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शीन दास उर्फ ‘शादी के सियापे’ की बिजली
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‘‘मेरे कॅरियर के चुनाव में और मेरे सपनों को पूरा करने में मेरा साथ देने के उनके प्रयासों और त्याग के लिये इस मदर्स डे पर मैं अपनी मां को शुक्रिया कहना चाहूंगी। जब मेरी एक्टिंग की बात आती है तो मेरी सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी आलोचक हैं वही रही हैं। मैं उनको अपना लकी चार्म मानती हूं और आज मैं जो कुछ भी हूं उनकी रातों की नींद और मेरे लिये उनके असीम धैर्य की वजह से हूं। बचपन में मैं अपनी मां के लिये अपने हाथों से खास कार्ड बनाती थी और मदर्स डे पर उन्हें तोहफे में देती थी। उसके बाद यह सिलसिला बन गया और आज भी अपने व्यस्त शूटिंग के बावजूद मैं इसके लिये वक्त निकालती हूं ताकि उनके लिये इस दिन को थोड़ा खास बना सकूं। जब वह कार्ड में प्यार से भरपूर मैसेज पढ़ती हैं तो उनके चेहरे पर आये भावों को देखना हमेशा ही खुशी देता है। अभी भी वह घर के कामों में बहुत व्यस्त रहती हैं और इसलिये उन्हें थोड़ा ब्रेक देने के लिये और मां-बेटी थोड़ा वक्त साथ बितायें, उसके लिये मैंने उन्हें फुट स्पा सेशन पर ले जाने के बारे में सोचा है।’’
भव्य गांधी उर्फ ‘शादी के सियापे’ के ननकू
‘‘मेरी मां का हमेशा से ही यह मानना रहा है कि लड़कों को खुद के लिये खाना बनाना आना चाहिये और इसके लिये किसी और पर निर्भर नहीं रहना चाहिये। मैंने अपनी मां को सबसे अच्छा तोहफा यह दिया कि मैंने पारंपरिक गुजराती खाना बनाना सीखा और हाल ही में मैंने अपने हाथों से उन्हें खाना बनाकर खिलाया था। मुझे याद है जब मैं छोटा था मैंने चाय बनानी सीखी थी और उसी दिन मदर्स डे था और मेरी मां ने माना था कि वह उनके लिये सबसे बड़ा तोहफा था, जो मैं उन्हें दे सकता था। एक एक्टर होने के नाते, मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी सीख जो मेरी मां ने सिखायी थी कि मुझे कच्ची मिट्टी की तरह ढल जाना चाहिये, जो मुझे लगता है कि मैं किसी भी किरदार में ढल जाता हूं, चाहे वह कितना भी चुनौतीपूर्ण और अलग क्यों ना हो। मैं आज जो कुछ भी हूं अपनी मां की वजह से हूं, एक्टिंग के लिये मेरे जुनून पर उनके विश्वास और समर्पण की वजह से मुझे यह पहचान मिली है। लोगों के पास गाइड करने के लिये उनके गॉडफादर होते हैं लेकिन मेरी एक गॉडमदर हैं। खाना बनाने के हुनर को सीखने से मुझे मजा भी आता है और साथ ही मैं उनके लिये स्वादिष्ट खाना बनाकर इस दिन को मनाने के बारे में प्लान कर सकता हूं।’’
कामना पाठक उर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन’ की राजेश सिंह
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‘‘मैं एकमात्र ऐसी हूं जिसे अपने करीबियों को गिफ्ट देना पसंद है और जब मैं छोटी थी तब से ही मुझमें यह खासियत आ गयी थी। बचपन में जब मैं अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिये अपने होमटाऊन जाया करती थी तो मुझे गिफ्ट के लिये थोड़े पैसे मिला करते थे। इसी तरह घूमने जाना एक रस्म का हिस्सा था, मेरी आंटी ने मुझे कुछ पैसे दिये और मैंने उन पैसों से अपनी मां के लिये मदर्स डे पर लिपस्टिक खरीदने के बारे सोचा। वह ना केवल गिफ्ट देखकर खुश हुईं, बल्कि वह इतनी प्यारी बात पर और भी ज्यादा खुश हो गयीं। उन्होंने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया था कि अपने जुनून के लिये काम करो और अपने सपनों को लेकर उम्मीद मत छोड़ो, भले ही वह कितना ही चुनौतीपूर्ण क्यों लगे। उनकी यह सीख मुझे जीवन में आगे तक लेकर आयी और मैं सारा श्रेय उन्हें देती हूं। पहले जब मैं काम के लिये शहर से बाहर जाती थी तो मैं मदर्स डे के दिन घर पहुंचने की जरूर कोशिश करती थी, लेकिन इस साल ‘हप्पू की उलटन पलटन’ के व्यस्त शूटिंग शेड्यूल की वजह से मैं इंदौर नहीं जा पाऊंगी। हालांकि, एक प्यारे से मैसेज के साथ मैंने अग्रवाल स्वीट्स से उनका पसंदीदा मिल्क केक घर भेजकर उन्हें सरप्राइज देने के बारे में सोचा है।’’
