-लिपिका वर्मा
फिल्म ‘गहराइयाँ‘ दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अनन्या पाण्डेय और धारिया करवा के काम्प्लेक्स मॉडर्न रिलेशनशिप पर आधारित एक बेहद इमोशनल फिल्म है जिसका वल्र्ड प्रीमियर अमेजाॅन प्राॅइम वीडियो पर 11 फरवरी 2022 को है। यह फिल्म सकुन बत्रा द्वारा निर्देशित है। रिश्तों के कम्प्लेक्सिटीज पर बुन्नी यह एक बेहद मानवीय और इमोशनल कहानी है।
दीपिका ने हमारे कुछ सवालों के जवाब दिएः-
इस फिल्म में सिबलिंग के रिश्तों के बारे में दिखाया है, ऐसा रियल जिंदगी में क्या दीपिका ने देखा या सुना है?
मेरे आस पास के जो लोग है मैंने कभी इस तरह की चीज का अनुभव नहीं किया है। पर इसका मतलब यह नहीं कि ऐसा दुनिया में नहीं होता है। और मेरा तात्पर्य अलग अलग तरह के रिश्तों से है। समाज में इतने सालों से यह एक मान्य रिश्ते अक्सेप्टबल रिश्ते जो होते है, हमेशा हम सबने उस विषय पर फिल्में बनाई है। जिन विषयों के बारे में लोग चर्चा नहीं करते या हम घरों की चार दीवार में छुपा के रखते है विषयों पर भारत में फिल्में नहीं बनती है। मैं यह नहीं कहूँगी ऐसा नहीं होता है? आप इस बात को मानते है या फिर नहीं मानते यह आप पर निर्भर है। फिल्म में जो चॉइस यह चरित्र कर रहे है, मैं व्यक्तिगत तौर से इसे सब्सक्राइब नहीं करती। पर इसका मतलब यह नहीं है कि दुनिया में ऐसा नहीं होता है। कम्प्लेक्सिटीज और क्रॉस कनेक्शन या अनकंफर्टेबल सिचुएशन है।-फिल्म में हमने यह भी दिखाया है कि उसके परिणाम क्या होते है।
आपने फिल्म इंडस्ट्री में 15 सालों में काफी किरदार निभाये है,यह चरित्र गहराइयाँ का किस वजह से आपने किया?
मैं बहुत सालों से शकुन बत्रा के साथ काम करना चाहती थी आपने फिल्म, ‘‘कपूर एंड संस देखी होगी और मुझे बतौर निर्देशक शकुन बहुत ही रीयलिस्टिक फिल्म बनाते है। जो करैक्टर होते है कहानी भी बेहद रीयलिस्टिक होती है।बतौर दर्शक और अभिनेत्री मुझे ऐसी फिल्में करना और देखना पसंद है। मुझे ऐसे किरदार करने के मौके कभी नहीं मिला है। मुझे इस तरह के मौके जरूर मिले होंगें थोड़ा बहुत आप सबने फिल्म-‘ पीकू‘ और तमाशा में देखा होगा पर यह उन सभी से एक कदम आगे है, बहुत अलग है। अलीशा के किरदार में जो कम्प्लेक्सिटीज है और इस करैक्टर में जो लेयर्स है और उसकी हालात है डिलेमा है इस तरह का रोल करने का मौका मुझे कभी नहीं मिला है। मुझे रीयलिस्टिक फिल्म और रीयलिस्टिक करैक्टर पसंद है अतः यह फिल्म करने की इच्छा थी।
निर्देशक शकुन बत्रा की फिल्म इमोशनल होती है, आप इमोशंस को घर ले कर जाते हो? और क्या आप स्विचों एवं स्विच ऑफ एक्टर हो?
कल रणवीर सिंह, मेरे साथ बात कर रहे थे -कि यह फिल्म आपने कब की। मुझे पता ही नहीं चला आपने इतना इंटेंस रोल किया। एक लेवल पर स्विच ऑन और स्विच ऑफ तो मैं कर ही लेती हूँ. फिर चाहे किरदार कितना भी जटिल क्यों न हो। मेरा काम मै वहीं कर वही छोड़ आती हँू। काम को मै घर कभी नहीं लेकर आयी हूँ। मुझे इसी तरह की जिंदगी हमेशा से पंसद है। और मैं आगे भी इसी तरह से रहूंगी। मुझे वर्क लाइफ में भी एक तरह से बैलेंस रखना पसंद है। घर पर फिर कुछ अलग ही करना पसंद करती हूँ। अपने आप घर आते ही पूर्णतः डिसकनेक्ट कर लेती हूँ। कभी यदि कोई जटिल दृश्य सेट पर करना है तो मै म्यूजिक सुनती हूँ। और अपने तक ही सीमित रहती हूँ। मैं ज्यादा लोगों के साथ मिक्स नहीं होती हूँ। और यदि थोड़ा सा लाइट सीन है तो मैं सब के साथ बैठती हूँ, सब के साथ खाना खाती हूँ बातचीत करती हूँ, यह सब सेट पर ही होता है। मैं अपने प्रोसेस के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं करती हूँ, बस बाकि तो उस पल में रियेक्ट करना होता है।
आप अलीशा के चरित्र से कितना रिलेट करते हो?
मै अलीशा के बिल्कुल अपोजिट हूँ। कुछ चीज मेरी उससे बिल्कुल भी मेल नहीं कहती है। लेकिन एक एक्ट्रेस का कम यह होता है कि आपको उस किरदार को विश्वास योग्य बनाना है। और वो मेरा काम है। कुछ अंश है वो बहुत महत्वाकांक्षी है और यह बात से मैं रीलेट करती हूँ। कुछ करना चाहती है अलग करना चाहती है यह सब मैं रीलेट करती हूँ। बतौर अभिनेता इस चरित्र को मानवीय और विश्वसनीय बनाना मेरा काम था।
पहली बार आप सिद्धांत के साथ काम करते हुए नजर आने वाली है। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मैंने सिर्फ उनकी गल्ली बॉय में आई थी। उसने अपनी पहली फिल्म में रणवीर के सामने काम किया और अच्छा काम किया यह सराहनीय है। हम दोनों फिल्म के लिए नर्वस थे। वह मुझ से कुछ ज्यादा नर्वस था। और रोल में बहुत बेहतरीन काम किया। जब मैं 2 साल पहले उससे मिली थी उस समय से लेकर इस फिल्म तक उस में बहुत ग्रोथ देखा है। महत्वाकांक्षी तो है पर बहुत ग्राउंडेड भी है।