फिल्म रिव्यू- हॉरर फिल्म ’काली खुही' By Mayapuri Desk 29 Oct 2020 | एडिट 29 Oct 2020 23:00 IST in टेलीविज़न New Update Follow Us शेयर रेटिंगः तीन स्टार निर्माताः माननीय मोशन पिक्चर्स निर्देशकः तेरी सॉन्मुद्रा कलाकारः शबाना आजमी, संजीदा शेख, रीवा अरोड़ा, सत्यदीप मिश्रा, लीला सैम्सन, हेतकी भानुशाली, रोज राठौड़, सैम्युअल जॉन, पूजा शर्मा, अमीना शर्मा व अन्य अवधिः एक घंटा तीस मिनट ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स पर, तीस अक्टूबर से पंजाबी की लोक कथा से प्रेरित होकर लेखक द्वारा तेरी समुंद्र और छेविड वाल्टर तथा निर्देशक तेरी सॉन्मुद्रा एक हॉरर फिल्म ‘‘काली खुही’’ लेकर आए हैं। ‘काली खुही ’का अर्थ होता है काला कुंआ. इस डेढ़ घंटे की फिल्म को ‘नेटफ्लिक्स’ पर देखा जा सकता है. कहानी: पंजाब की पृष्ठभूमि पर यह कहानी दर्शन (सत्यदीप मिश्रा) के परिवार के इर्द गिर्द घूमती है। दर्शन के अपनी पत्नी प्रिया (संजीदा शेख) के संग रिश्ते अच्छे नही है, इसकी वजह तब पता चलती है, जब यह गांव पहुंचते है। शहर में रह रहे दर्शन को एक दिन पता चलता है कि उनकी मां शिवांगी की दादी (लीला सैम्सन) बीमार हैं। तब वह अपनी दस वर्षीय बेटी शिवांगी (रीवा अरोड़ा) व पत्नी के साथ अपने गांव पहुंचते हैं। गांव में दर्शन की मां के पास दर्शन की मौसी सत्या (शबाना आजमी) बैठी मिलती हैं। सत्या मौसी की नाती चांदनी (रोज राठौड़) व शिवांगी सहेली हैं। चांदनी, शिवांगी को पूरा गांव घुमाते हुए बताने का प्रयास करती है कि गांव में भूत का साया है। लोगों की जान ले रहा है। हर इंसान बीमार होता है,फिर उसे काली उलटी होती है और वह मर जाता है। उधर दादी, शिवांगी के सामने ही प्रिया को अपशब्द कहते हुए कहती है कि उसने यदि उनकी दी हुई दवा खायी होती, तो बेटा पैदा होता। लेकिन प्रिया ने वह दवा न खाकर शिवांगी के रूप में एक लड़की का बोझ दर्शन पर डाल दिया है। इससे शिवांगी को अपने माता पिता के बीच के खराब संबंधों की वजह के साथ ही यह भी पता चलता है कि उसकी दादी उसे पसंद नही करती हैं। गांव में हो रही मौतों के व भूत की कहानी इसके पीछे एक अतीत भी है, जिसका गवाह कुंआ है, जिसके अंदर कई नवजात लड़कियों के साथ ही कई औरतें के शव दफन हैं। इस गुप्त अतीत की जानकारी दर्शन की मौसी सत्या मौसी(शबाना आजमी) हैं, जिन्होंने अपने अनुभवों को एक पुस्तक में दर्ज किया है। उन्होंने इस कुएं को उपर से बंद करवा दिया था, तब से गांव में शांति थी, लेकिन अचानक एक दिन कुएं को फिर से किसी ने खोल दिया और पुनः डर, खौफ, श्राप आदि का भयवाह माहौल बना है। इसी के चलते दादी को भी अपनी जिंदगी गंवानी पड़ती है। पर शिवांगी का परिचय देते हुए उस भूत का मुकाबला कर गांव को श्राप मुक्त करती है. समीक्षाः लेखक द्वारा तेरी सॉन्मुद्रा और छेविड वाल्टर की फिल्म ‘‘काली खुही’’ पंजाब में भ्रूण हत्या, कन्याओं की हत्या, लिंग भेद पर सवाल उठती जरुर है, मगर नाम के अनुरूप यह हॉरर फिल्म डराती बिलकुल नहीं है। निर्देशक ने इस फिल्म के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि जन्म के समय लड़कियों की हत्या की कोई प्रथा नही है। यह महज एक घर तक सिमटी हुई कथा है, जिसका बुरा परिणाम हर किसी ने देखा है। पर फिल्म निर्देशक ने इस सामाजिक संदेश को लोगों तक पहुंचाने का जो तरीका अपनाया, वह सही नही है, इसलिए यह फिल्म अपने मकसद में सफल होगी, यह कहना मुश्किल है। कुछ दृश्यों का दोहराव भी फिल्म की कमजोर कड़ी है। कुछ कमजोरियों के बावजूद फिल्म अपनी गतिशीलता को बरकरार रखती है। कुछ दृश्य अच्छे ढंग से फिल्माए गए हैं। अभिनय: संजीदा शेख व सत्यदीप मिश्रा ने बेहतरीन अभिनय किया है। संजीदा शेख के हिस्से संवाद कम हैं, मगर वह अपनी आंखों से बहुत कुछ कह जाती हैं। दस साल की लड़की शिवांगी के किरदार में बाल कलाकार रीवा अरोड़ा ने जिस तरह का शानदार अभिनय किया है, वह उसे पुरस्कार दिला सकता है। चांदनी के किरदार में बाल कलाकार रोज राठौड़ ने शानदार अभिनय किया है। लीला सैम्सन का किरदार काफी छोटा हैं. सत्या मौसी के किरदार में प्रोस्थेटिक मेकअप का सहारा लेने के बावजूद शबाना आजमी का अभिनय उतना प्रभावशाली नहीं है, जिस कद्दावर की वह अभिनेत्री हैं, इसमें कहीं न कहीं उनके चरित्र चित्रण की भी कमजोरी है। #फिल्म रिव्यू #काली खुही' हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article