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बहुमुखी प्रतिभा के धनी, हार्ड वर्किंग, ऑनेस्ट, कमिटमेंट के पक्के, और बर्निंग डिजायर से भरपूर, रियल लाइफ हीरो- डॉक्टर योगेश लखानी से एक एक्सक्लुसिव मुलाकात

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-सुलेना मजुमदार अरोरा

कौन कहता है आसमाँ में सुराख हो नहीं सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों

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यह उक्ति डॉक्टर योगेश लखानी के लिए एकदम सटीक बैठती है जिन्होंने अपनी अब तक की उप्लब्धियों से ये साबित कर दिया है कि किस तरह कोई इंसान अपनी अथक मेहनत, लगन और अच्छे कर्मों को करते हुए जीरो से हीरो बन सकते हैं और एक कमरे वाले निवास और छोटी सी टेबल जितनी जगह वाली ऑफिस से मुंबई में एक विशाल आलीशान कोठी के मालिक और साथ ही ब्राइट आउटडोर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के चैयरमैन तथा मैनेजिंग डायरेक्टर और इस आउटडोर एडवरटाइजिंग फील्ड के लीडर बन सकते हैं।

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पिछले चार दशकों से जबरदस्त विकास कर रहे उनके आउट ऑफ होम (व्व्भ्) एडवरटाइजिंग कम्पनी आज हर तरह के नोवल कम्युनिकेशन सॉल्यूशन अपने क्लाइंट्स को प्रोवाइड करते हुए सतत बहुसांस्कृतिक और आउटडोर विज्ञापन अभियानों को और भी परिष्कृत सेवाओं के साथ, हर किसी के रचनात्मक आवश्यकता, विचार और बजट के अनुसार मुहैया कराती है।

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आज की तारीख में ब्राइट आउटडोर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी  नवीन वेंचर के तहत, डिजिटल , प्रिंट, रेडियो तथा न्यूजपेपर ब्रांडिंग के साथ भी अपनी सेवा शुरू की है। इस तरह दुनिया में ब्राइट आउटडोर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड एक चोटी की कम्पनी बन कर ब्राइटली चमक रही है और  इसका श्रय जाता है डॉक्टर योगेश लखानी को। बॉलीवुड और हॉलीवुड के सुपर स्टार्स से लेकर बड़े-बड़े पॉलिटिशियन, टॉप के समाजसेवी से लेकर दुनिया के हर वो इंसान जो अपने अपने फील्ड के माहिर हैं वे सब योगेश लखानी जी के मुरीद है और उनके द्वारा रखी जाने वाली पार्टी या गेट टुगेदर में शामिल होने की राह देखते रहते हैं। ब्राइट आऊटडोर मीडिया, भारत के वन ऑफ द बिग्गेस्ट व्व्भ् प्लेयर है और इसके लिए बहुमुखी प्रतिभा के धनी योगेश जी को अमेरिका के सोर्बोंन यूनिवर्सिटी ने ऑनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया है।

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उनसे मेरी पहचान कराई हमारे मायापुरी पत्रिका के मालिक श्री पी के बजाज जी ने, दरअसल सोलह जनवरी को डॉक्टर योगेश लखानी जी की श्रीमती जी, जागृति योगेश लखानी का जन्मदिन था और चैबीस जनवरी को उनके नन्हे सुपुत्र अनुग्रह योगेश लखानी का भी जन्मदिन है और इन उप्लक्षों को वे हर बार की तरह इस बार भी, जी भरकर दान धर्म करके मनाना चाहते है। इस बारे में और जानकारी लेते हुए मैंने उनसे पूछा, ‘आपकी वाइफ जागृति जी का बर्थडे सोलह जनवरी को था और आपके बेटे अनुग्रह का बर्थडे चैबीस जनवरी को है, तो क्या आप कोई धमाकेदार पार्टी रखने का विचार कर रहें हैं?’

