-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी
पुणे में जन्मी, पली बढ़ी व कत्थक नृत्य में महारत रखने वाली अदाकारा केतकी कदम ने जीटीवी के सीरियल ‘कुबूल है’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा था। उसके बाद उन्होंने ‘महाभारत’, ‘हम हैं ना’, ‘इस प्यार को क्या नाम दूं 3’, ‘प्यार तूने क्या किया’, ‘लाल इश्क’ व ‘आपकी नजरों ने समझा’ जैसे सीरियलों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी हैं। इन दिनों केतकी कदम ‘दंगल टीवी’ के सीरियल ‘रंग जाऊं तेरे रंग में’ में सृष्टि चैबे के किरदार में नजर आ रही हैं।
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प्रस्तुत है सीरियल ‘रंग जाऊं तेरे रंग में’ के सेट पर केतकी कदम से हुई बातचीत के अंश...
आपकी पृष्ठभमि क्या है? आपको अभिनय का चस्का कैसे लगा?
बचपन से ही कला के प्रति मेरा झुकाव रहा। दूसरी बात तकदीर में जो लिखा होता है, वह हो ही जाता है। दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करते ही मेरे पास ऑडिशन देने के लिए फोन आया। मैंने ऑडिशन दिया। तब से ऑडिशन देने का सिलसिला शुरू हुआ। फिर अभिनय के मौके मिलते रहे और मैं लगातार अभिनय करती आ रही हॅूं।
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क्या आपके परिवार में कोई कला से जुड़ा हुआ है?
जी नहीं..मैं अपने परिवार की पहली सदस्य हूँ जो कि इस अभिनय जगत से जुड़ी हूँ। मैं हमेशा अभिनय करते रहना चाहती हूँ। बचपन से ही मुझे नृत्य का शौक रहा है, खासकर कत्थक डांस में। मैं प्रोफेशनल कत्थक डांसर हूँ। मैं मूलतः पुणे से हूँ और मैंने पुणे में वर्षाताई से कत्थक डांस सीखा। इमानदारी की बात कहॅूं तो मैंने अभिनय के बारे में कभी सोचा ही नहीं था। मगर यह सब होता चला गया। इसे मैं अपनी डेस्टिनी मानती हूँ। अभिनय करते हुए मैं काफी खुश हूँ।
कत्थक डांस सीखने से अभिनय में कितनी मदद मिलती है?
बहुत ज्यादा मदद मिलती है। मसलन, सीरियल ‘‘रंग जाऊं तेेरे रंग में’’ सृष्टि का जो किरदार है, वह शांत स्वभाव की ग्रेस फुल है। उसमें एक अदा है। कत्थक सीखने की वजह से इंसान के अंदर एक अदा व ग्रेसफेल अपने आप आ जाता है। लोगों से अदा के साथ बातें करना, आँखों को झुकाना, पलकांे को उठाना वगैरह आसान हो जाता है। कत्थक नृत्य में भाव प्रकट करने के लिए आँखे बहुत महत्वपूर्ण होती है। मुझे सृष्टि के किरदार को निभाने में कत्थक नृत्य से ही काफी मदद मिली।
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अब तक के अभिनय करियर के टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?
सिर्फ करियर ही नही जिंदगी में भी उतार चढ़ाव आते रहते हैं। फिर हमारा अभिनय का कैरियर ऐसा है, जहाँ हम कभी पंद्रह घंटे काम करते हैं और लगातार कई माह व्यस्त रहते हैं, तो कई बार घर पर खाली बैठे रहते हैं। आम तौर लोग नौ से पांच की नौकरी करते हैं,जबकि हम कलाकार नौ से बारह बजे तक काम करते हैं। लेकिन जब आपको काम करते हुए खुशी मिलती है, उस वक्त आप उतार चढ़ाव भूल जाते हैं। कम से कम मैं तो अभिनय करने का आनंद उठाती हॅूं, उतार चढ़ाव के बारे में नही सोचती। मैं अपने काम को एन्जॉय करती हूँ।
सीरियल ‘‘रंग जाऊं तेरे रंग में’’ से जुड़ना कैसे हुआ?
