शीज़ान खान, ऊर्फ नये शो ‘अलीबाबा दास्तां-ए-काबुल’ के अली ने कहा , “मेरी बहन (फलक नाज़) का एक बहुत पुराना सपना है और वह है लद्दाख घूमना, लेकिन कई कारणों की वजह से वह अभी तक वहां जा नहीं पाई है। सोनी सब के ‘अली बाबा दास्तां-ए-काबुल’ का शुक्रिया, क्योंकि इसकी वजह से मैं अपनी बहन के इस ख्वाब को पूरा कर पाया। जब मुझे पता चला कि इस शो के लिये हम लद्दाख में शूटिंग करने वाले हैं, तो मैंने उसी समय यह तय कर लिया कि अपने साथ अपनी बहन को लेकर जाऊंगा। और मुझे खुशी है कि मैं ऐसा कर पाया, यह बेहद खास था। हमने काफी लंबे समय के बाद एक-दूसरे के साथ इतना समय बिताया, क्योंकि हम अपनी-अपनी जिंदगियों व्यस्त रहते हैं। यह सफर हमें वाकई में एक-दूसरे के और करीब लेकर आया और हमने एक बार फिर से मजेदार यादें संजोयी। हमें बेहद खुशी हो रही थी।‘’
परिवा प्रणति, ऊर्फ ‘वागले की दुनिया’ की वंदना वागले ने कहा, “मेरी और मेरे भाई की उम्र में तीन साल का अंतर है और हममें काफी लड़ाई होती थी, जैसे ज्यादातर भाई-बहनों में होती है, लेकिन हम हमेशा एक-दूसरे के और करीब होते गये। हमारा रिश्ता ऐसा है कि हम एक-दूसरे की गलतियां गिना सकते हैं, लेकिन यदि कोई दूसरा ऐसा करता है, तो हम एक-दूसरे का बचाव करने लग जाते हैं, फिर चाहे वह दूसरा शख्स हमारे पैरेंट्स ही क्यों न हों। बचपन में मेरा भाई अक्सर खाली बॉक्स को गिफ्ट रैप कर देता था और राखी पर मुझे वही खाली बॉक्स उपहार में देता था। मैं उसे तोहफे को लेकर कैमरे पर ऐसे पोज देती थी जैसे मुझे कोई बहुत बड़ा उपहार मिला है, हालांकि, मुझे पता होता था कि वह बॉक्स खाली है। लेकिन जब हम बड़े हुये, तो उसने सारे खाली बॉक्स की भरपाई कर दी और वह वाकई में मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम रहा है।”
हमारे कॉलेज के दिनों में हमें वाकई में एक-दूसरे के बिना जीना सीखना पड़ा और तब हमने एक-दूसरे को खत लिखना शुरू कर दिया। आज भी हमें जब कोई बात इमोशनली कहनी होती है, तो हम एक-दूसरे को खत लिखते हैं।
चूंकि, उसकी शादी मेरी सहेली से हुई है, तो भाभी के साथ मेरे रिश्ते नें हमारे संबंधों को और भी मधुर बना दिया और मैं उनके साथ समय बिताने के लिये उत्सुक रहती हूं। इस राखी पर मैं अपने भाई को तोहफे देकर दुलार करना चाहती हूं और लंबे समय के बाद उसके साथ समय बिताने का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।”
ऐक्टर नवीन पंडित, जोकि ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ में अश्विन पटेल का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, “मेरी एक छोटी बहन है और मुझे आज भी याद है कि उसे मूंगफली खाना कितना पसंद था। वह अपने हिस्से की मूंगफली बाद में खाने के लिये बचा कर रखती थी, जबकि मैं अपने हिस्से की सारी मूंगफली उसके साथ बांट कर खाता था। हर बार जब मेरी मूंगफली खत्म हो जाती तो वह मुझे चिढ़ाती, लेकिन मैं उसकी सिम्पैथी हासिल कर उसके हिस्से की बची हुई आधी मूंगफली खा लेता था। हम इसी तरह सब कुछ बांट लेते थे। बचपन में हम काफी लड़ते रहते थे, लेकिन काम के लिये घर से बाहर लिकलने के बाद हमारा रिश्ता और भी मजबूत होता गया। शरीरिक दूरी ने हम भाई-बहन को भावनात्मक रूप से एक-दूसरे के काफी करीब ला दिया और हम दोस्त बन गये हैं। हालांकि, इस बार हम शायद वीडियोकॉल पर ही रक्षाबंधन मना पायें, लेकिन मैं जल्दी ही उससे मिलने जाने के लिए सोच रहा हूं।”