भारत में सांस्कृतिक विविधता के चलते कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। इन त्योहारों का सबसे महत्वपूर्ण तत्व होता है सजावट, जैसे- दरवाजे पर आगंतुकों का स्वागत करने के लिए बनाए जाने वाले तोरण और रंगोली के विविध डिजाइंस। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के शो मेरे साईं में हाल ही में वह रोमांचक कहानी दिखाई गई थी कि किस तरह गांववालों ने साईं के द्वारकामाई में लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया था। पूरे गांव को रंगोली के डिजाइंस के साथ ही फूलों से सजाया गया था। शो में बायजा मां का किरदार निभा रही तोरल रसपुत्रा को तो जैसे शूट के दौरान रंगोली बनाने के प्रति अपनी दीवानगी जाहिर करने का मौका ही मिल गया।
संपर्क करने पर तोरल ने पुष्टि की और कहा कि “मुझे बचपन से ही अलग-अलग रंगोली पैर्टन बनाना अच्छा लगता है। हर साल दीवाली पर मैं अपनी भाभी के साथ रंगोली डिजाइंस बनाती हूं। हाल ही में, हमने साईं बाबा की घर वापसी का सिकवेंस पेश किया। इसमें शिर्डी के पूरे गांव को फूलों और तोरण द्वार से सजाया गया था। यह मेरे लिए वह पल था, जब मैं अपना कौशल दिखा सकती थी। मैंने साधारण रंगोली बनाई, जो पुराने जमाने के स्टैंडर्ड पैटर्न हुआ करते थे। हर दिन के शूट रूटीन से समय निकालकर अपने शौक को पूरा करना बेहद ताजगी भरा अनुभव रहा।”
मेरे साईं के आने वाले सिकवेंस में गांववालों में फूट डालने की कोशिश कर रहा रत्नाकर एक प्रतियोगिता की घोषणा करता है। जो ज्यादा अन्न उगाएगा, उसे वह बड़ा पैसा देगा। ऐसे में साईं किस तरह गांव वालों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होने से बचाएंगे। क्या रत्नाकर को साईं बाबा कोई सबक सिखा सकेंग?