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भक्ति राठौर (सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ की उर्मिला)
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बचपन में स्वतंत्रता दिवस का मतलब था एक मंच या कई दूसरे मंच पर एक देशभक्ति से भरा भाषण देना। बचपन में मेरी मां ने मेरे अंदर एक भावना बहुत ही कूट-कूट कर भरी थी और वह थी ‘देशभक्ति’ । वह मेरे पढ़ने, समझने और बोलने के लिये काफी अच्छी और फैक्ट्स से भरपूर भाषण लिखा करती थीं।
मुझे बचपन की अपनी एक बात याद है। जब मैं 5 साल की थी और मैंने अपना पहला देशभक्ति का भाषण दिया था,तो मेरी मां मुझे बड़े गार्डन में खेलने के लिये ले गयी थीं। बदकिस्मती से मैं गिर गयी और अपना दायां हाथ तुड़वा बैठी। 2 महीने तक मेरे हाथ पर प्लास्टर चढ़ा रहा। अपने सुपरहिट परफॉर्मेंस के अगले दिन प्लास्टर चढ़ाकर स्कूल जाने में मुझे बहुत शर्म महसूस हो रही थी। मेरी मां ने तब कहा था, “हमारे देश के ज्यादातर नेता, देशभक्ति का अच्छा भाषण देते समय प्लास्टर में ही होते थे।” मैं उस बात को भूली नहीं।
अपने सभी फैन्स को मैं यह कहना चाहूंगी कि देश से प्यार करने का मतलब है एक जिम्मेदार नागरिक बनना और हर किसी को इसके लिये कोशिश करनी चाहिये।
हिबा नवाब (सोनी सब के ‘जीजाजी छत पर हैं’ की इलायची)
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हम जब स्कूल में थे तो स्वतंत्रता दिवस मनाया करते थे और वह काफी भव्य हुआ करता था। मैं एक कॉन्वेट स्कूल में पढ़ा करती थी और स्कूल के फादर आकर झंडा फहराते थे। इसके बाद, स्टूडेंट्स डांस करते थे, गाते थे, देशभक्ति गाने पर परफॉर्म करते थे और साथ ही टीचर्स भी परफॉर्म करते थे। उसके बाद सेलिब्रेशन थोड़े स्वादिष्ट नाश्ते और मिठाई के बाद खत्म हो जाता था और इस चीज के लिये हम सबसे ज्यादा उत्सुक रहते थे।
झंडा फहराते हुए और राष्ट्र गीत गाते हुए जब भी हम स्वतंत्रता दिवस मनाते थे मेरे तो रोंगटे खड़े हो जाया करते थे। एक होने की भावना, जिसमें कोई जाति, नस्ल या रंग अलग नहीं कर सकती, वह बात मुझे हमेशा ही हिला कर रख देती थी।
इस स्वतंत्रता दिवस पर अपने सभी फैन्स को मैं यह कहना चाहूंगी कि अपनी नकारात्मक सोच से मुक्त हों। खुद भी मुक्त हों और औरों को भी मुक्त करें।
कृष्णा भारद्वाज (सोनी सब के ‘तेनाली रामा’ के रामा)
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स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पास जो आजादी है वह उन बलिदानों की वजह से है और इससे मुझे एक भारतीय होने पर गर्व महसूस होता है। जब हम छोटे थे, उस दिन प्रेरणादायी भाषण सुना करते थे और स्कूल में स्पेशल डांस/एक्ट करते थे। हम तैयार होने के लिये, उन कपड़ों को पहनने और झंडे के पोल के नीचे रखने के लिये स्कूल फूल ले जाने के लिये काफी उत्साहित रहते थे। मुझे वाकई उन दिनों की बहुत याद आती है।
हर भारतीय की जिंदगी में यह वाकई बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है और हमें अपने देश पर गर्व है। हमारे अंदर सिर्फ इन देशभक्ति के त्योहारों वाले दिन ही देशभक्ति नहीं जगनी चाहिये, बल्कि हमें जीवन में हर दिन देश को बनाने का काम करना चाहिये और इस देश के स्वतंत्रता सेनानियों का सिर गर्व से ऊंचा करना चाहिये।
निखिल खुराना (सोनी सब के ‘जीजाजी छत पर हैं’ में पंचम)
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मैंने आर्मी स्कूल से पढ़ाई की है, इसलिये स्वतंत्रता दिवस के दिन बहुत बड़ा कार्यक्रम हुआ करता था। राष्ट्रीय छुट्टी होने के बावजूद, हमें सुबह 8 बजे झंडा फहराने के लिये स्कूल आना पड़ता था, हम अपना मार्च पास्ट करते थे, राष्ट्र गीत गाते थे और फिर उसके बाद नाश्ता मिलता था। उस दिन की सबसे अच्छी बात होती थी कि हमें 11 बजे तक छुट्टी मिल जाती थी और हम सब कुछ अच्छा स्नैक्स खाने के लिये रेस्टोरेंट जाते थे। उसमें हर कोई अपनी तरफ से पैसे मिलाता था।
मेरे ख्याल से स्वतंत्रता दिवस एक ऐसा दिन होता है जिससे यह पता चलता है कि इंसान के तौर पर हमें आजाद रहने का और लोकतंत्र में जीने का अधिकार है। हमारे पास अधिकार हैं और हमें उन्हें जानना चाहिये, क्योंकि यदि आप नागरिक के तौर पर अपने अधिकार नहीं जानेंगे तो काफी मुश्किल हो सकती है। यह दिन एक ऐसा पल लाता है, जोकि आपको अपने देश और अपनी बेहतरी के लिये काम करने के लिये प्रेरित करता है।
मैं अपने फैन्स से कहना चाहूंगा कि बस इस दिन का लुत्फ लें और अपने परिवार के साथ वक्त बितायें।
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