अक्षिता मुद्गल (सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ की गायत्री)
‘रक्षाबंधन’ में ‘रक्षा’ शब्द भाई और बहन के बीच के खूबसूरत रिश्ते और एक-दूसरे की रक्षा के वचन को दर्शाता है। यह एक उत्सव होता है और एक-दूसरे के लिये हमेशा मौजूद रहने का संकल्प। मुझे लगता है कि मेरे भाई,अभिषेक पिता का ही रूप हैं। मुझे आज भी बचपन के वो दिन याद हैं जब हमारा पूरा परिवार दादाजी के घर पर इकट्ठा होता था और बहुत ही बड़ा कार्यक्रम होता था। सारी बहनें एक लाइन से खड़ी हो जाती थीं और अपने भाइयों की कलाई पर कलरफुल राखी बांधा करती थीं। मुझे बहुत ही बेसब्री से इस दिन का इंतजार रहता था, जहां सारे कजिन्स एक साथ होते थे और उन्हें तोहफे मिलने का इंतजार होता था।
एक बार मेरे भाई ने मेरे साथ मजाक किया था, उन्होंने दिखाया कि ‘रक्षाबंधन’ पर वह मेरे लिये गिफ्ट नहीं ला पाये। मैं वाकई बहुत ही दुखी थी, क्योंकि वह मेरे लिये साल का सबसे अहम दिन होता था। लेकिन बाद में उन्होंने मुझे एक खूबसूरत सा हैंडबैग देकर मुझे सरप्राइज कर दिया।
समय बदल गया है और मेरे व्यस्त शेड्यूल के साथ, मैं बचपन के उन दिनों को कितना भी वैसा करना चाहूं लेकिन यह आसान नहीं होता । अभिषेक भैय्या, मेरी बहन प्रियंका और मैं बाहर जाकर थोड़ा समय साथ गुजरने की कोशिश करते हैं। प्रियंका और मैं काफी करीब हैं। उसे अपने कोई दिल की बात कहनी होती है तो वह मेरे और भाई के पास आती है। इस ‘रक्षाबंधन’ मुझे उम्मीद है कि अपने भाई और बहन के लिये वक्त निकाल पाऊंगी, ताकि हम बाहर जा सकें और खूब सारी मस्ती कर सकें।
अक्षय केलकर (सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ के अभिषेक)
‘रक्षाबंधन’ का मेरे जीवन में काफी महत्व है। मेरी बहन श्रद्धा और हमारा रिश्ता टॉम और जैरी की तरह है। हर बार यह होता ही है कि इस दिन से पहले हमारी कितनी भी लड़ाई हुई हो, हम उसे सुलझा लेते हैं।
हमारे घर पर एक रिवाज चला आ रहा है कि मेरी मां स्वादिष्ट खाना बनाती हैं और खूब सारा खाना बनाती हैं। वहीं मेरी बहन मीठा बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेती है। मैं कोशिश करता हूं कि कुछ ऐसा खरीदूं, जिसे वह हमेशा याद रखे और इस साल भी ऐसा ही होगा। मेरा हमेशा से आर्ट की तरफ रुझान रहा है और यह बात मुझे खुशी और गर्व से भर देती है कि मेरी बहन ने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया । वह एक आर्ट टीचर है और मुझे उस पर गर्व है। अब जबकि मैं टेलीविजन इंडस्ट्री का हिस्सा बन गया हूं और मेरे वक्त का कुछ तय नहीं होता है। जब उसे देखता हूं तो मुझे अपने उन दिनों की याद आ जाती है जब मैं पेंट किया करता था। वह एक कमाल की आर्टिस्ट है और वह मुझे प्रेरित करती है।
मुझे अपने काम में काफी समय लगाना पड़ता है, लेकिन हम इसे जरूर मनायेंगे। वह मेरी छोटी बहन है और यह वह दिन होता है जब मैं अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता हूं और हम अपने खूबसूरत रिश्ते का जश्न मनाते हैं। मेरा मानना है कि भाई-बहन आपके लिये भगवान का तोहफा होते हैं, आपके हमेशा के साथी और आपके रक्षक। तो सभी भाई और बहन अपने भाई और बहनों को खास महसूस करायें और एक-दूसरे को हमेशा प्यार दें और उनका सपोर्ट करते रहें।
निखिल खुराना (सोनी सब के ‘जीजाजी छत पर हैं’ के पंचम)
‘रक्षाबंधन’ से जुड़ी बचपन की कुछ बेहद खूबसूरत यादें हैं। बचपन में यह रस्म काफी व्यवस्थित रूप में हुआ करती थी। मेरी मां सोचती थीं कि मुझे अपनी बहन को तोहफे में क्या देना है और मैं अपनी बहन नेहा के लिये कुछ खरीदता था जो वह चाहती थी। ‘रक्षाबंधन’ का त्योहार मुझे हमेशा ही मेरी बहन और हमारी दोस्ती की याद दिलाता है, लेकिन अब उसकी शादी हो गयी है, हम हर साल एक साथ समय नहीं बिता पाते हैं। मेरे पास ‘रक्षाबंधन’ से जुड़ी स्कूल के दिनों की काफी सारी यादें हैं। जब मैं सिक्स्थ या सेवेंथ क्लास में पढ़ता था, मुझे याद है मेरे हाथ राखी से पूरी तरह भर जाते थे, यह शायद इसलिये था क्योंकि मैं अपने क्लासमेट्स के बीच काफी मशहूर था या लड़कियां मेरे अंदर भाई देखती थीं। मुझे याद है उस दिन मुझे काफी अच्छा लगता था।
जिस साल ‘रक्षाबंधन’ पर नेहा नहीं आ पाती है, वह मुझे राखी जरूर भेजती है, जिसे बाद में मेरी मां मेरी कलाई पर बांधती हैं। इस साल ‘रक्षाबंधन’ मनाने के लिये मैं बहुत उत्सुक हूं, क्योंकि मेरी बहन मुंबई आ रही है और मैं उसके साथ बचपन की कुछ बेहतरीन यादों को दोबारा जीने के लिये उत्साहित हो रहा हूं। मुझे याद है बचपन में हम बहुत लड़ा करते थे और बाद में माफी मांग लेते थे और राखी का दिन साथ में बिताते थे। उसने मेरे पूरे करियर और जीवन में मुझे बहुत सपोर्ट किया है। मैं उस पर बिना किसी संकोच के किसी भी चीज के लिये भरोसा कर सकता हूं। मैंने इसे शब्दों में शायद बयां कर पाऊं लेकिन वह मेरे लिये बहुत मायने रखती है।
मैं हर किसी को यह कहना चाहूंगा कि इस ‘रक्षाबंधन’ अपने बचपन की कुछ यादों को जरूर फिर से जियें और अपनी बहन को खास होने का अहसास करायें।