बात विजय दशमी या दशहरा की हो और राम का जिक्र ना हो, कैसे हो सकता है। जब टेलीवीज़न पर्दे के सबसे पॉपुलर राम, यानी-रामानंद सागर की ‘रामायण’ के राम-अरुण गोविल से बात होती है तब मालूम पड़ता है कि पिछले दिनों उनसे बहुत से पत्रकारों ने एक ही सवाल पूछा है कि वह राजनीति में सक्रिय भागीदारी कब से निभाने वाले हैं? और इस सवाल पर वह ज्यादा कुछ बोलना नहीं चाहते। “यह आला कमान जानें की मुझसे कब और क्या और कितना काम लेना चाहेंगे। मैं तैयार हूं।” अरुण गोविल खुद को लेकर हो रही राजनीतिक चर्चा पर चुप ही रहना चाहते हैं हालांकि सबको पता है कि वह बीजेपी से नज़दीक आ चुके हैं। “मैं जीवन को शांत और सरल तरीके से जीने में यकीन करता हूं। मेरे अंदर आया यह भाव भी शायद रामजी की ही कृपा से है।” अरुण के दोस्त मानते हैं कि वह एक फिलोस्फिकल सोच के व्यक्ति बन चुके हैं। अपनी डीडी पर खुद की सीरियल ‘धरती की गोंद में’ में अपने हिस्से वह दार्शनिक रोल ही रखे हैं। डीडी के लिए मेरे मन मे सदैव सम्मान रहा है। रामायण भी तो डीडी नेशनल पर ही था। जो क्रेज़ रामायण ने बनाया था अब वो सोचना भी सिर्फ रामायण के बस की बात है। पिछले साल भर उसी शृंखला के रिपीट रन ने भी किसी को बराबरी की दौड़ में भी शामिल नहीं होने दिया। हर भाषा मे रामायण के रूपांतरण ने क्रांति पैदा किया है।“ अरुण गोविल कहते हैं– “मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि मैं इस मेगा सीरीज का नायक था। इसके नायक तो राम थे। राम से बड़ा इस देश मे कोई दूसरा नायक नहीं है। मैं फ़िल्म के पर्दे की बात नहीं कह रहा हूं, मैं संपूर्ण ब्रह्मांड की बात कह रहा हूं।” राम भक्ति और भक्तों का जिक्र आने पर वह बताते हैं- “मैंने वह दौर देखा है जब ’रामायण’ खत्म होने के बाद हम बुलाये जाते थे वहां हर जगह 20-25 -50 हज़ार की भीड़ पहले से जुट जाती थी। हज़ारों लोग एक साथ हमें दंडवत करते थे। पैरों पर गिर जाते थे। समय जैसे ठहर जाता था। हम हैरान होते थे। लोगों की वो श्रद्धा ! वो सब राम के लिए थी। हमसब पर राम की कृपा थी,बस। मैं, अरविंद जी( रावण), सुनील लहरी(लक्ष्मण), दीपिका (सीता), दारा सिंह जी(हनुमान) किसी को कुछ समझ नहीं आता था। हम एक्टर थे लेकिन भक्तों ने हमें न जाने क्या बना दिया था।” ‘रामायण’ के दिनों के अपने साथी रावण-अरविंद त्रिवेदी को याद करके वह गमगीन हो उठते हैं- “एक बहुत उम्दा कलाकार थे वह, हमारे बीच नहीं हैं आज! जहां राम का जिक्र आता है वहां रावण का जिक्र आता है। सागर साहब (रामानंद), दारा जी, रवि नगाइच ये सब विभूतियां हैं जिनको हमेशा याद रखा जाएगा।” किसान चैनल पर चल रहे अपने धरवाहिक “धरती की गोद में” को लेकर वह कहते हैं कि इसको करने के दौरान वह देश की, गांव- किसान की मुश्किलों को समझ पाए हैं। सरकार की सतत कार्य करने और समस्यावों को सुलझाने की बात समझ सके हैं। दशहरा पर अपने चाहने वाले फैंस और प्रशंसकों को शुभ कामना देते हुए 'मायापुरी' के पाठकों को भी याद करना नही भूलते, बधाई देते हैं। कहते हैं- “मैं सबको एक ही बात कहना चाहूंगा कि राम हमारे आदर्श हैं भगवान हैं...राम का नाम बदनाम न करो। राम से बड़ा कोई आदर्श नहीं है इस धरती पर।”
जन्मदिन विशेष अरुण गोविल: राम से बड़ा इस देश मे कोई दूसरा नायक नहीं है
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