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स्मिता बंसल (उर्फ सोनी सब के ‘अलादीन : नाम तो सुना होगा’ की अम्मी)
होली रंगों और मस्ती का त्यौहार है। जब हम छोटे थे तो होली के त्यौहार का बेसब्री से इंतजार किया करते थे, क्योंकि हम अपने दोस्तों के घर जाते थे, उनसे मिलते थे और उनके साथ रंगों तथा पानी से खेलते थे। अपने बचपन के दिनों में, मेरी मां मुझसे कहती थीं कि होली दहन के दौरान अग्नि को देखना बहुत अच्छा होता है, क्योंकि यह आपके शरीर को शुद्ध करता है और इसके सेहत से जुड़े फायदे भी हैं।
अब मुझे लगता है कि होली के दिन बहुत ज्यादा पानी की बर्बादी होती है और इसे लेकर आज के समय में चिंता बढ़ती जा रही है। मैं बच्चों से कहती हूं कि होली के दिन पानी बर्बाद ना करें, लेकिन मैं चाहती हूं कि उनसे उनकी मस्ती ना छीनी जाये। इसलिये, एक बच्चे को एक बाल्टी की इजाजत तो मिलनी चाहिये। लोगों को कभी भी जरूरत से ज्यादा पानी बर्बाद नहीं करना चाहिये और आम दिनों में भी पानी सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिये।
मुझे ऐसा लगता है कि कोई भी त्यौहार मनाने का सबसे अच्छा तरीका होता है अपने परिवार के साथ इसे मनाना और ऐसे मौकों की यही खूबसूरती है। मैं खुद भी अपने बच्चों को उनके दादा-दादी के घर ले जाती हूं, ताकि वह अपने परिवार से मिल सकें, जिनसे उन्हें रोज मिलने का मौका नहीं मिलता है।
गुल्की जोशी (सोनी सब के ‘मैडम सर’ की हसीना मलिक)
मुझे ऐसा लगता है कि होली का त्यौहार दुश्मनी को भुलाने का होता है। हो सकता है आप किसी इंसान से बात ना करते हों लेकिन जब सारे लोग एक-दूसरे के ऊपर रंग डाल रहे होते हैं तो आप अपने आप ही दोस्त बन जाते हैं। हर कोई खुशियों और एकता के रंग में रंग जाता है। मैं हमेशा ही बड़े धूमधाम से होली मनाती हूं। जैसे ही मैं उठती हूं, सबसे पहले अपने ऊपर रंग लगाती हूं और उसके बाद परिवार के बाकी लोगों के ऊपर रंग डालती हूं। इसके बाद, अपने दोस्तों को होली की शुभकामनाएं देने उनके घर जाती हूं। उस दिन मैं सारे दोस्तों से मिलने की कोशिश करती हूं, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि एक त्यौहार मनाने का सबसे अच्छा तरीका होता है उसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ मनाया जाये।
बचपन से ही हम इस त्यौहार से जुड़ी कहानी सुनते आये हैं और मेरा ऐसा मानना है कि यदि आपके इरादे सही हों तो बाकी कोई भी चीज मायने नहीं रखती है।
आजकल होली में पानी की बर्बादी को लेकर काफी जागरूकता आ गयी है। वैसे मेरा ऐसा मानना है कि आम दिनों में भी पानी की उतनी ही बर्बादी होती है। लोगों को यह समझना होगा कि यदि आप पानी बचाना चाहते हैं तो नहाने के लिये कम पानी का इस्तेमाल करें या ब्रश करते समय नल को बंद रखें। आप सिर्फ यही नहीं सोच सकते कि होली के दिन पानी का इस्तेमाल ना करके बहुत कुछ किया जा सकता है
देव जोशी (सोनी सब के ‘बालवीर रिटर्न्स’ के बालवीर)
होली से जुड़ी बचपन की मेरी बहुत ही मीठी यादें हैं। अपने होमटाऊन में मैं हमेशा अपने हाथों को रंग में डुबो लेता था और घर की दीवारों पर अपने हाथों की छाप लगाता था। मुझे पिचकारी भी बहुत अच्छी लगती थी और मैं होली से पहले अलग तरह की पिचकारी खरीदा करता था। हमारी सोसाइटी में एक अंकल थे, जो मुझे डांटा करते थे, क्योंकि होली के समय मैं पिचकारी से उनकी गाड़ी पेंट कर दिया करता था।
मुझे अहमदाबाद में ‘टमाटर वाली होली’ में जाने का भी मौका मिला है, जहां टमाटर से होली खेलते हैं। मैं वहां गेस्ट के तौर पर गया था और इसलिये हर किसी के साथ नहीं खेल सकता था, लेकिन वह सेलिब्रेशन ऐसा था, जिसे मैं हमेशा याद रखूंगा। होली पूरण पोली की मीठी यादें लेकर आता है, यह मेरे सबसे पसंदीदा मीठे पकवानों में से एक है और मेरी मां वाकई बहुत ही स्वादिष्ट पूरण पोली बनाती हैं, जिसका मुझे हर होली पर इंतजार रहता है।
इस होली, मैं अपने सभी फैन्स से कहना चाहूंगा कि इस त्यौहार को सुरक्षित तरीके से खेलें और नुकसान पहुंचाने वाले रंगों का इस्तेमाल ना करें और साफ पानी का उपयोग करें। यह त्यौहार मस्ती और खुशियों का है जो सबको जोड़ता है। तो फिर इसका ज्यादा से ज्यादा लुत्फ उठाने का प्रयास करें।
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