'सपना बाबुल का… बिदाई', 'ये रिश्ता क्या कहलाता है', 'ये रिश्ते हैं प्यार के', 'कुछ तो लोग कहेंगे', 'अमृत मंथन' और 'अनुपमाँ' जैसे शो के साथ राजन शाही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम है। ज्योति वेंकटेश
यहां पांच ऐसे कारण हैं जो उन्हें इंडस्ट्री में दूसरों से अलग करते हैं।
उनके करियर के शुरुआती चरण में: हालांकि वह पहली बार एक अभिनेता बनने के लिए मुंबई आए थे, इंडस्ट्री में उनकी यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने 'इम्तिहान' के लिए रवि राय को असिस्ट किया था। उसके बाद उन्होंने 'सैलाब' में उनके साथ एक निर्देशक के रूप में काम किया और अपनी पहली स्वतंत्र परियोजना 'दिल है कि मानता नहीं' का निर्देशन किया था। बाद में उन्होंने निर्देशक कुट प्रोडक्शंस नाम से अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी शुरू की और अपने बैनर के तहत अपना पहला शो 'सपना बाबुल का… बिदाई' बनाया। चूंकि उन्होंने बेसिक से इसकी शुरुआत की थी, वह इंडस्ट्री के बारे में अच्छी तरह जानते हैं और अपने कदमो को आगे बढ़ाते हैं।
काम के प्रति उनका रवैया: इंडस्ट्री में बहुत से प्रोड्यूसर अपने शो के सेट पर नहीं आते, जितनी बार राजन आते हैं। वह न केवल स्टोरी मेकिंग प्रोसेस में शामिल होते हैं, बल्कि अपनी टीम को प्रेरित करने के लिए शूटिंग के दौरान भी मौजूद रहते हैं। इससे पता चलता है कि वह अपने काम के प्रति कितना समर्पित और भावुक है।
कलाकारों और चालक दल के साथ उनका कनेक्शन: अपने कलाकारों और चालक दल की अच्छी देखभाल करने के लिए वह व्यक्तिगत स्तर पर सभी के साथ बातचीत करते हैं, राजन शाही उनके लिए सब करते हैं, इतना ही नहीं उनके अभिनेता उन्हें घर से कॉल करके शो के सेट पर बुलाते हैं। इससे पता चलता है कि वह अपनी टीम से कितने जुड़े हुए है।
ट्रेंडसेटर: 'सपना बाबुल का… बिदाई' से लेकर 'अनुपमाँ' तक, राजन शाही ने ऐसे शो बनाए हैं जो उन शो से बिलकुल अलग है जो वर्तमान में ऑन-एयर हुए थे। यह 'सपना बाबुल का… बिदाई' में दो बहनों की कहानी हो या 'अनुपमाँ' में एक मध्यम आयु वर्ग की महिला की कहानी हो, वह इन अनूठी कहानियों के साथ टीवी पर रुझान स्थापित कर पाए है।
कास्टिंग के लिए एक महान परख: उनके किसी भी शो का नाम सुनते ही आपको इसमें अभिनेताओं का सबसे सूटेबल सेट मिलेगा। चाहे यह 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में हिना खान और करण मेहरा हों, मौजूदा जोड़ी मोहसिन खान और शिवांगी जोशी हो, या 'सपना बाबुल का...बिदाई' में सारा खान, पारुल चौहान और अंगद हसीजा हो, या 'अनुपमाँ' में रूपाली गांगुली और सुधांशु पांडे हो, राजन शाही के सभी कलाकार अपने पात्रों में पूरी तरह से फिट हैं और अपने-अपने चरित्र को बहुत वास्तविक और भरोसेमंद तरीके से दर्शाते हैं।
अनु- छवि शर्मा