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इस पर योगेश जी ने कहा, ‘वैसे तो मैंने बहुत बार स्टार स्टडेड पार्टियां रखी थी, जिसमें बॉलीवुड के सारे टॉपमोस्ट सुपरस्टार्स से लेकर टॉपमोस्ट नेता, राजनेता, मंत्री, महामंत्री सभी आते रहे हैं, लेकिन अब मैं इन बहुमूल्य दिनों को दान धर्म करके मनाना चाहता हूँ। योगेश जी ने तीन अनाथाश्रमों में मुक्त हस्त से दान दिया है, एक आश्रम है, जहाँ सारे हैंडीकैप्ड गरीब लोग भर्ती है, जिन्हें दिखाई नहीं देता, जो चल नहीं पाते बोल नहीं पाते, वहाँ भी योगेश जी ने धन के साथ साथ डाइपर और दवाइयां डोनेट की, इसके अलावा योगेश जी का एक डायलिसिस का अस्पताल है, ये फाइव स्टार हॉस्पिटल यानी डायलिसिस सेंटर है जहां उन्होंने दो सालों में पचास हजार डायलिसिस फ्री करवाई है। इस काम में उनका पूरा ग्रुप साथ है, और वे अपने ग्रुप के चैयरमैन और प्रेसिडेंट हैं।

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इसके अलावा हर सन्डे वे रास्ते के हजारों गरीब लोगों को खाना खिलातें हैं, इसमें उनके सोलह सौ लोग ग्रुप सर्विस देतें हैं। वे कई ओल्ड एज होम को फ्री में खाना भेजते हैं, इस तरह सोशल वर्क करने वाले यही डॉक्टर योगेश लखानी ने  दस हजार मूवी के लिए भी काम किया है, पाँच हजार अवाॅर्ड्स और स्टेज पर सम्मान उनको मिल चुका है, उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है और हजार से ज्यादा उनके होर्डिंग्स है। सौ लोगों से ज्यादा उनका स्टाफ है। 42 इयर्स ओल्ड उनकी कम्पनी है और  इतना सब कुछ के बावजूद डॉक्टर योगेश एक बेहद डाउन टू अर्थ इंसान हैं। माता पिता के आशीर्वाद, ईश्वर की कृपा और सतत मेहनत को अपनी पूँजी और सफलता की कूंजी मानते हैं।

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दान धर्म के बारे में बात चली तो वे आगे बोले, वैसे पहले भी मैं खुले हाथों से दान धर्म करता रहा हूँ, और पार्टी भी आयोजित कर रहा हूँ, लेकिन इस बार पार्टी न रखकर सिर्फ दान और जन सेवा करना चाहता हूँ, गरीबों को खाना खिलाना, बच्चों के अनाथालय और वृद्धाश्रम और अस्पतालों में जाकर उन्हें खाना खिलाना, दवाई बाँटना उन्हें आर्थिक मदद करना, ये सब मैं कर भी रहा हूँ और आगे भी करूँगा। भिवंडी में एक आदिवासी गाँव है, वहां बहुत गरीबी है, वहां भी जाकर बारह सौ, पन्द्रह सौ से ज्यादा लोगों को मैं खाना खिलाने वाला हूँ। मुझे ये सब सेवा करते हुए बहुत अच्छा लगता है।

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यह सेवा और दान धर्म की भावना आपके अंदर कैसे आई?

बस मन में आया कि गरीबों की सेवा के लिए ये सारे खर्च करना चाहिए, अपना पैसा और टाइम सोशल वर्क में देने की इच्छा हुई, ईश्वर ने जो मुझे इतना कुछ दिया वो मैं समाज में वापस करना चाहता हूँ।

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तो आप अब पार्टी नहीं रखते?

तीन चार साल से नहीं रखता हूँ, बीच बीच में एक आध बार कोई पार्टी रख लेता हूँ पर नियमित रूप से अब नहीं रखता।

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यानी अब आप पूरी तरह सोशल सर्विस और दान धर्म में ही अपना वक्त दे रहें हैं?

हाँ, लेकिन मैं इसपर कोई घमंड नहीं करता, क्योकि मैं मानता हूँ कि मैं कुछ नहीं कर रहा, सब ऊपर वाला करवा रहें हैं। सब कुछ उनका दिया हुआ है। ऊपर वाले ने मुझे दिया है तो मैं दान कर रहा हूँ, यही मेरी खुशी है।

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लेकिन ऐसे तो बहुत लोग हैं जिनको भगवान ने भर भर कर दिया लेकिन आपकी तरह दिल खोलकर कोई दान नहीं करता, इस बारे में आप क्या कहेंगे?

ये उनकी मर्जी है। दरअसल नीयत होनी चाहिए, दानत होनी चाहिए और अपने पुराने दिन किसी को नहीं भूलना चाहिए। हमें समाज के लिए कुछ करने की, मर मिटने की भावना होनी चाहिए। सब लोग अपने लिए तो जीते ही हैं, दूसरों के लिए भी जीना चाहिए।

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वैसे तो आपकी जिंदगी की कहानी, फर्श से अर्श तक का सफर सभी जानते हैं, गूगल में आपके चर्चे, आपकी कहानी सब से ज्यादा पढ़ी जाती है लेकिन मैं आपके मुँह से सुनना चाहती हूँ कि एक मिडल क्लास बल्कि गरीब परिवार से होने के बावजूद आज जिस तरह आपकी सफलता आसमान छू रही है वो कैसे संभव हुआ?

