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यह जरुरी नहीं है यदि कोई गांव से है तो वह बेवकूफ या गवार ही होगा - सुम्बुल तौकीर खान

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By Mayapuri Desk
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यह जरुरी नहीं है यदि कोई गांव से है तो वह बेवकूफ या गवार ही होगा - सुम्बुल तौकीर खान

स्टार प्लस पर 16 नवंबर को प्रसारित होने वाला अपकमिंग शो 'इमली' एक आदिवासी लड़की, इमली के जीवन पर आधारित है जहाँ दर्शकों को एक अनोखी त्रिकोणीय प्रेम कहानी देखने को मिलेगी, इमली यूपी के बाहरी इलाके में स्थित एक छोटे से समुदाय से जुड़ी लड़की है, जिसने बाहरी दुनिया भले ही न देखि हो पर वह जानकार जरूर है। फोर लायंस द्वारा निर्मित इस शो को देखने के लिए दर्शक बहुत बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। शो में इमली की दमदार भूमिका निभाने वाली सुम्बुल तौकीर खान से हुई ख़ास बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

पहली बार हिंदी टेलीविजन पर एक दमदार लीड किरदार निभाते हुए आपको कैसा महसूस हो रहा है ?  

पहली बार मैं टीवी शो के लिए एक इतना बड़ा कैरेक्टर प्ले कर रही हूँ। मेरे लिए यह बिलकुल नया अनुभव है और मैं इस शो में काम करने को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित हूँ। इसमें मैं कई नई चीजें कर रही हूँ जैसे गांव की पगडंडियों पर साइकल चलाना, मैं सीन्स में कहीं ट्रैक्टर चला रही हूँ तो कहीं पेड़ से कूद रही हूँ। यह सबकुछ मेरे लिए बहुत नया है। यह सारे सीन्स करके मुझे बहुत मज़ा आता है। मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को भी यह सभी सीन्स देखकर बहुत ख़ुशी होगी क्योंकि इसे बहुत खूबसुरती से इसे लिखा गया है।

यह जरुरी नहीं है यदि कोई गांव से है तो वह बेवकूफ या गवार ही होगा - सुम्बुल तौकीर खान

हमें अपने शो के बारे में कुछ बताएं ?

हमारा शो एक गांव की लड़की और एक शहर के लड़के की खूबसूरत कहानी को दर्शाता है। शहर के ज्यादातर लोग गांव वालों के बारे में यह सोचते हैं कि यह तो गांव के हैं इनको क्या पता होगा जबकि ऐसा नहीं होता। हमारी कहानी इसी पर बनीं है कि यह जरुरी नहीं है यदि कोई गांव से है तो वह बेवकूफ या गवार ही होगा। वहां कई लोग हमेशा बहुत ज्यादा तेज तर्रार होते हैं और स्वास्थ्य के मामले में भी हमसे अव्वल होते हैं। जैसे इमली बहुत तेज है, पढ़ाई में बहुत अच्छी है। अपनी माँ को लेकर बहुत ज़्यादा प्रोटेक्टिव है। जीवन में बहुत कुछ करना चाहती है। शहर में जाकर पढ़ना चाहती है और आगे बढ़ना चाहती है।

इस न्यू नार्मल के बीच अपने शो के लिए शूटिंग करना कैसा लगता है?

यह न्यू नार्मल अब मुझे अच्छा तो नहीं लग रहा है। मैंने सोचा था जब मैं अपना शो करुँगी तो दुसरे शहरों में जाकर इसका जमकर प्रमोशन करुँगी और खूब घूमूंगी। खैर, मौजूदा परिस्थितियों को देखकर अब यह संभव नहीं है। मुझे सेट पर आने के बाद काफी अच्छा लगता है। रही बात फर्क की तो अब पहले और अब की शूटिंग में ज्यादा फर्क नहीं रह गया है। बस अब हम कुछ घंटे कम काम कर रहे हैं और सेट पर सरकार द्वारा दिए गए हर दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं पर शूट करने में मज़ा उतना ही आ रहा है।

शो में अपने किरदार के बारे में कुछ बताएं ? इसके लिए आपने क्या ख़ास तैयारियाँ की हैं?

