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‘मेरा कर्म ही मेरा धर्म है, कब तक रोकोगे?’- प्रवीण तियोतिया कौन बनेगा करोड़पति 10 पर

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By Mayapuri Desk
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‘मेरा कर्म ही मेरा धर्म है, कब तक रोकोगे?’- प्रवीण तियोतिया कौन बनेगा करोड़पति 10 पर

एक किसान के परिवार से होकर नेवी में शामिल होना और फिर 26/11 जैसे आतंकी हमले से लड़ना... यह सब कैसा रहा?

यह मेरे लिए हमेशा से एक संघर्ष रहा। मेरी जिंदगी अब तक एक संघर्ष ही रही है। आज भी मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भी मेरे देश, मेरे राष्ट्र की सेवा में संघर्ष ही रहेगी।

केबीसी में आप जो भी राशि जीतेंगे, वह कहां जाएगी?

मैं इस प्रतियोगिता से जीती हुई सारी राशि आयरन मैन और अल्ट्रा मैन को दान दे दूंगा, जो पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं। मैं खुद भी 2020 में उसके लिए आवेदन करने वाला हूं। मैं इस राशि का स्तेमाल दुनिया की टॉप मैराथन में भाग लेने के लिए इस्तेमाल करूंगा और बची हुई राशि से मैं अपने गांव में बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी बनाउंगा।

श्री बच्चन के सामने बैठकर कैसा महसूस हुआ?

यह अद्भुत था। मेरे पास शब्द नहीं है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए। उनकी मौजूदगी और उनका व्यक्तित्व बहुत महान है। मैं सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का आभारी हूं जो इस तरह का एक गेम शो लेकर आए हैं। उसमें न सिर्फ लोगों का ज्ञान बढ़ता है बल्कि जवान भी यह शो देखते हैं। मैं एक सामान्य व्यक्ति हूं लेकिन कई सारे जवान हैं जिनकी जिंदगी संघर्षों से भरी है। वह अपनी उम्मीद छोड़ देते हैं। मैं उन लोगों से अनुरोध करना चाहता हूं कि उम्मीद कभी मत हारो। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास करते रहो। श्री बच्चन मेरे पिता के समान हैं और मुझे लगता है कि उनके आशीर्वाद की वजह से ही मैं जीत सका हूं।

आपके लिए कबतकरोकोगे क्षण क्या रहा?

यह सिर्फ मेरी जिंदगी में नहीं है बल्कि कई लोग अपनी जिंदगी में हार मान जाते हैं। यह उन्हें पूछना चाहिए कि ‘कबतकरोकोगे’। मेरा ऐसे लोगों से सिर्फ इतना कहना है कि अपने आप पर भरोसा करो। जब तक आप अपने आप पर कड़ी मेहनत नहीं करोगे और किसी बाधा की वजह से नहीं रुकोगे, आप जिंदगी में हमेशा तरक्की करोगे और इस बात की चिंता मत करो कि बाकी लोग क्या कर रहे हैं।

आपकी जिंदगी का कोई ऐसा पल जब आपको लगा होगा कि आपको सभी बाधाओं को धक्का देकर गिराना होगा और आगे बढ़ना होगा?

मैं आपको बताना चाहूंगा कि जब मैं आयरन मैन बनना चाहता था। मुझे पहाड़ी पर 110 किमी साइकिल चलानी थी। 70 किमी बचे थे, तब डी-रेलर टूट गया। तब मेरी एड़ी में चोट आई और मेरे घुटने छिल गए। इस घटना के बाद भी मैं रुका नहीं और अपना सफर पूरा किया। हमेशा जिंदगी में आगे बढ़ना का एक ही कारण होता है। यदि हम वहां पहुंच गए तो हम आगे जा सकतेहैं। मुजे लगता है कि मेरा कर्म ही मेरा धर्म है। यह आपको महसूस कराता है कि कोई भ्रष्टाचार या कोई गलत काम नहीं करना है। यदि आपको देश को आगे बढ़ाना है तो आपको जिंदगी में ‘बहानों’ से बचना होगा और आपको आगे बढ़ने के लिए ‘प्रयास’ करते रहने होंगे।

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