सच कहॅूं पहले तो मैंने ऑडिशन दिया, फिर मेरा लुक टेस्ट हुआ। लुक टेस्ट से कुछ उत्सुकता जगी। उसके बाद मुझे इस सीरियल के कांसेप्ट और अपने किरदार के बारे में बताया गया,तो वह जानकर मैं उछल पड़ी। इस सीरियल को करने की पहली वजह यह रही कि ‘फिल्म फार्म’ एक ऐसा प्रोडक्शन हाउस है, जो हमेशा बेहतरीन कार्यक्रम बनाता आ रहा है। सभी जानते हैं कि ‘फिल्म फार्म’ हमेशा दर्शकों को अच्छी कहानी और अच्छा कंटेंट ही परोसता है। एक कलाकार के तौर पर अच्छी कहानी व अच्छे कंटेंट का हिस्सा बनने का अवसर मिलना बहुत बड़ी बात होती है। मुझे खुशी है कि इन लोंगों ने मुझे इस सीरियल से जुड़ने का अवसर दिया। इस सीरियल की कहानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि हमारे समाज में वास्तव में जिस तरह की घटनाएं आए दिन घटती रहती हैं, उन्ही को आधार बनाकर पेश किया जा रहा है। हम हर घटनाक्रम को बहुत ही सटल तरीके से दिखा रहे है। पर इसमें काफी रोचक मोड़ हैं।
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सीरियल ‘‘रंग जाऊं तेरे रंग में’’ के अपने सृष्टि के किरदार को किस तरह से परिभाषित करेंगी?
हर माता पिता सृष्टि जैसी लड़की की ही कामना करता है। इतना ही नहीं हर मां बाप अपने लड़के लिए सृष्टि जैसी बहू की ही चाहत रखता है। सृष्टि सीधी सादी खुशमिजाज लड़की हैं। सुबह उठकर पूजा पाठ करती है। बहुत कम बोलती है, मगर उसकी हर बात अर्थ पूर्ण होती है। काफी समझदार है। सृष्टि को पारिवारिक और जीवन मूल्यों की अच्छी समझ है। इसे निभाते हुए मैं काफी एन्जॉय कर रही हूँ।
सृष्टि समझदार है, तो फिर ऐन शादी के समय गायब होकर अपने माता पिता की इज्जत पर दाग क्यों लगाती है?
यही तो इंसानी सोच है। किसी भी घटनाक्रम को लेकर लोग बहुत ‘जज’ करते हैं। लोग हमेशा गलत अर्थ ही लगाते है। लोग यह नहीं सोचते कि सृष्टि जिस तरह की लड़की है, क्या वह ऐसा कदम उठा सकती है। पर लोग कहने लगते हैं कि सृष्टि भाग गयी। इसके पीछे की सिच्युएशन किसी को भी पता नहीं है। लोग यह भूल जाते है कि इंसान बुरा नहीं होता, सिच्युएशन बुरी होती है। सच यह है कि सृष्टि घर से भागी नहीं है। उसके साथ बुरा हादसा घटा है।
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सीरियल ‘रंग जाऊं तेरे रंग में’ में सुदेश बेरी सहित दूसरे दिग्गज कलाकार भी हैं। इनके साथ काम करते हुए आपने क्या सीखा?
सीखना तो बहुत दूर की बात है। इन कलाकारों के साथ काम करते हुए हमें इस बात का अहसास ही नहीं होता कि हम काम करने आते हैं। हमारे सेट पर जो माहौल है, वह पूरी तरह से परिवार जैसा है। फिर चाहे कलाकार हों, निर्देशक हों या स्पॉट बॉय हों। हम सभी काम करते हुए मजा करते हैं। हम एक दूसरे से सीखते हैं। उनसे अपनी हर बात शेयर करते हैं। इसलिए जाने अनजाने सीखने को बहुत कुछ मिल जाता है।
कोई ऐसा किरदार जिसे आप निभाना चाहती हों?
मुझे नारी प्रधान किरदार करने में बड़ा मजा आता है। मेरी इच्छा है कि मुझे किसी फिल्म में नारी प्रधान किरदार निभाने का अवसर मिले। यदि ईश्वर की अनुकंपा इसी तरह बनी रही, तो एक दिन मैं नारी प्रधान किरदार अवश्य निभाऊंगी। और यह ऐसा किरदार होगा, जो हर औरत व हर लड़की को इंस्पायर करेगा।
आपकी हॉबी क्या है?
डांस करना. अभिनय करना। नई नई चीजें सीखना।
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