महिलाओं, पुरुषों और युवाओं पर प्रभाव डालने वाले दो आकर्षक सीजन के बाद, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के लोकप्रिय शो मैं कुछ भी कर सकती हूं अपने तीसरे सीजन के साथ कमबिक के लिए तैयार है. अपने नए सशक्त स्लोगन 'मैं देश का चेहरा बदल दूंगी' वाले शो के पैट्रॉन डॉ स्नेहा माथुर स्वच्छता समेत नए मुद्दों को सामने लाने की योजना बना रही हैं. यह शो राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक साबित हुआ है, जिसे 13 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में डब करके कई बार प्रसारित किया गया. इसे पूरे देश में 216 एआईआर स्टेशनों पर भी प्रसारित किया गया है।
8 मार्च, 2014 को लॉन्च ये कार्यक्रम दो महीनों के भीतर इतना लोकप्रिया हुआ कि दूरदर्शन ने इसे डीडी इंडिया पर प्रसारित कर दुनिया भर के 50 देशों तक पहुंचाने का फैसला लिया. शो लोगों को प्रेरित करने के लिए एक लोकप्रिय मनोरंजन प्रारूप का उपयोग करता है और महिलाओं की स्थिति और उनके जीवन पर असर पड़ने वाले नकारात्मक सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने के लिए आकर्षित करता है।
पॉपुलेश फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तेरेजा का कहना है, 'मैं कुछ भी कर सकती हूं वास्तविक सफलता इसकी प्रभावी कहानियां है. चाहे बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश की लाड कावर कुशवाहा हो जो अपने गांव की पहली लड़की थी जो कॉलेज गई थी या पटना की निरमा देवी हो, जिन्होंने अपने पति को गर्भ निरोधकों का उपयोग करने के लिए तैयार किया और अब परिवार नियोजन की चैंपियन हैं या फिर बिहार के बैरिया की महिलाएं हो जो शो देखने के बाद घरेलू हिंसा के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हर हफ्ते मिलती है. हम सीजन 3 के साथ बातचीत को आगे बढ़ाकर वास्तविक प्रभाव लाने की उम्मीद करते हैं।'
मशहूर निर्देशक फिरोज अब्बास खान जो इस शो के रचनाकार भी है कहते हैं, 'मैं कुछ भी कर सकती हूँ ने कई मिथकों का सच सामने लाया हैं. इस शो ने सबको यह दिखा दिया की सामाजिक समस्याओं का हल मनोरंजक तरीके से भी निकाला जा सकता हैं. हम चाहते हैं की सीजन- ३ में हमारी पैट्रॉन समाज तथा लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने में कार्यशील रहे।”
मैं कुछ भी कर सकती हूं की कहानी युवा डॉक्टर डॉ स्नेहा माथुर की प्रेरणादायक जीवन यात्रा के आसपास घूमती हैं, जो मुंबई में अपने आकर्षक करियर को पीछे छोड़ अपने गांव में काम करने का फैसला करती हैं. शो सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल और बेहतरीन गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए डॉ स्नेहा के आन्दोलन पर केंद्रित है. उनके नेतृत्व में, गांव की महिलाएं सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से अपनी आवाज उठाती है. दूसरे सीजन में महिलाओं के साथ युवाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया था।
इस बार, पॉपुलेश्न फाउंडेशन ऑफ इंडिया ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित है ताकि इस लोकप्रिय शिक्षण कार्यक्रम का बहुप्रतीक्षित तीसरा सीजन प्रोड्यूस हो सके।