-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी
जब माना जाता था कि एक सफल माॅडल कभी भी सफल अभिनेता नही बन सकता। तभी चेतन हंसराज ने माॅडलिंग के साथ ही अभिनय जगत में भी अपनी एक अलग पहचान बनायी.उन्होने टीवी के साथ ही फिल्मोें में भी अपने अभिनय से अपनी एक अलग पहचान बनायी.इन दिनांे वह ‘दंगल’ टीवी पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘षुभ षगुन’’ में नजर आ रहे हैं।
प्रस्तुत है चेतन हंसराज से हुई बातचीत के अंष...
आपके कैरियर के टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?
हर इंसान के कैरियर में टर्निंग प्वाइंट्स तो सदैव आते रहते हैं। कभी कभार बहुत अच्छे मौके आते हैं, पर उस वक्त आप तैयार नहीं होते हैं। कभी आप तैयार होते हैं,पर मौके नहीं मिलते। मेरे कैरियर में दो तीन टर्निंग प्वाइंटस प्रमुख रहे। मैं पांच वर्ष का था,जब मैंने अपने कजिन को टीवी पर देखा.तो मैने अपनी मां से कहा कि ‘मां मुझे यही करना है। ’मेरी बात सुनकर मां को आष्चर्य हुआ। उन्होने कहा-‘अभी पांच वर्ष के हो और अभिनेता बनने की बात कर रहे हो। ’’इसके बाद मेरे कैरियर में दूसरा टर्निंग प्वाइंट्स तब आया,जब मैं 27 वर्ष का था और ग्लैडराइड जीता था। एक जमाने मंे यह बहुत बड़ा माॅडलिंग की प्रतियोगिता थी। उसी से सब कुछ बदल गया। मैं माॅडलिंग में व्यस्त हो गया। फिर तीसरा टर्निंग प्वाइंट्स तीस वर्ष की उम्र में उस वक्त आया,जब मैं ‘‘बालाजी’’ से जुड़ा। जब मैने बालाजी के साथ सीरियलों में अभिनय करने का एग्रीमेंट करके बाहर निकला तो ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे सिर से सत्तर किलो बोझा हटा दिया हो और मेर सिर पर आषिर्वाद स्वरुप हाथ रख दिया हो.यह मेरा सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट्स रहा।
पूरे कैरियर में किस सीरियल ने षोहरत दिलायी या कोई ऐसा सीरियल जिससे उम्मीदें बहुत थी, पर पूरी नहीं हुई?
मेरा पंसदीदा सीरियल ‘‘कहानी घर घर की’ ही है। इसी ने मुझे जबरदस्त षोहरत दिलायी.इसके मेरे साषा के किरदार में कुछ बात थी। इसे बेहतरीन तरीके से लिखा गया था। यह कहीं न कहीं मेरे जैसा ही था। इसके अलावा सीरियल ‘जोधा अकबर’ का अधम खान का किरदार। वैसे मैने सबसे ज्यादा मेहनत सीरियल ‘महाकाली’ के लिए की थी.इसके मेकअप में काफी समय जाता था। इस किरदार को निभाना काफी कठिन था। इसके किरदार के लिए मेकअप करने मे एक घ्ंाटा और फिर उस मेकअप को निकालने में भी एक घंटे का वक्त लगता था.इसी तरह ‘ब्रह्मराक्षस’ का किरदार भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस किरदार को निभाना,इसके लिए मेकअप करना आसान नही होता था।
टीवी में एक ही किरदार को लंबे समय तक निभाने से कलाकार मोनोटोनस नहीं हो जाता है?
लक्कली मंैने किसी भी किरदार को एक या दो वर्ष से अधिक समय के लिए नहीं निभाया। यदि आप चार पांच माह लगातार एक ही किरदार को निभाते रहते हैं, तो मोनोटोनस हो जाता है। फिर कलाकार को मेहनत नही करनी पड़ती। वह सहजता से उस किरदार को निभाता रहता है। समय बीतता रहता है.कलाकार धन कमाता रहता है।
सीरियल ‘‘षुभ षगुन’’ को लेकर क्या कहेंगें?
इस सीरियल में मैं बहुत ही ज्यादा डैष्ंिाग किरदार निभा रहा हॅूं। कहानी के अनुसार मेरे किरदार की अपने भतीजे से बनती नही है। हमेषा टकराव होता रहता है। कहानी के केंद्र में चाचा भतीजा ही हैं। इनके बीच समस्या क्यों है,इसी पर पूरा सीरियल है। इनके बीच जो मुद्दंे हैं,वह काफी रोचक हैं।
अपने किरदार को किस तरह से परिभाषित करेंगंें?
बहुत ही ज्यादा कलकुलेटिब कुल किस्म का है।
आपने ‘स्टार प्लस’ जैसे बड़े चैनल पर काम किया है और अब आप ‘दंगल टीवी’ जैसे छोटे चैनल पर काम कर रहे हैं?
मेरी राय में ‘दंगल टीवी’ को छोटा चैनल कहना सबसे बड़ी गलती है। ‘दंगल’ तो बड़े बड़े चैनलांे को टक्कर दे रहा है। अब जब हम भी ‘दंगल’ मंे आ गए हैं, तो ‘दंगल’ और अधिक बड़ा हो जाएगा।
पिछले कुछ समय से कई टीवी कलाकार टीवी से इतर काफी काम कर रहे हैं,आप भी कुछ कर रहे हैं?
मैं लोगों को ‘वीएफएक्स’ की ट्ेनिंग देता हॅूं.मैं गेम डेवलपमेंट टीचर भी हॅूं। मै पिछले नौ वर्र्षों से एंजल इंजिल में सीख रहा हॅंू और सिखा भी रहा हूँ। मैंने कठिन परीक्षाएं पास की हैं। मैं वीएफएक्स, वच्र्युअल प्रोडक्षन सहित सब कुछ सिखाता हॅूं.कोरोना काल के दौरान मैने कुछ वैज्ञानिकों को इकट्ठा कर ‘आॅक्सीजन कांसंट्ेटर’ का निर्माण किया है.मैं अपनी क्षमता के अनुरूप इतना ही कर पाया। मैंने अपने दो के लिए यह कदम उठाया है। अब कोई षख्स चाहे,तो इन आक्सीजन कांसंट्ेटर को बनाने के क्षेत्र में इंवेस्ट कर सकता है।
आप लोगों का वीएफएक्स व गेमिंग ऐप बनाना सिखा रहे हैं.पर आपका ख्ुाद का गेमिंग प्लेटफार्म षुरू करने की योजना नही है?
गेमिंग प्लेटफाॅर्म षुरू करने कें लिए बहुत पैसा चाहिए.लेकिन भविष्य में क्या होगा,किसे पता। इतना ही नही मैं पिछले सात वर्ष से एक काॅसेप्ट पर काम कर रहा हँू। इसे मैं ख्ुाद बनाना चाहूॅंगा। मुझे पता है कि इसका बजट आसमान को छूने वाला है। हनुमान जी चाहेंगें तो इस वर्ष के अंत तक मेरी यह फिल्म षुरू हो जाएगी।
लोग अब ओटीटी पर भी जा रहे हैं। आपकी कोई योजना?
मैं अभी ओटीटी पर ‘लाॅकअप’ का हिस्सा था। इसके अलावा मंैने ओटीटी के लिए एक फिल्म और एक वेब सीरीज की है, जो कि जल्द आएंगा। मुझे लगता है कि हर कलाकार को ओटीटी पर जाना चाहिए।