगल मंत्रियों को भी ठीक होना चाहिए। उसके ऊपर वो कड़ी नज़र रखते हैं। ये सारी बातें हमे चाणक्य की नीति से पता चलती हैं।

 

3. आपके दोनों सीरियल में आपके किरदारों का नई पीढ़ी पर क्या असर हो सकता है ?

आजकल की जनरेशन के लिए मैं कहूंगा कि हमारी भारत सरकार चाणक्य और महाभारत जैसे धारावाहिक दिखा रही है  , जिसके द्वारा जो हमारी नई जनरेशन है, क्योकि हमने ये सब 30 साल पहले देखा था। और 30 सालों में बहुत ज्यादा परिवर्तन हुआ है। हमारी साइंस , टेक्निक और एजुकेशन में बहुत परिवर्तन हुआ है। आज की स्टडी और टेलीविज़न में भी बहुत कुछ फर्क आ गया है। इन तकनीकों के साथ हम आगे बढ़ते चले जा रहे हैं। आज की  जनरेशन को भारत की संस्कृति ,कल्चर और सभ्यता सीखने को मिलेगी कि हमे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। ये सारे प्रसंग हमारे महाभारत में मिलते हैं। जैसे अगर दुर्योधन ने द्रौपदी का अपमान न किया होता तो महाभारत नहीं होती।

 

 4. इन दोनों सीरियल्स के दोबारा प्रसारण पर आपके पास किस तरह की प्रतिक्रिया आ रही है ?

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Source - Youtube

लोग काफी खुश हैं। लोग इस बात से भी खुश है कि उन्हें घर बैठने को भी मिल रहा है इस वक़्त जब इतनी भयानक परिस्थिति बनी हुई है जैसा कि हम सब देख रहे हैं कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। आज की तारीख में तीन महीने के अंदर 31 जनवरी को पहला केस आया था और आज पांच लाख केस अमेरिका में आ गए हैं। आज हर देश घबराया हुआ है। अगर हमने सही समय पर ये एक्शन नहीं लिया होता तो हमारी दशा संभाले नहीं संभाली जा सकती थी।

हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि ये धारावाहिक जो कि शिक्षा से जुड़े हुए हैं जिससे हमे काफी कुछ सीखने और मनोरंजन को मिल सकता है, तो ये सब दिखाया जाए ताकि यह  लॉकडाउन में सफलता पूर्वक कायम रहे। सब लोग घरों के अंदर ही रहे। हमारे 21 दिन का संयम हमे एक नया भारत दे सकता हैं। हम सबका जीवन बहुत कीमती है। इस वक़्त बहुत अच्छे धारावाहिक दिखाए जा रहे हैं डी डी भारती और दूरदर्शन पर उसे अपने परिवार के साथ देखें ,अपनी संस्कृति और कल्चर को एन्जॉय करें।

5.  जब आप हीरो थे तब आपने छोटे परदे पर आने का फैसला कैसे किया और कैसे द्रोणचार्य का रोल स्वीकार किया ?

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असफलता इंसान को बहुत कुछ सिखा देती है। मेरी हर असफलता मुझे एक मजबूत आदमी बनाती है। हर असफलता के बाद मैंने एक सीढ़ी आगे चढ़ी है। मैं कभी पीछे नहीं हटा हूँ। बस यही कारण है कि मैं जीवन में धीरे -धीरे बढ़ा हूँ और आज मैं इस बात को बड़े ही गर्व के साथ कह सकता हूँ कि जीवन में शायद  ही कोई रोल ऐसा बचा हो जो मुझे करने का अवसर न मिला हो। दुनिया में जितने भी धारावाहिक बने हैं, चाहे वो कोई भी रोल क्यों न हो वो सुरेंद्र पाल को ऑफर हुआ और मैंने किया। चाहे वो परशुराम , महाराणा प्रताप ,पृथ्वीराज या मोहनजोदड़ो ऐसे 10000 एपिसोड्स मैं अब तक कर चुका हूँ। अभी भी रफ़्तार रुकी नहीं है अभी भी दो - तीन धारावाहिक ऑन एयर होते ही रहते हैं। अब तो कोई ऐसा रोल भी नहीं लगता मुझे कि कोई पूछे कि कौन - सा  किरदार करने में इच्छा रखते हैं। अब मैं यही चाहता हूँ कि मेरे बच्चे काम करें और वो आगे बढ़ें , नए जनरेशन है नया खून नई उमंगें उनके अंदर। अब उनको आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक रहता हूँ अब मैं काम नहीं करना चाहता।

 

6. द्रोणाचार्य का रोल प्ले करने के पीछे क्या वजह थी कोई और रोल भी तो आप कर सकते थे ?

