‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ की यास्मीन ने कहा, 'यास्मीन एक ऐसा किरदार है जिसने मुझे खुद को सबसे ज़्यादा चुनौती दी है' By Mayapuri Desk 25 Oct 2020 | एडिट 25 Oct 2020 23:00 IST in टेलीविज़न New Update Follow Us शेयर आपने यास्मीन की भूमिका क्यों स्वीकार की? मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक काल्पनिक किरदार करूंगी लेकिन यास्मीन का किरदार और उसकी शख्सियत ऐसी है जिसने मुझे एक कलाकार के रूप में अपनी सीमाओं और कौशल को बढ़ाने की अनुमति दी। यास्मीन वह किरदार था जिसकी मुझे तलाश थी। जब मुझे इस भूमिका के लिए संपर्क किया गया तो शुरुआत में मैं थोड़ी आशंका में थी लेकिन कुछ नया करने के लिए उतना ही उत्साहित भी थी। तीन महीने से अधिक समय से इस किरदार को निभाने के बाद, मैं खुशी से यह कह सकती हूं कि इस भूमिका को निभाना मेरे द्वारा लिए गए सबसे अच्छे फैसलों में से एक है। इस किरदार में खुद को ढालना क्या आपके लिए कठिन था क्योंकि यह किरदार पहले से ही सुस्थापित है? एक ऐसे किरदार में ढलना जो पहले से ही सुस्थापित और लोगों का पसंदीदा है, बहुत ही कठिन था लेकिन इस भूमिका के लिए मेरी तैयारी से अधिक, ‘अलादीन:नाम तो सुना होगा’ के दर्शकों और प्रशंसकों की उम्मीदें थी जिस पर मुझे खरा उतरना था । जब मैंने शो में एंट्री की थी तो मेरे कंधों पर बहुत ज़्यादा दबाव था लेकिन मैंने पूरे दिन में एक समय लिया और इस किरदार की छोटी से छोटी विशेषताओं को सीखना और उसे परफेक्ट बनाना जारी रखा। सिद्धार्थ और दूसरे सह-कलाकारों के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा है? मुझे लगता है मेरे पास सबसे बेहतरीन सह-कलाकार और टीम है। अब तक का मेरा अनुभव शानदार रहा है और मैं ज़िंदगी भर की यादें बना रही हूं। इस किरदार में मुझे पूरी तरह से ढ़ालने में सिद्धार्थ ने भी मेरी मदद करने में एक बहुत बड़ा रोल निभाया है, खासकर मेरे एक्शन सीक्वेंस को शानदार बनाने में उन्होंने मेरी मदद की है। स्टंट करना मेरे लिए बिलकुल नया था लेकिन सिद्धार्थ और हमारी शानदार टीम ने मेरे लिए यह बिलकुल आसान बना दिया। सेट की जो ऊर्जा है वो ऐसी है जैसे मैं अपने दोस्तों के साथ कॉलेज के दिनों में वापस चली गई हूं। इतने कम समय में ही, हम सभी बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं और सेट पर कोई भी पल सुस्ती से भरा नहीं होता। इससे अच्छा एहसास कोई हो ही नहीं सकता कि आप सेट पर जाकर अपने दोस्तों से मिलने का बेसब्री से इंतज़ार करें। यास्मीन की भूमिका निभाते वक़्त आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या आई? यास्मीन के किरदार को परफेक्ट बनाने में मेरे सामने जो सबसे बड़ी चुनौती आई, वो थी एक्शन सीक्वेंस के दौरान पेचीदगी से चीज़ों को पकड़ना और ग्रीन स्क्रीन के सामने काम करना। यह शो और इसकी कहानी के लिए मेरी काल्पनिक सोच होना बहुत आवश्यक है। मैंने काली चोरनी जैसा शरीर बनाने के लिए और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए रोज़ गंभीर वर्कआउट करना शुरू दिया है। शूटिंग के बाद कई बार हम घंटों तक अपने एक्शन सीक्वेंस का अभ्यास करते हैं। यह कठिन है लेकिन एक कलाकार के रूप में संतोषजनक है। मैं एक ऐसे प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहती थी जो मुझे कई अलग चीज़ों को सीखने का लगातार मौका दे और मेरे कौशल में सुधार करे और ‘अलादीन:नाम तो सुना होगा’ निश्चित रूप से ऐसा ही प्रोजेक्ट है। 5. ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ की शूटिंग पर आपकी सबसे अच्छी यादें क्या हैं? मुझे लगता है कि इतने कम समय में मैंने कई अनगिनत यादें बना ली हैं। हम सभी एक छोटे से परिवार में बदल गए हैं। जब भी हम सब साथ में काम कर रहे होते हैं तो, कोई न कोई मस्ती करने के लिए तैयार रहता है। खासकर सिद्धार्थ सेट पर प्रैंकस्टार है जिसे मैं अक्सर सभी के साथ प्रैंक करते हुए देखती हूं लेकिन मैं भी उस पर प्रैंक करने का तरीका ढूंढ लेती हूं। सिद्धार्थ, शिवानी, अमित, स्मिता जी और मेरे ज़्यादातर सीक्वेंस साथ में ही होते हैं और मैं अपनी ज़िंदगी का सबसे अच्छा समय बिता रही हूं। 6. ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ के आगामी एपिसोड्स में दर्शकों को क्या देखने को मिल सकता है? किस्मत अलादीन और यास्मीन को बगदाद की धरती पर वापस ले आई है। हालांकि, वो दोनों बगदाद रत्नों से जड़ें हुए ताज को लेने आए थे लेकिन यहां पर उनका समय उनके लिए कई सवाल खड़े कर देता है जोकि उनके इस राज्य के साथ जुड़े होते हैं। ज़फर के सबसे बड़े मिशन को पूरा करने के लिए रुखसार बेगम द्वारा अलादीन और यास्मीन को प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन चीज़ें अब दिलचस्प मोड़ लेंगी क्योंकि ज़फर ने अब बागडोर पूरी तरह से अपने हाथों में लेने का निर्णय लिया है। यह देखना वाकई रोमांचक होगा कि अलादीन, यास्मीन और पूरी गैंग को ज़फर किस तरह के टास्क देता है। 7. अपने फैंस को कोई मैसेज देना चाहेंगी ? मैं ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ के सभी दर्शकों और प्रशंसकों का मुझे इतना प्यार और सहयोग देने के लिए धन्यवाद करना चाहूंगी। आपका सकारात्मक प्रोत्साहन, प्यार और सहयोग ही वजह है जो मुझे मेरा सर्वश्रेष्ठ देने में मदद करता है। ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ कुछ बड़े ट्विस्ट की तरफ बढ़ रहा है जो सभी को ज़रूर पसंद आएंगे। तो देखते रहिए ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’। देखते रहिए ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’, हर सोमवार से शुक्रवार रात 9:30 बजे, सिर्फ सोनी सब पर #अलादीन नाम तो सुना होगा #यास्मीन हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article