स्टारप्लस के ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ में सिकंदर की भूमिका निभा रहे, अभिनेता मोहित मलिक महिलाओं पर केंद्रित शोज़ के क्लटर को साफ करते हुए, नये जमाने के किरदार के साथ टेलीविजन पर हुकूमत कर रहे हैं। हमने परदे पर उन्हें रोते हुए देखा है और उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में पुरुषों की उस पुरानी परंपरा को तोड़ा है, जो केवल माचो मैन की भूमिका निभाना पसंद करते हैं।
मोहित मलिक इससे बेहद खुश हैं, वह कहते हैं, ‘‘चूंकि यह शो लगातार अच्छा कर रहा है, तो मुझे ऐसा लगता है कि हम कुछ अच्छा कर रहे हैं। मैं एक पिता की भूमिका निभा रहा हूं, उसमें ऐसी भावनाएं झलकती हैं जोकि एक वास्तविक रूप में पिता में होती है। उसका त्याग, उसकी फिक्र और बेहिचक उसका रोना और मुझे ऐसा करने में किसी भी तरह का संकोच नहीं है। मेरा सवाल है कि ‘लड़के रो क्यों नहीं सकते हैं?‘ हम लोगों को लेकर विचार बना लेते हैं, जेंडर के आधार पर रूढिवादी सोच रखते हैं और पक्षपात करते हैं। मुझे इस बात में कुछ गलत नज़र नहीं आता कि इस शो में मैं ज़ार-ज़ार रोया हूं। मुझे तो रोने के लिये ग्लिसरीन की भी जरूरत नहीं पड़ती। मैं केवल सिकंदर की तरह प्रतिक्रिया देता हूं जैसा कि वह उन स्थितियों में देगा।’’
वह कहते हैं कि जब वह बड़े हो रहे थे तो पेरेंट्स की आदत होती थी कि वह अपने बेटों से कहते हैं, ‘लड़के रोते नहीं हैं’, आज भी पेरेंट्स बहुत ही कम उम्र से इस तरह की दकियानूसी सोच बनाते हैं और आप उस नजरिये से चीजों को देखते हैं। वह आगे कहते हैं ‘‘जब एक लड़का बड़ा होगा तो वह रोने को कमजोरी का प्रतीक मानेगा। रोना भी हंसने की तरह ही महज एक इंसानी भावना है।’’
क्या अब वह हमारे और भी चहेते नहीं हो जायेंगे?
देखिये, मोहित मलिक को सिकंदर के रूप में, ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ में सोमवार-शुक्रवार, रात 8.30 बजे, केवल स्टारप्लस पर