इमली का किरदार बहुत ही प्यारा और खूबसूरत है क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा महत्वाकांक्षी है और अपनी माँ को लेकर बहुत ही ज्यादा प्रोटेक्टिव है कि मेरी माँ को कोई कुछ नहीं कह सकता । वह हमेशा अपनी माँ के साथ खड़ी होती है। जीवन में अपने सारे सपनों को अपनी माँ के लिए पूरे करना चाहती है, वह पढ़ना चाहती है और स्कॉलरशिप लेकर शहर जाना चाहती है। मुझे इमली इसलिए भी पसंद है क्योंकि वह अपनी हर चीज को लेकर बहुत फोकस्ड है और पढ़ाई में बहुत अच्छी है। इस किरदार के लिए मैंने ट्रैक्टर चलाना सीखने की कोशिश की पर मैं सीख नहीं पाई और साइकलिंग मैं पहले से करती थी पर इस शो से मेरी और ज्यादा प्रैक्टिस हो गई है। इमली के अवतार में आने के लिए मैंने अपना दो किलो वज़न भी बढ़ाया है। अपने किरदार के बॉडी लैंगुएज को पकड़ने के लिए मैंने 'नदिया के पार' फिल्म भी देखी।

टीवी और फिल्मों के सेट पर काम करते हुए आपको क्या बदलाव नज़र आते हैं ?

मैंने फिल्म और टीवी के सेट पर अबतक जितना भी काम किया है उससे मुझे इनमें ज्यादा फर्क नहीं महसूस हुआ। जब हम फिल्म करते हैं तो हमारे पास किसी सीन को शूट करने के लिए बहुत वक्त होता है ताकि उसे आराम से शूट कर सकें जबकि टीवी के सेट पर हमें स्पीड में काम करना होता है। बाकी अगर लोगों की बात करें तो फिल्म के सेट पर उतने ही लोग होते हैं जितने टीवी के सेट पर होते हैं इसलिए ज्यादा फर्क नहीं है।

यह जरुरी नहीं है यदि कोई गांव से है तो वह बेवकूफ या गवार ही होगा - सुम्बुल तौकीर खान

अपने किरदार के डायलेक्ट को पकड़ने के लिए आपने क्या ख़ास तैयारियाँ की हैं ?

इमली का अवधी डायलेक्ट पकड़ने के लिए मैंने 'नदिया के पार' फिल्म तो देखि ही इसके आलावा सेट पर हमारे जो डिक्शन कोच आकाश जी हैं उन्होंने हमारी कुछ वर्कशॉप भी ली और हमारा एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया ताकि उनके द्वारा भेजे गए शब्दों को हम पढ़कर प्रैक्टिस कर सकें साथ वह कुछ वीडिओज़ भी भेजते थे, जिसे हम देखकर भाषा को पकड़ने की कोशिश करते थे। इतना ही नहीं मैंने गायिका शारदा सिन्हा के गाने भी सुने ताकि मैं अपने किरदार के मूड में पूरी तरह घुस सकूँ।

इस नए शो में ऐसी क्या ख़ास बात थी, जिसके चलते आपने इसे चुना ?

इस शो के बारे में मुझे सबसे ख़ास बात यह लगी थी कि यह कोई सास-बहू के टिपिकल ड्रामे वाला शो नहीं है। यह एक सच्ची कहानी है। अगर आप किसी पिछड़े गांवों को देखें तो यह घटना आज के युग में भी संभव है। जब आप मेरे शो को देखेंगे तो आप समझ जाएंगे कि मैं क्या कहना चाह रही हूँ। यह शो हकीकत से जुड़ा है इसलिए मुझे यह शो बहुत पसंद आया है और यही कारण है मेरा इसे चुनने का फैसला किया।

शो में आपके किरदार इमली से सुम्बुल कितनी अलग हैं ?

सुम्बुल और इमली में कुछ ज्यादा फर्क तो नहीं है क्योंकि इमली बहुत ज्यादा बोलती है और सुम्बुल भी बहुत बोलती है। हम दोनों अपने काम को लेकर बहुत पैशनेट हैं और अपनी मंज़िल को लेकर पूरी तरह फोकस्ड हैं और हमदोनो में जो फर्क है वह ये है कि इमली गांव की है और मैं शहर की हूँ। इमली हमेशा नकचढ़ी बनकर घूमती रहती है सबको गुस्सा करती है पर सुम्बुल बहुत शांत है।

अपने सह-कलाकार गश्मीर महाजनी और मयूरी प्रभाकर देशमुख के साथ काम करने को लेकर अपने अनुभवों और उनके साथ अपने बांड को लेकर कुछ बताएं ?

