प्रशंसकों का बेइंतहा प्यार कलाकार को मशहूर बना देता है. और प्रशंसकों से मिलना कलाकार के लिये अक्सर जीवनभर याद रहने वाला अनुभव बन जाता है. मुंबई से बाहर अपने हाल के दौरे में एण्डटीवी की लीड एक्टर्स कामना पाठक, राजेश सिंह, 'हप्पू की उलटन पलटन' और विदिशा श्रीवास्तव, अनीता भाबी, 'भाबीजी घर पर हैं' ने अपने प्रशंसकों के साथ दिल को छू लेने वाले पल बिताए हैं.
राजेश सिंह की भूमिका निभा रहीं कामना पाठक ने कहा, "हर एक्टर के फैन्स होते हैं और यही फैन्स एक्टर को मशहूर बनाते हैं. मुझे लगता है कि एक कलाकार तब कामयाब होता है, जब लोग उसे उसके किरदार से पहचानते हैं. मुझे खुशी होती है, जब लोग मुझे राजेश या कभी-कभी दबंग दुल्हनिया कहते हैं. मेरे शो 'हप्पू की उलटन पलटन' ने मुझे बहुत कुछ दिया है. लेकिन मैं इस शो से मिली फैन फाॅलोइंग के लिये हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी. मैं जब भी बाहर जाती हूँ और कोई मुझे मेरे किरदार के नाम से बुलाता है, तब मुझे सबसे ज्यादा खुशी होती है. हमारे प्रशंसक जो प्यार देते हैं, वह बेजोड़ है और कभी-कभी उनके जेस्चर मुझे भावुक कर देते हैं और यादगार बन जाते हैं. जैसे कि मैं हाल ही में अपने होमटाउन इंदौर गई थी, क्योंकि मुझे महाशिवरात्रि के दौरान उज्जैन में महाकाल का आशीर्वाद लेना था. मशहूर सर्राफा बाजार में घूमते हुए, मेरे पास कई बच्चे आए और मुझे राजेश कहने लगे. उन्होंने यह भी पूछा कि हप्पू जी कहाँ हैं? और मैंने जवाब दिया कि हप्पू जी न्योछावर लेने में बिजी हैं (हंसती हैं). उस यात्रा के दौरान दो महिलाओं ने आकर मुझे बहुत कसकर गले लगा लिया और उनमें से एक ने पूछा कि ये 9 बच्चों को कैसे संभाल लेती हैं आप? हमसे तो दो नहीं संभाले जाते, और यह बात बड़ी मजेदार थी. महाकाल दर्शन के दौरान भी हमारे पंडित जी ने मुझे कामना के बजाए राजेश कहकर पुकारा, जिससे मैं खुश हो गई और मुझे लगा कि मैं कामयाब हूँ. आपके होमटाउन के लोग अगर आपको आपके किरदार से पहचानें, तो बहुत खास लगता है. राजेश के रूप में मुझे इंदौर और उज्जैन के लोगों से जो प्यार और सराहना मिली है, उसके लिये मैं कितना भी शुक्रिया करूं, वह कम है."
अनीता भाबी की भूमिका निभा रहीं विदिशा श्रीवास्तव ने कहा, "प्रशंसक हर एक्टर की जिन्दगी का अटूट हिस्सा होते हैं, क्योंकि वे ही हमें बनाते या बिगाड़ते हैं. उनके कारण ही आज हम इस मुकाम पर हैं. प्यार जताने, फीडबैक देने और समीक्षा करने के लिये उनके तरीके अलग-अलग होते हैं. ऐसा ही एक पल, जो अपने हाल के वाराणसी दौरे में मुझे स्पष्ट रूप से याद है, वह दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के लिये तैयार हो रहे एक नये-नये शादीशुदा कपल का है. दुल्हन ने मुझे देखा और तुरंत दूल्हे के साथ दौड़कर मेरे पास आई और अपने सबसे यादगार दिन पर आशीर्वाद देने के लिये कहा. उनसे ज्यादा आश्चर्य और सुखद अनुभव मुझे उनके जेस्चर से हुआ. एक पल के लिये मुझे लगा कि मैं उनकी शादी में मेहमान हूँ. वह नया कपल मेरे साथ तस्वीरें खिंचाकर खुशी से फूला नहीं समा रहा था और मेरी हालत भी वैसी ही थी. मैं कबीर चैरा में अपने पुराने घर भी गई थी और कुछ पुराने पड़ोसियों और छोटे बच्चों को मुझे अनीता भाबी कहकर पुकारते देख बहुत खुश हुई. सच कहूं, तो ऐसे पल एक्टर की जिन्दगी में असाधारण होते हैं. मेरे काम के लिये इतना प्यार और प्रशंसा पाकर बहुत सौभाग्यशाली महसूस करती हूं."