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इस नए साल को और भी शुभ बनाने के लिए शेमारू उमंग के कलाकार साल के पहले त्योहार मकर संक्रांति, लोहड़ी और उतरायण को मनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. शेमारू उमंग इस नए साल का स्वागत अपने कई नए यूनीक शोज़ के साथ करने वाला है, जिसका प्रीमियर आने वाले दिनों में होगा. इन कलाकारों ने अपने इस वर्ष के लिए अपने त्योहार मनाने की तैयारियों को लेकर बताई कई ख़ास बातें.
शेमारू उमंग के राज़ महल शो की अभिनेत्री नेहा हरसोरा ने अपनी मकर संक्रांति की तैयारी को लेकर बताया,
"मुझे मौका मिला तो मैं अपने भाई-बहनों, दोस्तों और परिवार के साथ मकर संक्रांति का त्यौहार मनाऊंगी. हालांकि, अपने शो राज़ महल के टाइट शेड्यूल के चलते मैं इस साल बहुत अच्छे से सेलिब्रेट नहीं कर पाउंगी. जबकि मेरी मां हर साल त्यौहार के दो दिन पहले से ही चिक्की और लड्डू बना लेती थीं और तिल के लड्डू मेरे पसंदीदा थे. हम हर साल इस त्यौहार पर अपने परिवार के साथ मंदिर जाकर प्रार्थना करते हैं, कुछ पैसे दान करते हैं, अपने लिए गुब्बारे और पतंग खरीदते थे और फिर साथ में पतंग उड़ाने थे. मैं गुब्बारों से खेलती थी और रात में उन्हें खुले आसमान में छोड़ देती थी क्योंकि मुझे पतंग उड़ाना नहीं आता था और अंत में रात को पूरा परिवार रात को खाना खाने जाया करता था."
शेमारू उमंग के 'किस्मत की लकीरों से' शो में महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे वरुण विजय शर्मा ने अपनी इस साल की लोहड़ी की तैयारी को लेकर बात करते हुए कहा,
"मेरे साथ मेरी पत्नी की यह पहली लोहड़ी है. दिल्ली में मैं जहां रहता हूँ वहां हम बहुत सारी रोशनी के साथ एक भव्य उत्सव का आयोजन करेंगे साथ ही अपने परिवार और दोस्तों को भी आमंत्रित करेंगे. अक्सर हम इस त्यौहार पर लोहड़ी जलाते हैं, उसपर फूलों और धानी की बौछार करते हैं, और रेवड़ी, चिक्की और गजक जैसी प्रसिद्ध मिठाइयाँ खाते हैं. हम निश्चित रूप से इसे अपने फॉलोअर्स के लिए इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हैं. बुनियादी अनुष्ठानों में इस दिन लोहड़ी को जलाना और उसके चारों ओर एक घेरा बनाना, उसमें धान फेंकना और ढोल बजाना शामिल होता है. साथ ही घर में बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं जिसमें से गाजर का हलवा मेरा पसंदीदा है."
शेमारू उमंग के शो 'किस्मत की लकीरों से' में श्रद्धा की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शैली प्रिया मकर संक्रांति के बारे में बतात करते हुए कहती हैं,
"हम बचपन से इस दिन का एक सांस्कृतिक तौर पर पालन करते थे जो हमें बड़ों ने सिखाया. सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और बिना खाए पीए सबसे पहले सूर्य देव की उपासना करना और उन्हें जल अर्पण करना. साल की नई फसल के लिए अपना आभार व्यक्त करना जो सूर्य की किरणों से उत्पन्न है. हम अपने दोपहर के भोजन में खिचड़ी कहते थे और अपने दोस्तों और परिवार के साथ तिल के लड्डू भी खाते हैं. 'किस्मत की लकीरों से' शो की शूटिंग के व्यस्त शेड्यूल के कारण मैंने मकर संक्रांति को लेकर अबतक कोई योजना नहीं बनाई है. बहरहाल, मैं मकर संक्रांति से जुड़ा एक अनुभव साझा करना चाहूंगी, जिसके लिए हम सेट पर शूट कर रहे थे. इस सीन के लिए मैंने पतंग उड़ाना सीखा क्योंकि इससे पहले मुझे पतंग उड़ाना नहीं आता था. हालाँकि हम वास्तव में अपने परिवार में ऐसे नहीं मनाते हैं जबकि हम तिल के लड्डू और खिचड़ी जरूर बनाते हैं. यह वो संस्कृति है जिससे मैं बचपन से परिचित रही हूं. इसलिए, मकर संक्रांति, जिसे बिहार में तिल संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है और हम इस अनुष्ठान को वर्षों से कर रहे हैं क्योंकि यह आपको जनवरी की ठण्ड में गर्म भी रखता है."