-लिपिका वर्मा
आप टाइपकास्ट नहीं हुए अपनी डेब्यू फिल्म ‘मर्दानी’ में पारंपरिक किरदार से फिल्मों में पदार्पण किया और उसके बाद एकदम तरोताजा अलग से किरदार फिल्म, ‘छिछोरे’ में एक अलग किरदार में देखने मिला। इसके बाद एक रोमांटिक किरदार में अब आगे नजर आने वाले है-आने वाली फिल्मे-वेब सीरीज, ‘यह रंजिश ही सही’,‘यह काली काली आँखे’ और ‘लूप लपेटा’ में रोमांस करते हुए दिखाई देंगे। ‘यह रंजिश ही सही’ वूट ओटीटी प्लेटफार्म पर बहुत जल्द प्रीमियर होने को है। इस में ताहिर एक शादी शुदा निर्देशक का किरदार निभा रहे है। यह शो महेश भट्ट परवीन बॉबी के रिश्ते से प्रेरित है ।
यह काली काली आँखें के बारे में कुछ बताएं?
यह फिल्म भी एक लव ट्रायंगल फिल्म है। विक्रांत जो एक छोटे शहर का लड़का है वो बस अपनी पसंद की लड़की और एक अच्छी नौकरी कीकर जीव में सेटल होना चाहता है। पर जैसे ही एक दुमदार राजनेता की सुपुत्री विक्रांत से शादी करने की ठानती तो उसके जीवन उथल पुथल हो जाता है! यह साधरण व्यक्ति की तरह इन सभी असाधारण मोहौल से लड़ कर अपना प्यार और अपना जीवन वापस पटरी पर लाता है यह जद्दो जहद इस कहानी का मुख्य अंश है।
लूप-लपेटा का टाइटल क्या मायने है इसका? और क्या है?
‘लूप-लपेटा’ क्योंकि आप फिल्म देख रहे है और लपेटा एक यू ही एक बोलचाल की भाषा है जैसे हम बोलते है माल लपेट लिया इत्यादि। और इस फिल्म में पैसों से जुड़ा तीन घटनाये जुडी है। यह मेरे लिए बहुत ही मजेदार किरदार है जो में निभा रहा हूँ। बस वह एक झोलेर है और अपनी झोलार्पन्ति से कुछ भी हासिल करने की फिराक में रहता है!
तापसी पन्नू की तारीफ में आगे ताहिर बोले, ‘यह एक अभूतपूर्व कलाकार है। मैं ऐसे कलाकारों की बहुत इज्जत करता हूँ जिन्होंने अपनी मेहनत से एक मुकाम हासिल किया हो। और तापसी को हमने बतौर एक एक्टेªस बनते देखा है फिर स्टार भी बनते हुए देखा है। यह स्वयं निर्मित कलाकारा है। यह आज की पीढ़ी का एक अनूठा रोमांस है जो के दर्शको को देखने मिलेगा जो रोमांस को फिर से परिभाषित करेंगा।
और वेबसिरीज, ‘रंजिश ही सही’ जो जल्द वोट पर नजर आने को है ,यह निर्देशक महेश भट्ट और परवीन बॉबी की लव स्टोरी पर है। क्या कहना चाहेंगे ‘ 70 की दशक की हीरोइन दिवा कहलाना पसंद करती थी?
यह दिवा की लार्जर दैन लाइफ का वर्णन है। शंकर के लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है की वह ऐसे चुम्बकिये किरदार के प्रति आकर्षित न हो पाये यह मुमकिन नहीं है। यह दोनों अपने काम में अपनी काबिलियत साबित करने हेतु मेहनत भी कर रहे है। और इसी बीच दोनों एक दूसरे में मशगूल भी हो जाते है यह उनके बीच एक सुंदर डायनामिक-गतिशीलता, है।
‘रंजिश ही सही‘ शो में 70 की दशक के सेट्स को री-क्रिएट कारण और उस में काम करने का क्या अनुभव रहा?
70 के दशक के सेट्स को री-क्रिएट किया इस में उस समय के कैमरा ,लाइट्स और उस समय किस तरह मशीन पर एडिटिंग होती थी ,यह सब एहसास करना एक अनूठा अनुभव रहा। अब ऐसी चीज केवल म्यूजियम में देखने को मिलेगी। उस समय में जाना और उस समय के धैर्य के अनुभव का एहसास होना सच में कितना अलग रहा होगा। आज तो हम एक टेक ले या ढेर सारे टेक लें कुछ ही समय के बाद हमें अपने काम का रिजल्ट देखने को मिल जाता है। 70 के दशक में जब टेक्नोलॉजी बहुत कुछ एक्स्प्लोर कर रही थी उस सब को जानने का एक जॉय अलग ही रहा। एडिटिंग मशीन पर किस तरह नेगेटिव को बार -बार कट कर जोड़ना होता यह सब कला को एक सीन में करते हुए बहुत ही आनंदमय एहसास हुआ मुझे।