बच्चन ने भेंट किये ज़रूरी साधन और निर्माता पंडित सहित जुहू में स्थापित किया एक २५ बेड वाला ऑक्सीजन केंद्र
अभिनेता अमिताभ बच्चन और वरिष्ठ निर्माता आनंद पंडित की सहज मित्रता  फिल्म उद्योग में बहुचर्चित है और हाल ही में दोनों एक साथ जुड़े फिल्म 'चेहरे' के निर्माण के लिए. और अब कोविड -१९  के इस मुश्किल दौर में दोनों सहयोगी एवं मित्र एक साथ फिर आये हैं मुंबई की तरफ मदद  का हाथ बढ़ाने.  दोनों ने मिल कर स्थापना की  है जुहू में हर सुविधा से लैस एक २५ बेड के ऑक्सीजन केंद्र की.
आनंद पंडित पहले ही दादर में एक कोविड स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना में सहायता  कर चुके हैं और कहते हैं, ' ये २५ -बेड का  ऑक्सीजन सुविधा केंद्र  जुहू के  रितांभरा  विश्व विद्यापीठ  में स्थापित किया गया है. पूर्व परीक्षण के बाद, ये केंद्र मंगलवार को दस बजे कार्यान्वित हो गया. बच्चन जी ने इस केंद्र के सारे उपकरण और साधन भेंट में दिए हैं और BMC की ओर से  हर अनुमति भी हमें मिल चुकी है.'
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केंद्र में निम्नलिखित सुविधाएं होंगी :
• २५  semi-fowler बेड
•हर बेड पे ऑक्सीजन सप्लाई
• दवाई चिकित्सा
• पोषक शाकाहारी भोजन
• Wheelchair सुविधा
• Physiotherapy
• मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी  परामर्श
• Path lab (मरीज़ के खर्चे पे)
• CT scan (मरीज़ के खर्चे पे)
पिछले लॉकडाउन के वक़्त भी आनंद पंडित ने दैनिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों की मदद की थी और हाल ही में अभिनेता अजय देवगन के साथ मिलकर उन्होंने शिवाजी पार्क में एक २० -बेड केंद्र खोलने में मदद की और अब बोरीवली में एक और केंद्र की स्थापना के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढ रहे हैं.
वे कहते हैं , 'इस मुश्किल दौर में अनिवार्य है की पूरा फिल्म उद्योग एक साथ मिल कर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की मदद करे. हम एक आर्थिक, सामाजिक और मानवीय विपदा से गुज़र रहे हैं जिसका अनुमान लगाना पिछले साल तक भी मुश्किल था. अब हमें हर मुमकिन कोशिश करके इस उदासीन माहौल को एक बेहतर और उम्मीद से भरे दौर में बदलना होगा.'
अमिताभ बच्चन और आनंद पंडित की फिल्म 'चेहरे' अप्रैल में प्रदर्शित होने वाली थी पर महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण उसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. पंडित कहते हैं, 'बच्चन जी के साथ काम करना एक सौभाग्य की बात तो है ही पर उनका सहयोग हर अच्छे काम में भी हमेशा रहा है. जब उन्होंने जुहू के इस केंद्र के बारे में सुना तो हर संभव मदद का वादा किया और हमेशा ही से वे मेरे हर सामाजिक कार्य को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे रहे हैं. कभी समय देकर और कभी संसाधनों से उन्होंने हर कार्य में योगदान दिया है. मुझे आशा है की ये केंद्र राहत और उम्मीद का संचार करेगा. और हम इसी तरह रास्ते ढूँढ़ते रहेंगे की किसी तरह ये सफर सभी के लिए आसान हो जाये.'
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