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जी हाँ, मैं एक बहुत गरीब घर में पैदा हुआ, जब मैं पैदा हुआ तो माँ को और मुझे हॉस्पिटल से छुड़ाने के लिए पैसे नहीं थे, हम लोग दस बाई दस के एक कमरे की चाली में रहते थे, वहां से बहुत कठिन मेहनत करके ऊपर आया, जब मैं पाँचवी में पढ़ता था तब से रोड पर अखबार बेचने का, फटाके बेचने का, माचिस बेचने का और भी छोटे छोटे काम करता था, कई जगह छोटी मोटी नौकरी करता रहा और फिर 1980 में खुद का धंधा चालू किया कमीशन पे, दिन भर मेहनत करता था, साल के 365 दिनों में डेढ़ सौ दिन तो मैंने ठीक से खाना नहीं खाया, सिर्फ एक टाइम खाना खाता था, ऐसे दो तीन साल निकाला, स्टार्टिंग के पाँच साल तो मैंने बिना सोए रात रात भर काम किया, सोलह सोलह घंटे काम किया, मेहनत किया, ईमानदारी रखा और बेस्ट सर्विस दिया और इस तरह धीरे धीरे सफलता मेरा साथ देने लगा और आज मैं जो हूं उसी वजह से हूं।

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योगेश जी, आपकी तरह बहुत से लोग गरीब परिवार से आतें हैं लेकिन सभी डॉक्टर योगेश लखानी नहीं बन पाते, आप जिस तरह आग में तपकर सोना बनकर निखरे हैं, और एक मजबूत इंसान बनकर हिमालय की तरह अडिग है, तो ये मजबूती आपको मिली कहाँ से?

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देखिए मैडम, इंसान के अंदर गट्स होना चाहिए, कुछ बनने का जुनून होना चाहिए कि उसे आगे बढ़ना है, अपने लिए, अपने परिवार के लिए और अपने समाज के लिए। खुद पहले आप कुछ बन पाओगे तब आप समाज सेवा भी कर पाओगे। मन में एक जोश होना चाहिए, सोलह सोलह घंटे लगातार काम करने की कर्मठता होनी चाहिए। जो जोश मेरे अंदर चालीस साल पहले थी, वही आज भी है। सच कहूँ तो समय और संजोग इंसान को सब सिखाता है। मैंने बहुत दुख तकलीफ के दिन झेले, भले ही कोई गरीब हो लेकिन अगर वो कुछ बनने का सपना देखे और उसपर मेहनत करे तो सपना सच हो सकता है, और कई बार जब लोग थोड़ा पैसा कमा लेते हैं तो पैसे के नशे में चूर हो जाते हैं, छलक जाते हैं लेकिन मैं सफलता और पैसा पाने के बाद भी छलका नहीं,

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माता पिता के संस्कार के दायरे में मैं हमेशा रहा, कभी, पान, सिगरेट, शराब को हाथ नहीं लगाया, सिंपल लाइफ जीता हूँ, अपने कम्पनी को आगे बढाने के लिए चिंतन करता रहता हूँ, सोशल वर्क में भी व्यस्त रहता हूँ। मैं सिंपल घर का खाना खाता हूं, टिफिन लेकर चलता हूँ, मैं चाहूं तो फर्स्ट क्लास में भी ट्रैवल कर सकता हूं लेकिन मैं इकोनॉमिक क्लास में ट्रैवेल करके वो पैसे बचाकर उसे डोनेट कर देता हूँ। मैं एक वृक्ष की तरह जीने में विश्वास रखता हूँ, वृक्ष खुद धूप सहन करके दूसरों को छाँव देता है, खुद बारिश में भीग कर अपने आश्रितों को आश्रय देता है। खुद फल का वजन उठाकर दूसरों को खाने के लिए फल देता है, आप देखिए अगरबत्ती खुद जलकर भी दुनिया को खुशबू देती है।

