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पंडित राम कृष्णा उर्फ तेनाली राम राजा कृष्णदेव राय के दरबार का हिस्सा बनने के लिए विजयनगर साम्राज्य पहुंचते हैं। काफी परेशानियों और कोशिशों के बाद आखिकार राम, राजा कृष्णदेव राय के दरबार का हिस्सा बन ही जाते हैं। उन्हें विदूषक के तौर पर नियुक्त किया जाता है, जो तथाचार्य को पसंद नहीं आता। इसके बाद, तथाचार्य दरबार में राम के लिये कई सारी मुश्किलें खड़ी करता है, लेकिन इस बार राम ने तथाचार्य को मुसीबत में डाल दिया है।
इस शो की कहानियों में, दोनों ही रानियों के लिये दो नकली सिंदूरपट बनाकर राम सिंदूरपट की समस्या को सुलझाते हैं और असली सिंदूरपट राजा कृष्णदेव राय को सौंप देते हैं। राम के समाधान से संतुष्ट और प्रसन्न राजा असली सिंदूरपट गांव में देवी की पूजा के लिये तथाचार्य को दे देते हैं और उससे राम का बखान करते हैं कि कैसे दोनों रानियों को दो सिंदूरपट देकर उन्होंने समस्या को सुलझाया। राम से नफरत करने वाला तथाचार्य इस मौके का फायदा उठाने के विषय में सोचता है। वह राम को धमकाता है कि वह दोनों ही रानियों के सामने सच का इस तरह से खुलासा कर देगा कि सभा में वो पूरे साम्राज्य के सामने बेनकाब हो जायेगा। लेकिन राम को तुरंत ही उपाय सूझता है और वो तथाचार्य की प्रेमिका सौदामिनी को असली सिंदूरपट लेने के लिये और उसे अपने पास रखने के लिये उकसाते हैं। सौदामिनी बड़ी ही मासूमियत से सिंदूरपट के लिये कहती है और उसे देने के सिवाय तथाचार्य के पास और कोई रास्ता नहीं बचता। क्या होगा जब तीनों ही महिलायें आमने-सामने होंगी?
तथाचार्य सौदामिनी के पास सिंदूरपट होने की बात पर राजा को क्या जवाब देंगे? क्या तथाचार्य का सच सबके सामने आ जायेगा?
इस कहानी के विषय में बताते हुए, कृष्ण भारद्वाज कहते हैं, ‘‘तथाचार्य के कारण राम हमेशा ही मुसीबत में फंस जाता है और अब उसे तथाचार्य को मुसीबत में डालने का मौका मिला है। यह ट्रैक उस समय काफी मजेदार हो जाता है, जब तीनों महिलायें एक तरह का ही सिंदूरपट पहनकर आमने-सामने आती हैं। तथाचार्य मजबूर हो जाता है और राम से मदद मांगता है। इसमें ट्विस्ट होगा कि क्या राम इस बार तथाचार्य की मदद करेगा।’’