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Source - Timesofindia

उस समय द्रोणाचार्य का रोल करने के पीछे असफलता और सोर्स ऑफ़ इनकम वजह थी। और महाभारत में एक लास्ट रोल ही बचा था वो था सिर्फ द्रोणाचार्य का। और वो भी मुकेश खन्ना कर रहे थे क्योकि उस समय भीष्म के रोल में उस समय कोई मिल नहीं पाया तो मुकेश से कहा गया कि तुम भीष्म का रोल कर लो , तो मुकेश जी राज़ी हो गए। उस समय मेरे पास कोई चॉइस थी नहीं। अगर नहीं करता तो भूखा मरने की नौबत आ गई थी। तो मैंने यही सोचा कि इसी तरह थोड़े पैसे मिलेंगे । मैंने ये बिल्कुल नहीं सोचा था कि महाभारत इतना पॉपुलर शो बनने जा रहा हैं। मैंने तो बस अपनी जीविका चलाने के लिए हामी भर दी थी। और महाभारत आगे चल कर इतिहास बन गया।

7. द्रोणाचार्य का रोल निभाने से  निजी जीवन और करियर में क्या फर्क आया है ?

मैं असल ज़िन्दगी में बहुत शांत स्वभाव का हो गया था। ,मेरा गुस्सा कम हो गया था और मैं कोई भी बात लोगax को समझा बुझा कर करने लग गया था। द्रोणाचार्य के बाद में ये कह सकता हूँ कि लोगों ने और  पूरे हिन्दुस्तान ने मुझे मान - सम्मान दिया। तो स्वभाविक रूप से मुझमें एक गरिमा पैदा हो गई थी। लेकिन मैं कभी हवा में नहीं उड़ा हूँ। मैंने हमेशा अपने पैर ज़मीन पर ही रखे हैं। और आज तक ये कायम है।

8.  द्रोणाचार्य का  किरदार निभाने के बाद आपके पास दौलत और शौहरत भी थी उसके बाद आपको अमात्य राक्षस का किरदार करने की क्यों सूझी ?

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Source - Ndtv

मुझे अमात्य राक्षस का रोल बहुत चैलेंजिंग लगा था। और मैं पहले से ही कभी प्लान करके काम नहीं करता हूँ कि ये धारावाहिक हिट होगा या फ्लॉप। मैंने हमेशा किरदार के ऊपर ध्यान दिया हैं। मुझे याद है उसी साल मुझे चाणक्य और अमात्य राक्षस के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला था। वहां उस समय बहुत बड़ी - बड़ी हस्तियां मौजूद थीं,उन सब ने मुझे खड़े हो कर स्टैंडिंग ओविशन दी थी। ये मेरे जीवन का कीमती समय था। तब मुझे लगा था कि मैंने अभिनय अच्छा किया था। मेरे साइलेंट रोल करने के बाद जो मुझे थर्ड रोल मिला वो था शक्तिमान में किलविश का। जो कि एक एलियन का रोल था। उसके बाद मुझे हॉरर रोल भी ऑफर हुए। हर तरह के रोल करने बाद मेरी टेलीविज़न में अलग ही छवि बन गई थी। मैं कभी भी सिर्फ एक भूमिका से बंधकर नहीं रहा।

9. अभी आप एक और महाभारत का नाटक कर रहे हैं ,उसमे भी आप द्रोणाचार्य का रोल कर रहे हैं ?

ये तो मेरा फेवरेट रोल है और जब भी मुझे मौका मिलेगा तो मैं  यही चाहूंगा कि द्रोण की भूमिका को जीवंत रखूं।

10.  आगे की क्या गतिविधियां हैं ?

अभी तो कुछ खास नहीं है मैंने एक भोजपुरी फिल्म भी डायरेक्ट की थी पर वो कई कारणों से सफल नहीं हो पाई। तभी मैंने फिल्म डायरेक्ट की जगह टेलीविज़न में ही काम करना बेहतर समझा। तभी मुझे देवो के देव महादेव में काम मिला।

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