-लिपिका वर्मा
‘ग्रेट इंडियन मर्डर’ जिस में ऋचा चड्ढा एवं प्रतीक गांधी में लीड में नजर आने वाले है। यह डिज़्नी हॉट स्टार पर फरवरी 2022 को प्रीमियर होने को है। यह शो मराठी, तमिल, मलयालम तेलशोधक, तमिल और बंगाली में भी है। इस शो के लिए निर्माता अजय देवगन ऐ डी एफ, एवं प्रीति विनय सिन्हा, आर एल इ मीडिया, अपने बैनर तले साथ आएं है। सभी बेहद टैलेंटेड आर्टिस्ट्स है-ऋचा चड्ढा, प्रतीक गाँधी, आशुतोष राना, शशांक अरोड़ा, रघुबीर यादव, पोली डैम इत्यादि!
आपने यह शो करने के लिए क्यों हामी भरी?
‘ग्रेट इंडियन मर्डर’ के कास्ट और निर्देशक सभी कुछ बहुत ही दिया है। बतौर एक्टर हमें और क्या चाहिए होता है।
आप से बहुत अलग ही किरदार इस में आपका किरदार बेहद कमांडिंग लग रहा है?
हम जो सच में होते है उससे अलग किरदार निभाने को मिलते है। रियल लाइफ में मुझे प्रतीक को अपने पैसे देने में कोई ऐतराज नहीं होगा। किन्तु जो किरदार वह प्ले कर रहे है उसे मैं कतई पैसे नहीं दे सकती। और न ही उन पर विश्वास। इस शो में सुधा एक ईमानदार जांच अफसर का किरदार निभा रही हूँ। बतौर जांच अफसर सुधा इस केस की तह तक जाने की इच्छुक है। उसकी भी कुछ समस्या है सो इस पुरुष प्रधान सेट प्रतीक में,जहाँ राजनीति प्रेशर भी है ,और उसे भी बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
प्रतीक के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
प्रतीक के साथ काम करने में बहुत मजा आया और यह अब एक बहुत ही जाने-माने अभिनेता है। हमारा बहुत ही अविस्मरणीय अनुभव रहा। आशा करती हूँ आगे भी हम साथ काम कर पाएँ।
क्या आप गुड कोप किरदार निभा रही हो और प्रतीक बैड कप का ग्रे शेड है उनका?
मेरे हिसाब से मेरे किरदार में भी एक भूतकाल की बातें जुड़ी है। पर हमारी करैक्टर बेहद कूल डायनामिक है।
निर्देशक तिग्मांशु धूलिया के साथ काम करने का अनुभव शेयर कीजिए?
वो बहुआयामी आर्टिस्ट है एक बेहतरीन लेखक,एक्टर,निर्देशक है। यह खूबियां में उनकी यह खूबियां उभर के नजर आएँगी। निर्देशन भी स्पॉट ऑन है इस शो में। जब आप अपने साथियों के साथ काम करते है और वो अपने क्राफ्ट में निपुणः होते है तो काम करने में और भी मजा आता है। ओटीटी पर काम करने वाले और भी निर्देशक है जैसे तिग्मांशु ,और हंसल मेहता इत्यादि जो अपने काम की वजह से उड़ रहे है, क्योंकि उनका काम ही बेहद बेहतरीन दिखलाई दे रहा है! ओटीटी पर बॉक्स ऑफिस का होता है।
आपको लगता है बॉक्स ऑफिस प्रेशर होता है?
जी थिएट्रिकल प्रेशर तो होता ही है, पैन्डेमिक के समय तो और अलग प्रेशर था सभी निर्माताओं पर। हर फिल्म को एक बेहतरीन वीकेंड जरुरी है।मैंने फिल्मों में ऐसा भी देखा है निर्माताओं को प्रमोशनल गाने डालने के लिए आखिरी पल भी कहा जाता है, फिर फिल्म पूरी हो चुकी हो। बस सभी को किस तरह से लोगों को सिनेमा हाॅल में अंदर लाया जाये ताकि फिल्म सफल हो