भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ज़िंदगी अपने दर्शकों के लिये लेकर आया है ‘टोबा टेक सिंह’ का भारतीय टेलीविजन प्रीमियर, जो प्यार एवं आजादी का जश्न मनाते हुये अपने दर्शकों को एक भावनात्मक सफर पर ले जायेगा. ‘टोबा टेक सिंह’ में बंटवारे के बाद की दुनिया की झलक दिखाई गई है और यह फिल्म यह दिखाती है कि सीमाओं के खिंच जाने से कैसे पलक झपकते ही लोगों की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई. सआदत हसन मंटो की एक मार्मिक कहानी से प्रेरित इस फिल्म में उस पीड़ा एवं नुकसान को दर्शाया गया है, जो बंटवारे के बाद लोगों के हिस्से में आई, फिर वे चाहे जो भी हों, जहां से भी आये हों और उनकी मानसिक अवस्था चाहे जैसी भी हो. इस फिल्म का प्रसारण ज़िंदगी के डीटीएच प्लेटफॉर्म्स टाटा प्ले, डिश टीवी और डी2एच पर 14 अगस्त को रात 8 बजे किया जायेगा और यह दर्शकों को एक भावनात्मक सफर पर लेकर जायेगी.
भारत-पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधरित, इस फिल्म में बिशन सिंह के एक मानसिक स्वास्थ्य जांच केन्द्र से पागलखाने तक पहुंचने के सफर को दिखाती है, जिसकी शुरूआत उसके गांव टोबा टेक सिंह से होती है. फिल्म बिशन सिंह और पागलखाने के अन्य मरीजों के दर्द एवं दुर्भाग्य को दिखाती है, जिन्हें उस एकमात्र जगह को छोड़ना होगा, जिसे वे जानते हैं और अपना घर बुलाते हैं. यह विस्थापन और पागलपन की कहानी है, जो मानवता को झकझोरती है.
फिल्म पर काम करने के अपने अनुभव के बारे में पंकज कपूर ने कहा, “टोबा टेक सिंह विभाजन पर लिखी गई सबसे बेहतरीन कृतियों में से एक है. मुझे लगता है कि सआदत हसन मंटो ने इतनी उम्दा कहानी लिखकर अपना योगदान दिया और मैं डायरेक्टर केतन मेहता और ज़ी (ज़िंदगी) को बधाईयां देता हूं कि वे इस फिल्म को दर्शकों के लिए लेकर आ रहे हैं. इसके अलावा, टेलीविजन पर इस फिल्म का प्रीमियर किये जाने से ये ज्यादा संख्या में दर्शकों तक पहुंचेगी. निजी तौर पर कहूं तो, टोबा टेक सिंह हम सभी को एकसाथ लाती है और मुझे इस फिल्म और इसकी कहानी से बहुत मजबूत जुड़ाव महसूस होता है.”
केतन मेहता ने कहा, “टोबा टेक सिंह’ मेरे कॉलेज के दिनों से ही मेरी पसंदीदा कहानियों में से एक रही है. यह इंसानियत और आजादी के विचार के बारे में बुनियादी मुद्दों को उठाती है. टोबा टेक सिंह एक विवेकशून्य कहानी है, जहां स्थितियां बहुत ज्यादा खेदजनक, उन्मादी, मजाकिया और दुखद हैं. फिल्म की शूटिंग एक रचनात्मक प्रक्रिया थी और हर सीन बहुत चुनौतीपूर्ण था. इतने सारे प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा. आजादी की 75वीं सालगिरह इस फिल्म के टेलीविजन प्रसारण के लिये एक बेहद अनुकूल अवसर है.”
फिल्म के बारे में बात करते हुये, ऐक्टर विनय पाठक ने कहा, “टोबा टेक सिंह पर आधारित केतन की फिल्म का हिस्सा बनना और मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो का किरदार निभाना मेरे लिये बेहद सम्मान की बात है. केतन के दृढ़ विश्वास की वजह से ही मैं इस किरदार की कई परतों को परदे पर उतारने और उसके सिनेमाई अंदाज में इस कहानी को बयां करने में सक्षम हो पाया. केतन और मुझे दोनों को ही मंटो का काम बहुत पसंद है और इस प्रतिष्ठित लेखक की दुनिया को समझने के लिये हमने उनकी कुछ और कहानियां भी एकसाथ पढ़ीं. पंकज जी के साथ काम करके बहुत मजा आया और सेट पर उन्हें देखना दिलचस्प था, क्योंकि वे एक कलाकार के रूप में अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं. यह फिल्म बंटवारे से प्रभावित हुये लोगों की दिल छू लेने वाली दास्तान दिखाती है. कई लोग तो आज भी उस बंटवारे का दर्द झेल रहे हैं, जो कई सालों पहले हुआ था.”