महत्वपूर्ण कहानियों के जरिये अपने दर्शकों का लगातार मनोरंजन करते हुये ज़िंदगी एक जीवन की झलक दिखाने वाली और पुरस्कार विजेता टेलीफिम्म बेहद के प्रीमियर के लिये पूरी तरह से तैयार है. यह टेलीफिल्म पैरेंट एवं बच्चे के रिश्तों पर आधारित है. इस फिल्म में सबके चहेते और बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता फवाद खान और बेहद प्रतिभाशाली ऐक्टर्स नादिया जमील और मॉम से सुर्खियों में आईं सजल अली प्रमुख भूमिकाओं को परदे पर साकार करेंगे. दूर की सोच रखने वाले निर्देशक असीम रजा द्वारा निर्देशित इस टेलीफिल्म का प्रीमियर ज़िंदगी के डीटीएच प्लेटफॉर्म्स टाटा प्ले, डिश टीवी और डी2एच पर 11 सितंबर को रात 8 बजे किया जायेगा.
इस शो और अपने अनुभव के बारे में बताते हुये ऐक्टर सजल अली ने कहा, “बेहद एक ऐसी फिल्म है, जो मां-बेटी के रिश्ते और इसके विभिन्न पहलुओं पर रौशनी डालती है. महा के किरदार को निभाना बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इसके लिये मुझे बहुत अधिक भावनाओं को दिखाने की जरूरत थी, इसलिये मेरे किरदार की कई परतें भी थीं. इसके अलावा नादिया जमील और फवाद खान जैसे उत्कृष्ट कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा. मुझे इसमें काफी मजा आया और मैं ज़िंदगी के डीटीएच प्लेटफॉर्म्स पर फिल्म के प्रीमियर का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं.‘’
दर्शकों का एक बार फिर से मनोरंजन करने के लिये तैयार, ज़िंदगी लेकर आया है ‘बेहद’ की एक बेहद खूबसूरत कहानी, जो रिश्तों के विभिन्न पहलुओं और निस्वार्थता एवं स्वार्थपन पर केन्द्रित है. ‘बेहद’ का भारतीय टेलीविजन प्रीमियर देखने के लिये 11 सितंबर 2022 को रात 8 बजे, टाटा प्ले पर 154 और डिश टीवी एवं डी2एच पर 117 को ट्यून इन करना न भूलें!
उमेरा अहमद द्वारा लिखित ‘बेहद’ में महत्वाकांक्षी, अपने जैसे लगने वाले साधारण किरदारों को पेश किया गया है, जिनसे दर्शक तुरंत ही जुड़ जाते हैं. इस टेलीफिल्म में एक मां और बेटी के बीच के मजबूत एवं संवेदनशील रिश्ते को दिखाया गया है और इस बात पर रौशनी डाली गई है कि भावनाओं में स्वार्थ की जरा सी मिलावट भी कैसे दर्द और नफरत का कारण बन सकती है. ‘बेहद’ एक सिंगल मदर मासूमा (नादिया जमील द्वारा अभिनीत) की ज़िंदगी की दास्तां दिखाता है, जो अपने पति की मौत के बाद अकेले ही अपनी बेटी महा (सजल अली द्वारा अभिनीत) की देखभाल कर रही है. सिंगल मदर के रूप में अपने सफर के दौरान, मासूमा की मुलाकात जमाल (फवाद खान द्वारा अभिनीत) से होती है और उन दोनों को इस बात का अहसास होता है कि उनके बीच बहुत सारी समानतायें हैं, जिसकी उम्मीद कभी उन्होंने अपने हमसफर में की थी. जमाल और मासूमा की बढ़ती नजदीकियों से महा (सजल अली) के मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है और अपनी मां को लेकर पजेसिव हो जाती है. इस दौरान एक-के-बाद-एक होने वाली घटनाओं और महा की कुछ हरकतों की वजह से मासूमा और जमाल को एक-दूसरे से दूर होने का फैसला लेना पड़ता है.