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ईश्वर हमें इंसान बनाता है, ये हमपर निर्भर करता है कि हम अच्छे इंसान बने या बुरा इंसान बने। हमें ईश्वर ने इंसान बनाया और माँ बाप ने अच्छे संस्कार दिए। मेरे पास कितने सारे वर्कर्स और हेल्पर्स हैं लेकिन मैंने अपने माता पिता की, अपने हाथों से सेवा की, हमेशा उनके साथ उनके पास रहा, उनके अंत समय तक। उनके अंतिम दिनों में, कई बार तो मैंने अपने हाथों से उनके मल मूत्र साफ किए, मैंने कभी इन सब सेवाओं को करने में शर्म नहीं की, जब मैं बच्चा था तो मेरे माता पिता ने भी मेरे लिए कितना कुछ किया, मेरी सेवा करके मुझे बड़ा किया। मेरी नजर में उम्रदराज लोग भगवान के स्वरूप होते हैं और बच्चे का रूप होतें है, उसे भगवान की सेवा और बच्चे की सेवा समझकर करना चाहिए।

योगेश जी आपकी बातें वाकई प्रेरणादायक है,

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मैं दुनिया के लिए और समाज के लिए भी यही भावनायें रखता हूं, मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे ऐसा ही रखे, मेरे पास और भी धन आएगा तो मैं और झुक जाऊँगा, जैसा कि जब तूफान आता है, तो जो वृक्ष झुकते नहीं वो टूट जाते हैं और जो लता की तरह तूफान की वेग में झुक जाते हैं वो टूटते नहीं, हवा का वेग सह लेते हैं। इसलिए मैं झुकने में विश्वास करता हूं। हमें घमंड किसी बात का नहीं करना चाहिए। भगवान ने हमें जो दिया है, जितना दिया है, वो समाज के उपयोग में आना चाहिए, लोगों के उपयोग में आना चाहिए, दो दिन की जिंदगी है, हंस बोल के, खुशी खुशी जीना चाहिए और सबको खुश रखना चाहिए।

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बचपन में या किशोरावस्था में आपने अपने लिए जो सपने देखे थे, क्या वो पूरे हो गए?

हाँ, बिल्कुल, बल्कि उससे ज्यादा ही हो गया, भगवान के आशीर्वाद से। जब मेरे पिताजी होस्पिटलाइज्ड थे तो हमारे पास सौ रुपए नहीं था हॉस्पिटल बिल का, फिर जब मैं कॉलेज में था तो फीस के पैसे नहीं थे, तो मैंने तब से सोचा था कि मैं कुछ बनूंगा, नाम कमाऊँगा, आगे बढूंगा, भगवान ने मुझे सब कुछ दे दिया, जो चाहा था, शोहरत, रुतबा, नाम, पैसा, अच्छी फैमिली, और अगर मुझे भगवान ने इतना कुछ नहीं भी दिया होता तो भी मैं भगवान से कम्प्लेन नहीं करता, मैं यही सोचता कि भगवान ने जो दिया, जैसा दिया उसी में  खुश रहने का, क्योकि मैनें देखा है कि दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है, मैं जब रास्ते में झोपड़ी में लोगों को इतना दर्द तकलीफ में देखता हूँ तो मुझसे रहा नहीं जाता, मैं उनकी मदद करने लगता हूँ। ईश्वर ने हमें कुछ दिया तो मुझे वो आगे बाँटना चाहिए।

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जो आपकी तरह बनना चाहते हैं, आपकी तरह आसमान छूना चाहते हैं वे जानना चाहते हैं कि आपकी कामयाबी का असल मंत्र क्या है?

हार्ड वर्क, गॉड्स ब्लेसिंग, यानी ईश्वर की असीम कृपा,  माता पिता का आशिर्वाद और लक।

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यानी भाग्य का भी होना जरूरी है?

लक की जरूरत थोड़ी बहुत तो होती है और भाग्य को एक हद तक मानना पड़ता है लेकिन उससे पहले कर्म अच्छा करना पड़ता हैं। कर्म से ही भाग्य में पॉजिटिव या नेगेटिव इफेक्ट आता है, अच्छे कर्म करोगे तो भाग्य अच्छा रिजल्ट देगा, बुरे कर्म करोगे तो बुरा रिजल्ट देगा। और दूसरी बात की अगर आपको आगे बढ़ना है, कुछ बनना है तो विजन रखना जरूरी होता है, मेहनत बहुत करना पड़ता है, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, मैंने कॉलेज  लाइफ में कॉलेज लाइफ को भरपूर नहीं जिया, शुरू शुरू में फैमिली लाइफ को भी  भरपूर जीने का मौका नहीं मिला, अब जाकर मैं अपनी  फैमिली को पूरा टाइम देता हूँ, उन्हें विदेश घूमाने ले जाता हूँ, बड़े बड़े होटल्स में खाना खिलाने ले जाता हूँ, खूब घुमाता फिराता हूँ, खूब मजा कराता हूँ,  लेकिन स्टार्टिंग टाइम में बहुत कुछ कॉम्प्रोमाईज भी करना पड़ता है, जीवन में बहुत कुछ एडजस्ट करना पड़ता है, तब आपको अपना सपना पूरा करने को मिलता है।

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फिल्मों की दुनिया में आपकी एंट्री कैसे हुई?

