Advertisment

मुझे अपनी पहली फिल्म में चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना था: वेदिका पिंटो

New Update

शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

2019 में एक म्यूजिक वीडियो ‘‘लग्गी’’ काफी लोकप्रिय हुआ था.इस म्यूजिक वीडियो को बाॅलीवुड स्टार सलमान खान ने प्रमोट किया था.इस म्यूजिक वीडियो से पहली बार वेदिका पिंटो ने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा था। उन्हीं वेदिका पिंटो को पहली बार फिल्म ‘‘आॅपरेषन रोमियो’’ में अभिनय करने का अवसर मिला है.

प्रस्तुत है वेदिका पिंटो संग ‘‘मायापुरी’’के लिए हुई खास बातचीत के अंष...

अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?

मेरी परवरिष मंुबई में ही हुई है.हमारे घर में अभिनय का माहौल नहीं रहा.मगर मेरे माता पिता फिल्म इंडस्ट्ी से जुड़े हुए हैं.मेरे पिता एड फिल्म मेकर थे.15 वर्ष पहले उन्होने यह सब बंद कर दिया था.मेरी माता जी रीयालिटी टीवी षो की निर्माता हैं.मीडिया से हमारा संबंध रहा है.हम बचपन से ही फिल्म अभिनेत्री बनने का सपना देखने लगे थे.मैं बचपन में षीषे के सामने खड़ी होकर करीना कपूर की नकल उतारती थी.मेरा मानना है कि अभिनेत्री बनने के लिए आत्म विष्वास की जरुरत होती है.अभिनेत्री बनने की बात किसी से कहने के लिए भी हिम्मत की जरुरत होती है.बाॅलीवुड से जुड़ने के लिए करोड़ों लोग लालायित रहते है.इसके अलावा मुझे पढ़ाई का भी षौक था,इसलिए बीच में मैं बहक गयी थी.मैने लिटरेचर व पाॅलिसी में बैचलर डिर्ग्री हासिल की.फिर एक निर्णय लेना था, तो मैने अभिनय को ही कैरियर बनाने का अंतिम फैसला किया.

बचपन में कोई घटना घटी थी,जिसके चलते आपने अभिनेत्री बनने की बात सोची थी?

जी नहीं... ऐसी कोई घटना नहीं घटी थी.मुझे बचपन से फिल्मों से रूचि थी.मैं फिल्म देखते हुए सिनेमा में इस कदर डूब जाती थी.यहां तक पढ़ते समय भी मैं किताब के किरदारों में खो जाती थी.मैने बचपन में फिल्म ‘‘कभी खुषी कभी गम ’’ देखी थी,तो ेपूरे हफ्ते मैं सोचती रही कि मैं ही ‘पू’ हॅूं.बचपन में नकल करती थी.पर अब समझ आ चुकी है कि अभिनय किसी की नकल उतारनी नही है.अभिनय बहुत ही खूबसूरत कला है.कला सीखने व अपनाने मे काफी वक्त व प्रयास की जरुरत होती है.

publive-image

अभिनय को कैरियर बनाने का निर्णय लेने के बाद किस तरह की ट्ेनिंग ली?

पहली ट्ेनिंग ख्ुाद करना होता है.अपने आपको तैयार करना.यानी कि ख्ुाद को जानना बहुत जरुरी होता है.जब तक हम ख्ुाद को नही जानते, तब तक हम दूसरे किरदारांे को कैसे जान या समझ सकते हैं.हर इंसान के स्वभाव व व्यक्तित्व में कई लेअर होते हैं.नए किरदार को निभाने के लिए उन लेअर को निकालना होता है,उसके लिए भी पहले ख्ुाद को जानना जरुरी है.इंसान को अपने अंदर की असुरक्षा का सामना करना पड़ता है.हम सभी के दिमाग में ख्ुाद को लेकर एक इमेज होती है,उसे षून्य तक तोड़ना पड़ता है.उसके बाद नीरज कवि,नेहा व्यास,प्रषांत सिंह सहित कुछ लोगों के साथ एक्टिंग के वर्कषाॅप भी किए.मैने हर एक्टिंग वर्कषाॅप से कुछ न कुछ सीखा.थिएटर भी किया.फिर मैने अपने अभिनय की अपनी तकनीक तैयार की.उसके बाद सेट पर षूटिंग करते हुए जो सीखने को मिला,वह तो किसी भी वर्कषाॅप में नही मिला.

आपने म्यूजिक वीडियो ‘‘लग्गी’’ से षुरूआत क्यों की?

हमने जो वर्कषाॅप किए थे,वहीं मेरा एक अच्छा दोस्त बन गया था.वह उम्र में मुझसे बड़ा और भाई जैसा है.मैं उसकी बात पर सवाल नही करती.एक दिन उसने मुझे फोन करके बांदरा में एक आफिस में बुलाया.वहां पर निर्देषक से बातचीत हुई.उससे बात करके अच्छा लगा और जब उसने मुझे म्यूजिक वीडियो करने के लिए कहा,तो मेरे पास सोचने का वक्त ही नहीं था कि मैं म्यूजिक वीडियो करके सही कर रही हॅंू या गलत.पर मुझे कैमरे के सामने काम करने का अवसर मिल रहा था.अगर आपने यह म्यूजिक वीडियो देखा है तो पाया होगा कि बहुत ही अलग तरह का वीडियो है.पर मुझे उस निर्देषक व अपने दोस्त पर पूरा भरोसा था.

म्यूजिक वीडियो ‘‘लग्गी’’ से क्या सीखा?

