-लिपिका वर्मा
अनन्या पाण्डेय फिल्म गहराइयाँ में एक बहुत ही इमोशनल ड्रामा और रिश्तो पर आधारित फिल्म में बेहतरीन किरदार करते हुवे नजर आने वाली है। यह फिल्म शकुन बत्रा द्वारा निर्देशित फिल्म है।यह फिल्म रिलेशनशिप ड्रामा पर आधारित फिल्म है.आज के ज़माने के मॉडर्न रिश्तो की गहराइयाँ को दर्शाती हुई फिल्म है। जल्द ही वर्ल्ड प्रीमियर - ११ फेब्रुअरी,२०२२ अमेज़न प्राइमवीडियो पर देखने मिलेगी।दीपिका पादुकोण ,सिद्धांत चतुर्वेदी ,धारिया करवा और अनन्या पांडेय इस फिल्म में रिश्तो का ताना बाना बुन रहे है। फिल्म वायकोम १८ स्टूडियो और धर्म प्रोडक्शन एवं जोउसका फिल्म्स के साथ बनाई जा रही है।
आपका करैक्टर आपकी पहले की फिल्मों की अपेक्षा प्रौढ़ सा है आने वाली फिल्म गहराईयां में ,क्या इसे बोल्ड फैसला मानती है? इस कैरेक्टर को करने में कितनी कम्फर्टेबल रही आप?
मुझे नहीं लगता यह शब्द बोल्ड का में प्रयोग कर सकती हूँ। यह बहुत ही चल्लेंजिंग,प्रौढ़ एवं मांसल करैक्टर है. शुरू में काफी नर्वस थी जब मुझे स्क्रिप्ट सुनाई गयी तो मुझे किसी तरह से कोई भी शक नहीं था। मेरा पूरा विचार इस चरित्र को करने का था किन्तु बस यही विचार बारम्बार मेरे जेहन में आ रहा था कि इसमें किस तरह कर पाऊँगी ?हमने काफी वर्क भी किया और निर्देशक शकुन <बत्रा> के साथ इस बारे में विचार विमर्श भी किया था। बाद में मैं इस कैरेक्टर को करने में बेहद के कंफर्टेबल महसूस किया यह सब मेरे साथी कलाकारों की वजह से हो पाया।
शकुन बत्रा हमेशा से ही आपकी विश लिस्ट में रहे उनकी फिल्मों ने आपको किस तरह आकर्षित किया?
उनकी फिल्म कपूर एंड संस और एक मैं और तू रियल लाइफ से बहुत जुडी रही. ओडिन्सेस इनकी फिल्म से इसी वजह से जुड़ते भी है । कपूर एंड संस में जितनी भी फॅमिली प्रोब्लेम्स दिखलाई गयी उन प्रोब्लेम्स को सुलझाया भी नहीं उनकी फिल्मों में हैप्पी एंडिंग हो ऐसा जरुरी नहीं है। आम तौर की बोल चल वाली भाषा को महत्व दिया जाता है कोई खास तौर से संवाद लिखे नहीं जाते ही यह सब मुझे रोमांचित करता है। यह डायलॉग बहुत सरल होते है कोई भारी डायलॉग नहीं होते है।
फिल्म गहराइयाँ की शूटिंग कहा कहाँ हुई कोई यादें हमारे साथ शेयर करना चाहेगी?
दरअसल ,में पैन्डेमिक के दौरान ही हमने गोवा में शूटिंग शुरू की थी। हम सब एक बॉबल में रहते थे। .इस बबल से न कोई अंदर जा सख्त और न ही कोई बहार. हम सब एक साथ रहकर अच्छे दोस्त भी बन गए थे। हम सब के बीच एक निकटता भी बन गयी थी, हम सब एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी बन गए थे । कुछ शूटिंग मुंबई में भी हुई है। हमने एक व्हाट्स उप ग्रुप बना लिया था और सब कोई न कोई जोन्स लिख कर भेज दिया करते। मैं और सीड <सिद्धांत चतुर्वेदी> दोनों बहुत ही फ़िल्मी है। उन्हें शाहरुख़ सर <खान> बेहद पसंद है और मुझे करीना <कपूर> .हम हमेशा कुछ न कुछ फिल्मी सीन्स करना पसंद करते थे। 'कभी ख़ुशी कभी गम' के कुछ सीन्स भी हमने किये ,मस्ती बहुत की।बस हम लोग कुछ एक्टर को फॉलो करते है सो उनकी लाइन्स भी बोला करते। शकुन<बत्रा> की फिल्म बनाने की स्टाइल बहुत ही अलग है पर वह हमें कभी कभी एक एक्स्ट्रा सीन देते जिसमें हम अपनी भड़ास निकल लिया करते। बाद में कुछ शूटिंग हमने मुंबई में भी की।
शकुन बत्रा के साथ कैसा अनुभव रहा और दीपिका पादुकोण के साथ अनुभव कैसा रहा?
मै बहुत सोचती हूँ , यदि एक सीन रोने का सीन हो तो बस यही सोचती इस सीन को कैसे कर पाउंगी ,पर इनके साथ काम करके के यह समझ में आया यदि आपको रोने का सीन करना है तो जरूरी नहीं ही आप आंसू बहे ,आप उस सीन को अपने मुख पर इस्माइल लेकर बेहद नेचुरल तौर से भी बोल सकते है। यह मैंने पहली बार इस फिल्म में काम करते ह सीखा है। मैं अपने चरित्र से रियल में भी मिलती हूँ तो मैं जो कुछ भी करूं और लोग मुझे वैसे पर्दे पर जज करें, इस बाद भय भी मुझे था। लेकिन ,जैसे ही यह भय मेरे जेहन से निकल गया तो मैं बहुत की सहज महसूस करने लगी। डर था।
और दीपिका के साथ -दीपिका के साथ काम कर के एक बहन जैसा ही फील हुआ. वो सेट पर सबसे पहले पहुँच जाती। जैसी वह अंदर से है वैसी ही बाहर से भी है। हमारे बीच एक बेहद बेहतरीन बांड बन गया एक परिवार की तरह फील हुआ उनके साथ काम कर। हमने किसी तरह का कोई प्रेशर नहीं लिया किसी तरह का रिलेशनशिप बनाने हेतु।