बचपन से मुझे फिल्में देखने का बहुत शौक था, पैसे नहीं भी होते थे तो भी किसी तरह एक रुपये पाँच पैसे जमा करके दूर दराज के सिनेमाघरों में, जहां टिकट का भाव सस्ता होता था, वहाँ जाकर पहला शो में बैठकर फिल्में देखता था। फिर मेरे पिताजी जब रिटायर हुए तो  वीडियो टीवी का ऑफिशियली धंधा, भाड़े पर देने का, एक घंटे दो घंटे वाला, वो काम उन्हें लगा के दिया फिर 1987 में मेरे घर के बाजू में मानिकचन्द वाले एक जन रहते थे जो डिस्ट्रीब्यूटर थे, मानिकचन्द जी  फिल्मफेअर अवाॅर्ड आयोजित करते थे। तो एक दिन मानिकचन्द जी ने मुझे फिल्मफेअर अवाॅर्ड शो में बुलाया उसका ब्रैंडिंग करने के लिए, होर्डिंग लगाने के लिए, तो उसमें शामिल होकर मुझे बहुत अच्छा लगा सब बड़े बड़े स्टार्स को देखकर।

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फिर मैंने इस काम को अपने तरीके से आगे बढ़ाने की अक्ल लगाई, कई स्कीम्स शुरू किए, तीन लाख में पचास होर्डिंग्स वाला स्कीम बनाई।  मेरी वो स्कीम हिट हो गई, और उसके बाद एक के बाद एक फिल्में मिलने लगी। जितने सुपरस्टार्स है इंडिया में, उन सबका काम सबसे पहले मैंने किया, शाहरुख भाई, सलमान भाई, रितिक रोशन, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, दीपिका पादुकोण, मल्लिका, बिपाशा, कैटरीना, आयुष्मान खुराना, बोनी कपूर, मतलब जिसका भी नाम लेलो, अर्जुन कपूर से लेके अर्जुन रामपाल, शाहिद कपूर, सारे के सारे सुरस्टार्स की पहली फिल्म मैंने किया, मेरी दोस्ती भी इन सब सुपर स्टार्स के साथ बहुत अच्छी बन गयी।

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जब वे नए थे तो  मैंने कम बजट पर उनके लिए काम किया और आज वे सब इतने सफल और बड़े हो गए तो वे लोग मुझे याद रखते हैं। तो फिल्मों में मैं उस टाइम से जुड़ा हूँ। गीता में कहा है न कि अच्छा कर्म करोगे तो उसका फल इस दुनिया में ही मिलेगा। तो वो मुझे मिल रहा है। मैं जब फिल्म पार्टी में जाता हूँ तो कभी पान, सिगरेट, दारू नहीं लेता। कमल जैसे कीचड़ में रहकर भी क्लीन रहता है, वैसे ही मैंने हमेशा अपनी इमेज को क्लीन रखा। शायद इसलिए, जितना मैंने सोचा था ईश्वर ने मुझे उससे ज्यादा दिया। आज मुझे किसी चीज की कमी नहीं है। भगवान का आशिर्वाद है हमारे साथ।

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कोरोना काल को आप किस तरह एडजस्ट कर रहें हैं?

दुनिया में सुख और दुख आता है और जाता है, सूरज उगता है और डूबता है और फिर उगता है। तो कोरोना काल में स्ट्रेस तो बहुत हुआ सबको, नुकसान भी बहुत हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारना चाहिए, बस लड़ते रहना है, जीवन का नाम ही संघर्ष है और हम सबको इन संघर्षों को एक्सेप्ट करना है। संघर्ष का नाम ही जिंदगी है।

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आपका बेटा अनुग्रह,  बहुत नटखट है या शांत स्वभाव का है?