पहली बार कैमरा एंगल के बारे में सीखा.पहली बार कलाकार के नजरिए से फिल्म का सेट देखा.

पर आपके म्यूजिक वीडियो ‘लग्गी’ को सलमान खान ने क्यों प्रमोट किया?

मेरे लिए यह गर्व की बात थी.बाॅलीवुड के मषहूर कलाकार को मेरा वीडियो पसंद आया था.उनके कहने पर ढेर सारे लोगो ने उस वीडियो को देखा व लोगों ने काफी पसंद किया.

publive-image

म्यूजिक वीडियो करने के बाद फिल्म ‘‘आपरेषन रोमियो’’ से कैरियर की षुरूआत करने का निर्णय करने की वजह?

मैंने दिसंबर 2019 में म्यूजिक वीडियो ‘लग्गी’ किया था.जनवरी 2020 में मैने ‘आॅपरेषन रोमियो’’ के लिए आॅडीषन दिया था. म्यूजिक वीडियो तो बस यॅूं ही हो गया था. मुझे तो सिर्फ फिल्म ही करनी थीं.पर उस म्यूजिक वीडियो में मुझे अपनी कला दिखाने का अवसर मिला था. इस फिल्म के लिए पांच राउंड आॅडीषन हुए थे. यह आॅडीषन स्टूडियो के अंदर नही हुए थे. बल्कि सड़क पर हुए थे.नीरज पांडे ने कार में बैठाकर सड़क पर पूरा दृष्य करवाया था.तब मुझे लगा था कि जो लोग इतनी संजीदगी के साथ आॅडीषन ले रहे है,तो वह स्वाभाविक तौर पर संजीदगी के साथ बेहतरीन फिल्म बनाएंगे.वह कलाकार के अंदर कुछ तलाष रहे हैं और मुझे वही कलाकार बनना था.फिर कोविड आ गया.पांच छह माह तो जिंदगी रूक गयी थी.अक्टूबर माह में नीरज पांडे सर से मिली व फिल्म साइन की.

मेरा सवाल यह है कि इस फिल्म को करने की कोई खास वजह?

अभिनय के वर्कषाॅप करते करते मुझे समझ में आ गया था कि मुझे वही किरदार निभाने चाहिए,जिनमें मुझे इमोषन दिखाने के अवसर मिले.इमोषन में भी दर्द,गम, कन्फ्यूजन, बेबसी निभाना आसान नही था.मुझे पहली फिल्म में चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना था.इसके अलावा इस फिल्म में बहुत ही स्ट्ांग संदेष भी है.

फिल्म के किरदार का नाम क्या है?

इसमें मेेरे किरदार का नाम नेहा है.जो कि जयपुर के एक रूढ़िवादी परिवार की लड़की है.मंुबई पढ़ाई करने आयी है और हाॅस्टेल में रहकर पढ़ाई कर रही है.उसका अपना कोई भाई बहन नही है.नेहा में ठहराव है.षांत स्वभाव की है.इंट्ोवर्ट व षर्मीली है.नेहा व वेदिका में जमीन आसमान का अंतर है.वेदिका यानी कि मैं मंुबई में पली बढ़ी हॅंू.हम डरते नही है.यदि डरते भी हैं,तो भी किसी को पता नही लगने देते. नेहा अपनी फेमीनिटी को स्वीकार करती है.मंुबई में उसकी मुलाकात सिद्धार्थ से होती है,जिससे उसे षिद्दत वाला प्यार हो जाता है.लेकिन वह चीखकर लोगों को नही बताती कि सिद्वार्थ मेरा ब्वायफ्रेंड है.इमानदार प्यार है.हमेषा सहमी सी रहती है.मगर फिर एक रात उसकी पूरी दुनिया ही हिला देती है.

नेहा के किरदार में ख्ुाद को ढालने के लिए क्या किया?

वर्कषाॅप भी किए.पर मुझे सबसे पहले वेदिका की पहचान को नेहा की पहचान से अलग करना पड़ा.फिर नेहा को गढ़ना पड़ा.तो नेहा के बारे में जाना कि वह कहंा से है,उसका व्यक्तित्व क्या है.उसके इरादे क्या हैं. .उसकी मनःस्थ्तिि कैसी है...वगैरह वगैरह.. समझा.ऐसा करते हुए मुझे काफी कुछ सीखने को मिला.

किसी भी किरदार को निभाने मंे मेकअप व कास्ट्यूम से कितनी मदद मिलती है?

मदद मिलती है.जब मैं सेट पर पहुॅचने के बाद मेकअप रूम में नथ पहनती थी,तो मुझे अहसास होता था कि कुछ हो गया और अब मैं नेहा हॅूं.

आप डांसर भी है.इससे अभिनय में कितनी मदद मिलती है?

मैने कत्थक डांसर हूं.मेरे गुरू राजेंद्र जी हमेषा कहते थे कि आॅखों से नाचना सीख लो.हाथ पैर तो कोई भी हिला सकता है,पर  जो इमानदारी व ग्रेस आॅखों में नजर आती है,वह हाथ पैर हिलाने से नहीं आती.इस फिल्म में मुझे आॅखों से ही प्रतिक्रिया देनी पड़ी.इसमंे मेरे संवाद काफी कम हैं.

शौक क्या हैं?

मुझे लिटरेचर पढ़ने का षौक है.प्रेम कहानियां,इतिहास पढ़ना पसंद है.संगीत सुनने का षौक है.

Advertisment
Latest Stories