शुभांगी अत्रे उर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं’ की अंगूरी भाबी,
‘‘मां बनना मेरे लिये सबसे खूबसूरत तोहफों में से एक है और उस आत्मविश्वास और उत्साह का सारा श्रेय अपनी मां को देती हूं। जिस तरह की मैं इंसान और जैसी मेरी मां है वैसी ही मेरी बेटी है, क्योंकि उन्होंने मेरी परवरिश ही ऐसी की है। उन्होंने मुझे सिखाया है कि चाहे जीवन में कितने भी उतार-चढ़ाव हों हमेशा विनम्र बने रहो। उन्होंने मुझे दूसरों से ज्यादा अपने सपनों पर भरोसा करना सिखाया और यही सीख मैं अपनी बेटी तक भी पहुंचाना चाहती हूं। उसकी परवरिश और जिस खूबसूरत महिला से वह जन्मी है, वह अपनी मां से सीख की वजह से है। इस मदर्स डे मैं उन सारी मांओं या हाल ही में जिन्होंने मां बनने का सुख पाया है उन्हें मैं बधाई देती हैं और उम्मीद करती हूं कि मां बनने की जो खुशी और अनुभव है उसका वह पूरा आंनद लें।’’
मोहित मल्होत्रा उर्फ ‘डायन’ के आकर्ष चौधरी
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‘‘एक मां हमारे लिये जो प्रार्थनाएं और त्याग करती हैं उसका शुक्रिया करने के लिये साल का कोई एक दिन काफी नहीं होता। मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे और सबसे बुरे दिनों में उनका लगातार सपोर्ट मिलता रहा है और आज मैं जो कुछ भी हूं उसका सारा श्रेय उनको जाता है। लगभग सभी योग्य बेटों की तरह मैं भी अपनी मां को मनाली के शॉर्ट ट्रिप पर ले गया था, जब मैंने पहली बार टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा था। वैसे उन्हें मैं कोई भी तोहफा दे दूं, उनके आशीर्वाद के आगे उनका कोई मोल नहीं है, लेकिन वह ट्रिप मेरे सारे प्रयासों में उनके सपोर्ट के लिये एक छोटी-सी कोशिश थी। उनके आशावादी स्वभाव ने मुझे धैर्य और जीवन में आशावादी रहना सिखाया और भले ही मैं मुंबई में अपने परिवार के साथ नहीं रहता लेकिन मैं उनसे सलाह लेने के लिये कॉल करता हूं। जब मुझे निराशा महसूस होती है तो उनसे प्रोत्साहन लेने के लिये कॉल करता हूं। मैं सभी मांओं को मदर्स डे की शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि मातृत्व उन्हें यूं ही चौंकाता रहेगा।’’
इशिता गांगुली उर्फ ‘विक्रम बेताल की रहस्य गाथा’ की रानी पद्मिनी
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‘‘मेरा सबसे बड़ा तोहफा मेरी मां हैं, मेरे लिये वह कितना मायने रखती हैं यह बताने के लिये मैं उन्हें तोहफे में क्या दे सकती हूं। पिछले साल उनके बर्थडे पर हमने सरप्राइज पार्टी सोची थी और उन्हें टेम्पल ज्वैलरी का खूबसूरत सेट दिया था। मेरी मां ने मुझे कुछ बेहद बहुमूल्य सीख दी कि धैर्य बनाये रखो और हर स्थिति में मजबूती से खड़े रहो। इस मदर्स डे मैंने अपनी मां को शॉपिंग पर ले जाने और किसी खास जगह पर उन्हें अच्छा-सा डिनर कराने की बात सोची है।’’
अविनाश सचदेव उर्फ ‘मैं भी अर्धांगिनी’ के माधव ठाकुर
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‘‘मेरे मॉम और डैड को मेरी तरह ही घूमना-फिरना बहुत पसंद है, इसलिये मैंने उन्हें एक बड़ी कार तोहफे में दी है, ताकि उसमें वह आराम से घूम सकें। मैं इकलौता बेटा हूं, इसलिये मेरी मॉम एक मां से भी ज्यादा हैं। वह एक दोस्त, एक राजदार, मेरी पक्की प्रशंसक और मैं जो कुछ भी करता हूं उसमें पूरा साथ देने वाली हैं। उन्होंने मेरे पूरे कॅरियर और जीवन के हर चुनाव में मेरा साथ दिया है, जब मुझे मुंबई जाना था, वह हमेशा मेरे लिये वहां थीं। मैं अपनी सारी सफलता का श्रेय उन्हें देता हूं। उन्होंने मुझे जीवन के हर अच्छे और बुरे समय में धैर्य रखना सिखाया है। बदकिस्मती से ‘मैं हूं अर्धांगिनी’के जयपुर में शूटिंग की वजह से मैं मदर्स डे पर अपनी मॉम के पास नहीं जा पाऊंगा, लेकिन मैं वीडियो पर उन्हें जरूर शुभकामना दूंगा।’’
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