राजा कृष्णदेवराय, अकबर और भारत के पूर्व शासक, जिन्होंने कला को पोषित किया और ज्ञान को संजोया By Mayapuri Desk 16 May 2019 | एडिट 16 May 2019 22:00 IST in टेलीविज़न New Update इतिहास में कुछ महान शासकों की सफलता और वीरता का उल्लेख किया गया है, लेकिन विजयनगर साम्राज्य के इतिहास में कृष्णदेवराय का क्षेत्र अद्वितीय था। तेलूगु और संस्कृत के जान-माने हुए लेखक होने के कारण उन्होंने कन्नड़ तथा तमिल साहित्य को संरक्षित किया। उन्होंने लेखकों को सम्मानित किया और हर वर्ष उन्होंने विद्वानों की भव्य सभा बनायी और उन्हें सम्मान दिया। इसी तरह की सभा को तैयार करने के दौरान तेनाली रामा की खोज हुई। बाकी तो रोमांचक इतिहास के रूप में दर्ज है, जिन्हें आज भी हम कहानियों के तौर पर याद में याद करते हैं। आइये एक नज़र डालते हैं उन महान शासकों पर जिन्होंने अद्भुत कलाकारों और विद्वानों को संरक्षण दिया। 1. अकबर तथा बीरबल प्राचीन समय की सबसे प्रसिद्ध जोड़ियों में से एक अकबर तथा बीरबल बचपन से ही हमारे जीवन का हिस्सा रहे हैं। महान मुगल शासक अकबर को अपने एक शिकार के दौरान एक छोटा बालक महेश दास मिलता है,जिन्हें बाद में बीरबल के नाम से जाना जाता है। अकबर, महेश की बुद्धिमानी और हास-परिहास के हुनर से चकित रह गये थे और उन्हें बाद में ‘राजा’ की उपाधि दी थी। महेश दास को अकबर के दरबार में स्थायी स्थान मिल गया और उन्हें एक नया नाम दिया गया, ‘बीरबल’। बीरबल को नौ सलाहकारों वाली एक खास समिति में शामिल कर लिया गया, जिसे ‘नवरतन’ के नाम से जाना जाता है। 2. कृष्णदेव राय और तेनाली रामा हम सभी तेनाली रामा के किस्से का आनंद लेते हुए बड़े हुए हैं। इस बारे में कम ही लोगों को पता है कि कृष्णदेवराय के शासन में विजयनगर साम्राज्य में कला और साहित्य फला-फूला। साहित्य का संरक्षक होने की वजह से और महान विद्वानों की अपनी तलाश के दौरान, उन्हें तेनाली रामा मिले। अपनी अत्यधिक बुद्धि, चतुराई और सरलता की वजह से उन्हें अष्टदिग्गज (आठ विद्वानों के दल) में स्थान मिला। अपने अनूठे हास्य और विजयनगर के राजा के रोजमर्रा की परेशानियों के सरल लेकिन अनोखे समाधानों ने उन्हें दरबार का सबसे विश्वासी कवि बना दिया। 3. सांभाजी महाराज तथा कवि कलश महाराष्ट्र के जाने-माने राजा सांभाजी महाराज के सबसे बड़े बेटे सांभाजी भोंसले थे। कवि कलश उनके सबसे विश्वासपात्र निजी सलाहकार थे। उन्हें हमेशा ही सांभाजी के साथ बने रहने के लिये जाना जाता है, जबकि उनके अपने ही भाई ने उनके साथ छल किया था। उनकी कहानी पूरी तरह से वफादारी और दोस्ती की मिसाल है। 4. चंद्रगुप्त मौर्य तथा चाणक्य गुरु-शिष्य की इस जोड़ी की वजह से ही महान मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई थी। चाणक्य गुरु थे और फिर मौर्य शासक, चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री तथा सलाहकार बने। चाणक्य भारत में राजनीति शास्त्र और अर्थव्यवस्था के ज्ञाता माने जाते हैं। उनके प्रति चंद्रगुप्त के समर्पण तथा चाणक्य नीति को मानने के कारण उन्हें भारत के सबसे बड़े सामाज्य का शासक बनने का मौका मिला। 5. चंद्रगुप्त द्वितीय तथा कालिदास चंद्र गुप्त द्वितीय को अपनी उपाधि विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है जोकि उत्तर भारत के बेहद शक्तिशाली शासक थे। उनके क्षेत्र के अंतर्गत, देश में सुख और शांति बनी हुई थी। विक्रमादित्य शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। उनके दरबार में विभिन्न विद्वानों में कालिदास भी सम्मिलित थे, जोकि भारतीय इतिहास में महान नामों में से एक है। संस्कृत के कवि तथा नाटककार तथा हर काल के सबसे प्रसिद्ध भारतीय लेखकों में से एक थे। कालिदास को चंद्र गुप्त द्वितीय के दरबार में काफी प्रशंसा मिलती थी। ऐसा कहा गया है कि ‘बुद्धिमानी किसी विद्यालय से मिलने वाली चीज नहीं है, बल्कि इसे पाने में पूरी जिंदगी लग जाती है।‘’ इतिहास की ये घटनाएं हमें बताती हैं कि भारतीय इतिहास के कुछ महान शासकों ने विद्वानों और कलाकारों को किस तरह से संरक्षण दिया था। राजा कृष्णदेव राय और तेनाली रामा की कुछ ऐसी ही बेहतरीन कहानियां देखने के लिये आइये सोनी सब पर हर सोमवार से शुक्रवार, शाम 7.30 बजे और देखिये रोमांच पर से परदा उठते हुए। #bollywood news #bollywood #Bollywood updates #television #Telly News #Akbar Birbal #Krishnadevaraya हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article