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जावेद अख्तर देश के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। उनके लेखन को कई अवसरों पर सराहा जाता रहा है और हर निर्देशक-निर्माता उनके साथ काम करना चाहता है। इसमें कोई हैरत की बात नहीं कि उन्हें ‘टेड टॉक्स इंडिया‘ नई सोच में ‘शब्दों की ताकत‘ थीम के तहत भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने एक बार फिर अपने शब्दों और करिश्मा से दर्शकों के साथ-साथ होस्ट शाहरूख खान का भी दिल जीत लिया।
फिल्म के नाम में कई द्विअर्थी अर्थ है इसलिए नही लिखा
लेकिन जब एसआरके और अख्तर साब ने अपने कॅरियर के बारे में बात की तो जावेद साब ने उनके कुछ सहयोगों पर चर्चा की। उन्होंने दर्शकों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि आखिर क्यों उन्होंने 90 के दशक की एक सबसे ख्यात फिल्म 'कुछ कुछ होता है' के लिए नहीं लिखा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि फिल्म के नाम में कई द्विअर्थी अर्थ है। इसलिए मैं इस प्रोजेक्ट के लिए लिखने के लिए प्रेरित नहीं हुआ।‘‘ हमें आश्चर्य है कि अगर जावेद साब करण जौहर की ब्लॉकबस्टर के लिए अपने शब्द देते तो यह फिल्म क्या धमाल मचाती।
लेकिन उन्होंने कहा, ‘‘मैं ‘कल हो ना हो‘ में एसआरके की तारीफ करना चाहता हूं और मुझे खुशी है कि मैं इस यात्रा का एक हिस्सा बन सका। मैंने एक अर्थपूर्ण गाना बनाने के लिए उन शब्दों का प्रयोग किया जिन्हें पहले ठुकरा दिया गया था। और आप सभी (दर्शक) ने उसे ‘‘कुछ तो हुआ है, कुछ हो गया है‘‘ को खूब लोकप्रिय बनाया।