हम गश्मीर जी और मयूरी दीदी के साथ शूट कर रहे हैं और दोनों के साथ मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। दोनों ही अपने छेत्र में बहुत अनुभवी रहे हैं। गश्मीर जी ने तो काफी फिल्में भी की हैं। तो हम सबलोग जब मिलकर एकसाथ बैठते हैं तो हर तरह की बातें होती हैं।  फिल्म और टीवी ही नहीं बल्कि टेक्नीकल चीजों को लेकर बातें होती हैं। इकोनॉमी पर चर्चा होती है तो मुझे हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। अगर शूट पर मुझसे कोई डायलॉग नहीं बोला जा रहा है तो गश्मीर जी मेरा प्रोत्साहन बढ़ाते है। रही बात मयूरी दीदी की तो उनके साथ मैंने अबतक कुछ ही सीन्स शूट किए हैं ऐसे में  उन्हें जब यह पता चला कि मैं 16 साल की हूँ तो वह सोचने लगी कि यार यह कितनी छोटी है और बाकी लोग भी सेट पर बहुत सपोर्ट करते हैं।

यह जरुरी नहीं है यदि कोई गांव से है तो वह बेवकूफ या गवार ही होगा - सुम्बुल तौकीर खान

लॉकडाउन के दौरान आपने अपना समय कैसे बिताया ?

लॉकडाउन के दौरान मैं सात महीने नागपुर में थी और अपनी कज़िन बहन के घर पर रह रही थी। हमने वहाँ पर मिलकर एक मिनी रेस्टोरेंट जैसी व्यवस्था की थी। जहाँ हम घर  से ही अच्छा- अच्छा खाना बनाकर उनकी होम डिलिवरी करते थे। तो हमारा सारा दिन कैसे बीत जाता था पता ही नहीं लगता था। बल्कि मुझे जब इस शो के लिए कॉल आया था उस वक्त मैंने इसके लिए नागपुर से ही अपना ऑडिशन भेजा और जब उन्होंने उसे पास कर दिया तो मैं ठीक दुसरे दिन अपने मॉक शूट के लिए मुंबई आ गई और फिर सब फाइनल हो गया इसलिए मेरे लिए लॉकडाउन बहुत अच्छा रहा।

आपकी सबसे पसंदीदा शैली कौन सी है, भविष्य में जिस शैली में आप काम करना चाहेंगी ?

मैं हर तरह की शैली को ट्राई करना चाहूंगी क्योंकि मुझे खुदपर विश्वास है कि मैं सबकुछ कर सकती हूँ और खुदको एक शैली में बाँधकर टाइपकास्ट भी नहीं करना चाहती हूं। पर अगर मेरी फेवरेट शैली की बात करें तो मुझे ग्रे शेड बहुत है।

क्या आप ऐसे कठिन समय में शूटिंग को लेकर उलझन में थीं ?

शुरुआत में मेरा परिवार मुझे मुंबई भेजने को लेकर थोड़ा उलझन में था कि मुंबई के हालात बहुत गंभीर हैं। ऐसे में मैं कैसे यहाँ काम करुँगी। पर मैं बिलकुल घबराई नहीं थी मैंने सोचा देखंगे जो होगा देखा जाएगा। फिर जब मैं और मेरी दीदी मुंबई आए तो हमने देखा लोग प्रिकॉशंस लें और ध्यान रखें तो डरने वाली बात नहीं है और सेट पर भी हर तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं तो अब कोई भय नहीं है पर ध्यान रखना जरुरी है।

आप अपनी पर्सनल (अगर आप आगे पढ़ रही हैं) और प्रोफेशनल लाइफ को कैसे मैनेज करती हैं ?

जी, मैं अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करके चलने की पूरी कोशिश करती हूँ और यह जरुरी भी है। मैं पढाई भी रही हूँ और मैं 12 क्लास की स्टूडेंट हूँ। मैं इन दिनों सेट पर पढ़ाई तो नहीं कर पाती हूँ पर शूट के बाद घर जानेपर अपने सभी असाइनमेंट को पूरा कर लेती लेती हूँ और उन्हें कॉलेज में सबमिट कर देती हूँ।

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