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हरजिंदर सिंह: राधे माँ मेरी माँ है, यह मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है

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-ज्योति वेंकटेश

जब आप राधे माँ जैसी शख्सियत के बेटे होते हैं, तो उसके साथ कई सारे बैगेज भी होते हैं। वाद विवाद,डर से लेकर ओवर शैडो होने की भावना भी हो सकती हैं,आपने किस वजह से इतने सालों तक अपनी पहचान छिपा कर रखी थी, सोच क्या थी?

ऐसा कुछ सोच के नहीं किया था।हम जिस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं वहां आपने थोड़ा सा भी अच्छा काम किया तो यह मालूम करना मुश्किल नहीं होता है  कि आपका बैकग्राउंड कहां से है। मैंने थोड़ा बहुत हाथ पैर मारा है लेकिन अब तक मैं जहां भी पहुंचा हूं उनकी कृपा से पहुंचा हूं और आगे जहां भी पहुंच पाया। उनकी कृपा से ही होगा लेकिन  मैं खुद से देखना चाहता था कि मैं कहां तक पहुंच सकता हूं। राधे मां मेरी मां है। यह मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है ।मैंने उनके कोख से जन्म लिया है यह बात मेरे लिए बहुत फक्र की है ,लेकिन मैं खुद देखना चाहता था कि मैं क्या कर सकता हूं। पहले से ही मैं अपनी मां के नाम के साथ आता ,तो लोगों को लगता है कि मैंने कुछ मेहनत की ही नहीं है।मां के नाम की वजह से हूं।अब  कम से कम लोग यह तो कहेंगे कि मैंने अपनी मेहनत की है। मैं 2013 से एक्टिंग में कोशिश कर रहा हूं

आपकी परवरिश किस तरह से हुई है क्योंकि बचपन से आपके घर में धार्मिक माहौल रहा होगा और फिर आप कला के  क्षेत्र में किस तरह अग्रसर हुए?

हर बच्चे को याद होता है कि उसने अपनी मां की हाथ  की रोटी कब खाई थी लेकिन हमें तो वह  याद नहीं है क्योंकि हम बहुत छोटे थे तभी से दिमा जी  आश्रम में थी। मैं किस तरफ से समझाऊं मुझे भी नहीं समझ में आ रहा लेकिन हां उनका आशीर्वाद रहा इसलिए चीजें होती चली गयी।

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आपका और आपकी मां के बीच 4 एक आम मां और बेटे वाला रिश्ता नहीं है?

नहीं,  मेरे साथ उनका ऐसा रिश्ता है,जैसे एक भक्त का उसके भगवान के साथ होता है या फिर कह सकते हैं कि एक भक्त और गुरु का जैसा रहता है।

क्या आपका और आपकी मां के बीच एक इमोशनल मोमेंट कभी नहीं आया क्योंकि कई बार बच्चा बीमार होता है या परेशानी में होता है तो मां का वह रूप सामने आ ही जाता है क्योंकि मां सबसे दयालु और करुणा से भरी होती है?

मैंने छोटे से ही उनको गुरु के रूप में देखा है ।मैं वैसे ही बड़ा हुआ हूं ।रही बात मां की ,तो उनका सपोर्ट हर जगह रहा है। आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं उन्हीं की कृपा और उनके ही प्यार की वजह से है। मेरी जिंदगी का कोई भी निर्णय होता है ,तो मैं उसके पास ही जाता हूं और उनसे कहता हूं कि आप मुझे गाइड करें ।मैं उनकी सलाह से ही काम करता हूं या नहीं करता ।उनकी आज्ञा पर ही मैं आगे बढ़ता हूं।

आप कितने भाई बहन हैं?

मैं और मेरे बड़े भाई हैं।

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घर में आपकी बॉन्डिंग सबसे ज्यादा किसके साथ है?

मैं सबसे ज्यादा करीब अपनी मम्मी के ही हूं।

जब मम्मी आश्रम में थी तब आप लोग का ध्यान कौन रखता था?

मेरी दादी जी थी वह हम लोग का ख्याल रखती थी। मेरे पिताजी, शुरुआत में पहले विदेश में ही सेटल थे।काफी समय के बाद उन्होंने तय किया कि इंडिया रहते हैं।

एक्टिंग के कीड़े ने कब आपको काटा?

