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गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

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By Mayapuri Desk
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गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

सोनी सब के ‘अलादीन : नाम तो सुना होगा’ से स्मिता बंसल-

गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

गणतंत्र दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमें जो स्‍वतंत्रता मिली है, वह लाखों लोगों के बलिदान की वजह से ही है और इस बात से मुझे भारतीय होने पर गर्व होता है। हमारे दैनिक जीवन में एक स्‍वतंत्र देश में रहने के लिये हम उन लोगों का शुक्रिया अदा करने का समय नहीं निकाल पाते और यह दिन हमें इसी बात की याद दिलाता है। इसलिये, यह मेरे परिवार के लिये हमेशा से ही एक महत्‍वपूर्ण दिन रहा है। मेरे माता-पिता यह सुनिश्चित करते थे हम बच्‍चे रिपब्लिक डे परेड देखें और हमें इसमें काफी मजा आता था। दूरदर्शन पर झंडोत्‍तोलन, परेड देखने और भाषण सुनने के लिये हम सुबह-सुबह तैयार हो जाते थे। हम इस बात पूरा ख्‍याल रखते थे कि हम इसे देखने से चूके नहीं। इसलिये, मैं भी यह कोशिश करती हूं कि मेरे बच्‍चे भी इसे देखें लेकिन दुर्भाग्‍य से यह ऐसा रिवाज नहीं रह गया है। हालांकि, मेरी बिल्डिंग में झंडा फहराया जाता है, जहां पर मैं अपनी बेटियों को लेकर जाती हूं और उन्‍हें देश के बारे में बोलने के लिये प्रोत्‍साहित भी करती हूं। मुझे लगता है कि वे अभी इस अहसास को नहीं समझती हैं, क्‍योंकि अभी यह उनके लिये बस शब्‍द है, लेकिन उन्‍हें इसके बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है, क्‍योंकि जब वे बड़े होंगे, तो उन्‍हें भारत जैसे आजाद देश में जन्‍म होने की शक्ति का अहसास होगा।

यह एक ऐसा दिन है, जब पूरे परिवार की छुट्टी होती है और हम एकसाथ समय बिताते हैं।

नीलु कोहली गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

हम आमतौर पर रिपब्लिक डे पर शूटिंग नहीं करते हैं, इसलिये यह छुट्टी का दिन होता है। हालांकि, मेरे लिये रिपब्लिक डे का मतलब है ''जिम्‍मेदारी के साथ आजादी का आनंद उठाना।'' मुझे लगता है कि यदि हम सब जागरूक बनने के लिये छोटे-छोटे कदम उठायें और छोटी-छोटी चीजों के लिये मिलकर हाथ बढ़ायें, तो यह देश रहने के लिये एक  और भी बेहतर जगह बन जायेगा। उदाहरण के लिये, हर कोई सड़कों को गंदा करने के बजाय एक छोटा सा गार्बेज बैग साथ लेकर चले और मैं हर किसी को यह समझाने की कोशिश करती रहती हूं। इसके साथ ही मुझे लोगों का लाइन में रहना भी अच्‍छा लगता है और यदि कोई लाइन में नहीं रहता है, तो मुझे यह हरकत अच्‍छी नहीं लगती। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, जिसके बारे में सभी लोगों पता होना चाहिये, यदि वे इस देश के जिम्‍मेदार नागरिक बनना चाहते हैं तो।

निखिल खुराना गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

मैं बचपन में कैंटोनमेंट एरिया में रहता था। गणतंत्र दिवस के दिन, हमारे स्‍कूल में झंडा फहराया जाता था और उसके बाद सभी बच्‍चे मार्च पास्‍ट करते थे और फिर हमें रिफ्रेशमेंट्स दिये जाते थे। इसलिये, हर स्‍कूल में 3-4 घंटे गणतंत्र दिवस का जश्‍न मनाया जाना चाहिये। हमें उस समय काफी मजा आता था, क्‍योंकि उस दिन कोई पढ़ाई नहीं होती थी और हम सिर्फ मस्‍ती करते थे। हर किसी के लिये मेरा बस यही संदेश है कि हमें किसी भी आधार पर खुद को बांटना नहीं चाहिये, बल्कि इसके बजाय एकसाथ मिलकर रहना चाहिये और जीवन का आनंद उठाना चाहिये।

सोनी सब के तेनाली रामा’ से कृष्‍णा भारद्वाज गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

रिपब्लिक डे मुझे अपने स्‍कूल के दिनों की याद दिलाता है। उस समय हमारे पड़ोस में देशभक्ति के गाने बजते थे और हम सफेद कपड़े पहनकर झंडे के पोल के नीचे रखने के लिये फूल लेकर जाया करते थे। हम ढेरों ऐक्टिविटीज में हिस्‍सा लेते थे, खासतौर से डांसिंग और सिंगिंग और चीफ गेस्‍ट के सामने परफॉर्म करने का बेसब्री से इंतजार करते थे। इन सबमें काफी मजा आता था और मुझे रिपब्लिक डे का बेसब्री से इंतजार रहता था।

मुझे लगता है कि, हम अपने दैनिक जीवन में जितना अधिक उलझेंगे, इस तरह से देशभक्ति वाले त्‍योहारों की अहमियत भूलते जायेंगे। मेरे हिसाब से यह अच्‍छी बात नहीं है। काश कि हमारे सेट पर भी झंडा फहराया जाता और हम स्‍कूल के दिनों की तरह ही पूरी यूनिट के साथ रिपब्लिक डे का जश्‍न मनाते।

अर्चना पूरन सिंह गणतंत्र दिवस पर सोनी सब के कलाकारों की राय

26 जनवरी का दिन सभी भारतीयों के लिये एक खास दिन है, क्‍योंकि 1950 में इसी दिन, भारत ने अपने संविधान को अपनाया था और देश गणतंत्र बना था। हम जब स्‍कूल में थे, तो उस समय हमारे लिये इस दिन का मतलब होता था, टीवी पर राजपथ पर पारंपरिक परेड देखना, प्रेरणादायक भाषण सुनना और मिठाईयां बांटना। अब हम इस साल हमारा 69वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, ऐसे में मुझे उम्‍मीद है कि मैं अपने बच्‍चों को भी उसी गौरव एवं आनंद का अहसास करा पाउं, जैसा मुझे इस दिन का जश्‍न मनाने में होता था। मैं कोशिश करती हूं कि इस दिन पूरे परिवार के साथ परेड देखूं और भाषण सुनूं। क्‍योंकि यह हम सभी को एकसाथ लेकर आता है। परेड देखकर और भाषण सुनकर खुद-ब-खुद देशभक्ति का भाव जाग जाता है और काफी गर्व होता है, इसलिये बच्‍चों को भी इसके लिये प्रोत्‍साहित करना जरूरी है। इसलिये मैं और मेरे पति जब तक जिंदा है रिपब्लिक डे पर इस परंपरा को आगे लेकर जायेंगे। उम्‍मीद है कि हमारे बच्‍चे भी इस परंपरा को बढ़ायेंगे। जय हिंद! जय भारत!

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