वो बहुत प्यारा है, बहुत मस्तीखोर है और अभी बहुत छोटा ही है अभी सातवां साल उसका चालू होगा, बहुत मस्ती करता है लेकिन बहुत मजा आता है उसके साथ खेलने में। उसकी नटखट मस्तियां देखने में बहुत अच्छा लगता है, छोटे बच्चे भगवान का स्वरूप होते हैं न, उनकी निस्वार्थ मस्ती और बातों में समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता। सन्डे सन्डे को उसके लिए टाइम निकालता हूँ और जब भी फुर्सत होती है उसके साथ खेलता हूँ और  दो तीन महीनों में उसे बाहरगांव भी घुमाने ले जाता हूँ।

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आपके बेटे का रुझान किसमें हैं, पढ़ने में या खेलकूद में?

अभी तो वो छोटा है, छः साल का है, मैं उसे अपने साथ अच्छी अच्छी जगह ले जाता हूँ, मंदिर, धार्मिक स्थानों में। कोशिस कर रहा हूं  उसमें हमारे अच्छे संस्कार देने की, लेकिन बड़े होने के बाद वो कैसा बनेगा बोल नहीं सकता, बड़े होने के बाद उसका सर्कल कैसा होगा इस बात पर सब निर्भर करता है। जो एक उम्र होती है न, बारह से बीस का, उसी उम्र में या तो बच्चा अच्छा बनता है या बिगड़ जाता है। उम्मीद और कोशिश है कि वो अच्छा इंसान बने।

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आप वेब सीरीज में इन दिनों क्या कर रहें हैं?

मैं वेब सीरीज की पब्लिसिटी कर रहा हूँ, वेब सीरीज के बहुत सारे हीरोज की, बाला जी की, अमेज़्ााॅन नेटफ्लिक्स की पब्लिसिटी, सब वाया वाया और डायरेक्ट भी मेरे बहुत से क्लाइंट है, इनके प्रोमोज कर रहा हूँ।

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आप खुद कोई फिल्म या वेब सीरीज बनाने की सोचते हैं?

मेरे ऊपर ही फिल्म बन रही है और मुझपर एक किताब भी लिखी जाने वाली है, इसके लिए मुझे रोज ऑफर आते हैं लेकिन मैं ही थोड़ा समय ले रहा हूँ, ये सोचकर कि थोड़ा और उप्लब्धियां हासिल कर लूं।

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आपने ऑलरेडी बहुत उप्लब्धधियों को हासिल किया है, आप हमारे पाठकों को कुछ कहना चाहते हैं?
चाहे कितना भी आसमसन छू लूँ लेकिन पाँव तो जमीन पर ही रखना है, जमीन पर ही चलना है। मैं घमंड किसी बात का नहीं करता। आप सब से यही कहना है कि ऑनेस्टी, हार्ड वर्क और अपने अंदर बर्निंग डिजायर रखिए। मैं भी ऐसा करता हूँ, निस्वार्थ रहता हूँ, इसलिये सबसे मेरी दोस्ती एक बार शुरू होती है तो जीवन भर बनी रहती है, कोई मुझे छोड़ते नहीं है।

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आप मायापुरी पढ़ते हैं?

बिल्कुल पढ़ता हूँ, सालों से पढ़ता हूँ, मायापुरी जैसी और कोई इतनी पुरानी, इतनी अच्छी, इतनी सही खबर और सही आर्टिकल्स देने वाली साफ सुथरी हिंदी पत्रिका कोई है ही नहीं। आमिर खान ने भी अपनी फिल्म में मायापुरी को डाला था। मैं तो मायापुरी का फैन हूँ और मैं श्री प्रमोद बजाज (पी के बजाज) और श्री अमन बजाज को सैलूट करता हूँ कि उन्होंने इस पत्रिका को इतने सालों तक तो संभाला ही और आज कोरोना काल में भी, डिजिटल मायापुरी के रूप में भी इस पत्रिका को टॉप पोजिशन पर रखा है, इसके लिए मैं दिल से प्रमोद बजाज जी और अमन बजाज जी को सैलूट करता हूँ और आप लेखकों को भी बधाई देता हूँ। पाठकों से कहना है कि बॉलीवुड से प्यार है तो मायापुरी जरूर पढ़ते रहें।

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ब्राइट आउटडोर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित ब्राइट अवार्ड्स नाईटकिसी मेगा शो की तरह मनाई जाती रही है जिसमें बॉलीवुड के बड़े-बड़े सुपरस्टार एक्टर्स और देश भर के जाने माने नेतागण शिरकत रहें हैं।

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