मेरे दो ही शौक रहे हैं। मुझे क्रिकेटर बनना था और दूसरा एक्टर। जितना मैं जानता हूं क्रिकेटर की एक उम्र होती है ।एक वक्त था जब एक्टिंग की भी उम्र थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है ।अब आप कभी भी कैमरे के सामने आ सकते हैं ।बस युवा किरदार नहीं कर सकते हैं वरना हमेशा एक्टिंग कर सकते हैं। मैं एमआईटी पुणे से पढ़ा हूं ।वहां पर जो भी इवेंट्स होते थे  तो मैं उनमें लगा ही रहता था। वहां से धीरे धीरे धीरे फिर लिंक निकलता चला गया ।मुझे यह भी समझ में आ चुका था कि स्टेज पर रहना मुझे खुशी देता है

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क्या आप की शुरुआत बॉलीवुड में अच्छी नहीं रही थी?

हां यह 2015 की बात है ।उस फिल्म में मुझे लीड भूमिका मिली थी। फिल्म की शूटिंग 70% बैंकॉक में हुई थी। फ़िल्म का नाम ले जा तू कहीं था।प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के निजी कारणों की वजह से फ़िल्म बीच में बंद हो गयी।मैं उस वक़्त नया था।ज़्यादा कुछ समझा नहीं कि क्यों बन्द हुआ।मैंने उसे अपनी किस्मत ही मान ली कि जो हुआ अच्छे के लिए हुआ।वो फ़िल्म बन्द हो जाने के बाद मेरी दुबारा से स्ट्रगल शुरू हो गयी। वो फ़िल्म बन जाती तो आगे का रास्ता थोड़ा आसान हो जाता था।वो फ़िल्म बन्द होते ही फिर से संघर्ष शुरू करना पड़ा । कभी इधर कोशिश की कभी उधर। धीरे धीरे कोशिश करते हुए एक फ़िल्म मिली आइ एम बन्नी।वह फ़िल्म लड़कियों की शिक्षा पर थी।वह फ़िल्म फेस्टिवल्स में ज़्यादा चली तो उसका फायदा नहीं मिला। संघर्ष जारी रखा। मैंने एक छोटा सा रोल ड्रीम गर्ल में किया।मैं उसमें खुश नहीं था, लगा कि नहीं करना चाहिए था, लेकिन जो हो गया सो हो गया। कोशिश करता रहा और ये मौका मुझे मिला,जो अभी कर रहा हूं इंस्पेक्टर अविनाश।

इंस्पेक्टर अविनाश आपको कैसे मिली और आपका रोल क्या है?

इंस्पेक्टर अविनाश यूपी क्राइम पर बेस्ड वेब सीरीज है।यूपी में एक टाइम ऐसा आ गया था कि क्राइम ने बहुत जोर पकड़ लिया था तो क्रिमिनल्स को हटाने के लिए एसटीएफ का गठन हुआ था ।जिसका एक ही नियम था कि गोली मारो और अपराधी को खत्म करो।एसटीएफ एक ऑफिसर थे अविनाश। उनकी कहानी पर यह सीरीज है।  अविनाश की जो टीम है। उसका मैं एक सदस्य हूं। जो युवा है और अविनाश को अपना आइडल मानता है।अविनाश को देखकर ही उसने तय किया था कि उसको भी पुलिस ऑफिसर बनना है।

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इस सीरीज के नायक रणदीप हुड्डा है उनके साथ काम करने का अनुभव किस तरह से रहा?

बहुत अच्छा रहा ।एक एक्टर के तौर पर वह मुझे बहुत पसंद हैं। मैंने उन्हें लखनऊ शूटिंग में बताया था कि मैं कई बार कई फिल्में सिर्फ उनकी वजह से देखने गया हूं वरना मैं नहीं जाता था।

अपने किरदार के लिए आपको कुछ खास होमवर्क करना पड़ा?

मैंने बकायदा एक्टिंग की वर्कशॉप की है। यह कहानी 98 की है।  उस वक्त पुलिस वाले इतने मस्क्युलर नहीं होते थे और मेरी बॉडी मस्क्युलर थी, तो मुझे अपना वजन कम करना पड़ा। अपने लहजे पर भी काम किया क्योंकि मैं पंजाबी हूं। बाकी किरदार किस तरह से परफॉर्म करना था। वह मुझे पता था ,क्योंकि वह ऐसा ऑफिसर है,जक चीजों को देखता ज़्यादा है ।बोलता कम है।

आप एक अलग ही बैकग्राउंड से आते हैं, ऐसे में इंडस्ट्री का जो माहौल है उसको आप कितना अलग पाते हैं?

