अजय देवगन: जब भी मैं उनसे मिलता हूँ कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। और प्रेरित भी होता हूँ।

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-लिपिका वर्मा

अजय देवगन ने अमिताभ बच्चन को पहली बारी अपनी फिल्म ‘रनवे 34’ में निर्देशित करने का अनुभव शेयर किया और कुछ सवालों के जवाब भी दिए-अजय देवगन ‘रनवे 34’ में एक नहीं तीन चीज एक साथ कर रहे है अभिनय, निर्देशन और प्रोड्यूसर। इस फिल्म की कहानी सच्ची कहानी से प्रेरित है। फिल्म कप्तान विक्रान्त खन्ना के इर्द गिर्द घूमती है। अजय बतौर एक उड़ने वाला कौतुक का किरदार निभा रहे है। ज्योही वह एक इंटरनेशनल डेस्टिनेशन से उड़ान भरते है एक रहस्मय मोड़ आता है। इस फिल्म में -अमिताभ बच्चन ,रकुल प्रीत सिंह भी अजय देवगन का साथ निभा रहे है। फिल्म 29 अप्रैल 2022 को रिलीज के लिए तैयार है!

पहली बारी अभिताभ बच्चन को निर्देशित करने का अनुभव कैसा रहा और इस दिन के लिए आपको कितना इंतजार करना पड़ा?

जब से मैं छोटा बच्चा था ,तभी से मैं सेट पर जाया करता। और मै उन्हें बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। उन्होंने मुझे हमेशा से बहुत ढेर सारा प्यार दिया है। उनके साथ में 6-7 फिल्मों में काम किया है-हिंदुस्तान की कसम ,मेजर साब, खाकी इत्यादि। उनके बारे में कुछ भी बोलना क्लीशे लगेगा। न केवल हिंदुस्तान में अपितु सारी दुनिया में इनका टैलेंटेड और इनकी तरह अमेजिंग एक्टर कही नहीं मिलेगा। काम के प्रति उनका समर्पण उनकी ऊर्जा सही में उत्तम है। जब भी मैं उनसे मिलता हूँ कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। और प्रेरित भी होता हूँ। बस यही की वो एक महान लीजेंड है। जब भी उनके साथ आप काम करते है आप और मेहनत कर अपना बेस्ट दिखाना चाहते है!

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ट्रेलर देखा आप दोनों के डायलॉग से एक टकराव की बू आती है, क्या कहना चाहेंगे?

जब आप फिल्म देखेंगे जब आप को फिल्म की मैन कहानी समझ आयेगी कि, कहानी उनके टकराव की ही है। मेरा पॉइंट ऑफ व्यू उनके पॉइंट ऑफ व्यू से अलग है। दरअसल, मैं यह एक थ्रिलर जॉनर है आपको आखिरी सीन तक यह समझ में नहीं आएगा यह क्यों हुआ और क्या हुआ? यही इस फिल्म की यू एस पी है। यह सब बेहद दिलचस्प ढंग से दिखाया गया है जो आप सभी को अपनी सीट से बांधे भी रखेगा। इसलिए मै इस फिल्म को बनाना भी चाहता था!

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आप सभी को अच्छा खासा होम वर्क करना पड़ा होगा प्लेन से जुडी सभी चीजों को पर्दे पर सही उतारने हेतु?

जी हाँ, जब आप फिल्म देखेंगे, जो भी इस प्रोफेशन से जुडी चीजंे है रियल लगेगी। सेट पर रियल के कप्तान भी थे। जो हमें सब टम्र्स सही तरीके से समझाते। लगभग 86 लोग बोर्ड पर थे। सब कुछ हमने अप्रूवल लेकर ही किया है। हम फिल्म के फाइनल होने तक उनका अप्रूवल लेते रहेंगे। जो कुछ भी देखा जायेगा वो बिना जाने-समझे नहीं किया है हमने।

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आप के मुताबिक फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण भाग क्या होता है?

सबसे महत्वपूर्ण भाग फिल्म मेकिंग में कहानी का होता है। और जब आप स्क्रिप्ट को पर्दे पर उतारते है क्या इसे आप लेखन के हिसाब से दर्शाते है या नहीं यह भी महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि हमें सब कुछ तीन घंटे में और अच्छी तरह से दिखाना होता है। साथ ही तकनीकी बारीकियों को भी सही ढंग से पर्दे पर उतारना होता है।

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सभी अभिनेताओं को निर्देशित करना आसान था या फिर मुश्किल?

अलग-अलग अभिनेताओ को निर्देशित करना मुश्किल नहीं है पर इसके लिए आपको पूर्णतः तैयारी करनी होती है। और मुझे मेहनत करना पसंद है। आप को यह क्लियर है कि, किस एक्टर को उसके किरदार के हिसाब से किस तरह पेश करना है तो इसमें कोई कठिनाई नहीं आती है। जैसे हम जब निर्देशक रोहित शेट्टी के साथ सेट पर काम कर रहे होते है तो हमे उन पर पूर्णतः विश्वास होता है। हमें मालूम है कि-उनके पास दर्शक की नर्वस सही ढंग से रहती है। जो कुछ भी वो चेंज कर रहे है वो सही ही होगा। मैंने इन तीस सालो में कितनो के साथ काम किया है। और जाने अनजाने में सभी से कुछ न कुछ अच्छा ही सीखा है और वो मेरा अनुभव मुझे आगे काम ही आता है।

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