अब इस कहानी की शुरुआत उस समय हुई जब एक व्यापारी जेठालाल की दुकान पर आकर अपने बिज़नेस के बारे में बात करता है और बताता है कि वो अपनी दुकान बेचने के बारे में सोच रहा है। जेठालाल सोचने लगता है कि आजकल उसकी दुकान पर भी छोटी छोटी बिक्री ही हो रही है और ये सोच कर उसे गुस्सा आने लगता है। जैसे-जैसे दिन बढ़ता है वैसे-वैसे उसका फ़्रस्ट्रेशन भी बढ़ता है।
अगले दिन अख़बार पढ़ते समय भिड़े गाड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स को बेचने का एक विज्ञापन देखता है। वो माधवी के साथ तुरंत मेहता के घर जाता है और धीरे-धीरे पूरा गोकुलधाम वहां पर जमा हो जाता है क्योंकि सभी ने वह विज्ञापन देख लिया था । उधर जेठालाल बापू जी से अपनी परेशानी बताता है और कहता कि उसका मन करता है कि दुकान बेचकर वह गुजरात वापस चला जाये। बापू जी उसे समझाते हैं कि सब ठीक हो जायेगा। सभी गोकुल धाम वासी उसे मेहता के घर बुलाते हैं पर उनके कुछ बोलने से पहले ही बापूजी चिल्ला कर जेठालाल को सोसाइटी के कम्पाउन्ड में बुलाते हैं। सभी उसके पीछे-पीछे कम्पाउन्ड में आते हैं और विज्ञापन देखकर जेठालाल भी आश्चर्यचकित रह जाता है।
क्या करेगा जेठालाल? किसने उसके मन की बात समझ कर ये विज्ञापन डाला है ? क्या जेठालाल भी दया बहन की तरह गुजरात चला जायेगा?