इंडस्ट्री के बाहर वालों को लगता है कि यह अलग ही दुनिया है। अलग ही चीज है लेकिन मेरा मानना है कि प्रोफेशन प्रोफेशन होता है। वह किसी का भी, कैसा भी हो सकता है। आमतौर पर लोगों को एक्टिंग बहुत ही आसान लगता है, लेकिन जो इस लाइन में घुसता है उसको पता है कि एक्टिंग करना बहुत मुश्किल काम है। किसी भी दूसरे प्रोफेशन से कम मेहनत यहां नहीं है।

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क्या कभी कड़वे रिजेकशन्स से भी गुजरे हैं?

ऐसा बहुत बार होता है। मैं नाम नहीं लेना चाहूंगा,कई बार आप फिल्म के लिए  साइन कर लिए जाते हैं ,लेकिन फिर आपको मालूम पड़ता है कि आप के बिना ही फिल्म शुरू हो गई है ।लोग आपको बताते भी नहीं कि आपकी जगह दूसरे को कास्ट कर लिया गया है।मैं बस यही मानता हूं कि जो होता है। अच्छे के लिए होता है। क्या पता कुछ अच्छा लिखा हो।

इंस्पेक्टर अविनाश के अलावा और क्या-क्या पाइप लाइन में हैं?

दो प्रोजेक्ट्स है लेकिन फिलहाल उसके बारे में बात करना जल्दी बाजी होगी क्योंकि जब तक वह शूटिंग फ्लोर पर नहीं जाती  तब तक बात करना बेमानी होगी। मतलब तब तक वह आपके लिए नहीं है क्योंकि आखिरी मोमेंट पर भी कुछ भी हो सकता है।

आप राधे मां के बेटे हैं और फिल्मों में आना चाहते थे तो क्या घर से किसी तरह का विरोध हुआ था?

दिमाजी बहुत प्रोग्रेसिव थिंकिंग की हैं। वो कहती हैं कि तुझे क्या करना है तू कर। मेरा एक बिजनेस भी है। मैं उसको भी समय देता हूं। मैं नहीं चाहता था कि मेरी लाइफ में ये अफसोस रहे कि यार मैं ये कर सकता था नहीं किया।करके दुखी हो जाऊं वो चलेगा लेकिन बिना कोशिश किए मैं दुखी नहीं रहना चाहता था कि अरे यार ये नहीं किया मैंने। दिमा जी का यही था कि  तू कर ले अगर मेहनत कर सकता है।कर लें और पहुंच जा, जहां पहुँचना चाहता है।वो तेरी किस्मत है।उनका आशीर्वाद तो था ही और मैं कोशिश करता रहा।

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वे बिग बॉस में आयी थी?

उन्हें अनुरोध किया गया था कि वे आए और घर को ब्लेस्ड करें। वो उसके लिए आयी थी।मैं भी उस वक़्त उनके साथ था।वो अंदर थी।मैं बाहर था।वो बस घर को ब्लेस्ड करके वापस तुरंत आ गयी|

राधे माँ या दूसरे संतों के प्रति पहले बहुत श्रद्धा देखने को मिली लेकिन फिर इन गुरुओं का नाम खूब विवादों में भी रहा है, इन विवादों को आप किस तरह से देखते हैं?

2011,2015,2017 की बात करें तो न्यूज़ लगा ले तो सिर्फ दिमा जी का ही चलता रहता था। वो कहती थी कि सच कभी नहीं हारता।सच दुखी ज़रूर होता है लेकिन कभी हारता नहीं है।वो तो आपको भी पता होगा कि ये टीआरपी गेम रहता है।उन्हें पता है कि राधे माँ जी सामने से कुछ कहेंगी नहीं, हमें जो दिखाना है।हम दिखा लेंगे।।जब आप सच पर खड़े हो तो आपको डरने की क्या ज़रूरत है।जिन गुरुओं के खिलाफ टीवी पर कहा गया था बाकी कहाँ पर हैं और राधे माँ जी का नाम कहाँ पर है। वो आज भी वहीं खड़ी हैं ।जहां पहले थी ।सच कभी हिलेगा नहीं। आज भी दिल्ली में उनके जन्मदिन पर चैरिटी के ढेरों कार्यक्रम होते हैं।राधे मां की वजह से कितने घर चलते हैं।सामने से कोई बोलेगा नहीं लेकिन हकीकत वो भी जानते हैं और हम भी। इंसानी फितरत ही कुछ ऐसी है कि लेकर लोग मुकर जाते हैं।उसमें राधे मां जी क्या करेंगी। जो करीबी हैं।वो तब साथ थे और अब भी हैं।

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