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Vicky Kaushal Interview: बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल (Vicky Kaushal Interview) इन दिनों अपनी फिल्म ‘Chhaava’ को लेकर चर्चा में है. इस फिल्म में उनके साथ पैन इंडिया की एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना है. फिल्म में विक्की छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका निभा रहे हैं. हाल में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया, जहाँ उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में आने और अपने फ़िल्मी सफ़र के बारे में बात की. क्या कुछ कहा उन्होंने, आइए जानते हैं.
Vicky Kaushal Interview
आपका स्टारडम एकदम से नहीं आया है, यह धीरे- धीरे आया है. 2019 में आई आपकी फिल्म ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ ने आपकी किस्मत बदल दी. इसके बाद आपने पीछे मुड़कर नहीं देखा. लेकिन इसके बावजूद आप हमेशा कहते हैं, “मैंने अभी तक वह टाइटल (स्टार) नहीं कमाया.” आखिर आप ऐसा कहते क्यों है?
मुझे लगता है कि आजकल के समय में हम अक्सर स्टारडम को ट्रेंडिंग से जोड़ देते हैं. हर हफ्ते कोई नया स्टार बन जाता है, क्योंकि हर हफ्ते कोई नया एक्टर ट्रेंड कर रहा होता है. मुझे लगता है कि स्टारडम को धरोहर से जोड़ना चाहिए, यह सिर्फ एक हैशटैग से नहीं होना चाहिए. जिस दिन एक बहुत ही खराब ट्रेलर या पोस्टर के बावजूद, लोग उस एक्टर को देखने के लिए सिनेमाघर में जाएं – वही स्टारडम है.
इस साल मेरी फिल्म इंडस्ट्री में दसवीं सालगिरह है, और मुझे अभी भी बहुत कुछ करना है और बहुत कुछ सीखना है. दस साल पहले, मैं नहीं सोच सकता था कि मेरा सफ़र इतना खूबसूरत होगा.
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Vicky आपने एक बार कहा था कि आपका कभी भी कोई प्लान B नहीं था. क्या आपको पूरा विश्वास था कि आप इतनी दूर तक आएंगे?
मैं कभी भी Plan B पर विश्वास नहीं करता और यह कोई सोच-समझकर लिया गया फैसला नहीं है. यह मुझे Plan A में अपनी पूरी ताकत देने के लिए प्रेरित करता है. आजकल, जो भी आप करना चाहते हैं, उसमें अपनी पूरी मेहनत देना ही कम से कम है. अगर आप कम कर रहे हैं, तो आप बहुत कम कर रहे हैं. यह जानना कि आपके पास एक Plan B है, सिर्फ मुझे कमजोर बनाता है. इसके अलावा, मेरे लिए लीडिंग मैन का रोल काफी बाद में आया. 2009 में जब मैंने कॉलेज खत्म किया और एक्टिंग स्कूल में एडमिशन लिया, उस समय हीरो को लॉन्च किया जाता था. लेकिन अभी जो वक़्त चल रहा है वो बेहद खूबसूरत है क्योंकि कोई भी नया एक्टर जिसने भी बेहतरीन काम किया है, चाहे वो दो ही सीन में क्यों न हों, वह नोटिस किया जा रहा है और उसे अच्छे मौके मिल रहे हैं.
आपने अपने करियर की शुरुआत में 300- 400 ऑडिशन दिए है, साथ ही घंटों- घंटों इंतज़ार किया है. क्या आपको कभी ऐसा लगा नहीं, ये मुझसे नहीं होगा.
मुश्किल भरे दिन ज़रूर रहे हैं, लेकिन मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि ये मुझसे नहीं होगा. मैं हर दिन सोचता था कि आज का दिन नया है, आज नई शुरुआत होगी. आज जब मैं अपने सफ़र को देखता हूँ तो सोचता हूँ कि ये कैसे हो गया. ऐसे बहुत सारे ऑडिशन रहे हैं जिन्हें मैं पास नहीं कर पाया. लेकिन कहीं न कहीं एक विश्वास, भरोसा था कि एक न एक दिन ये होगा.
आज आप इस मुकाम पर है जहाँ आप सफलता, लोकप्रियता और स्टारडम तीनों को महसूस कर रहे हैं, फिर भी आप में कुछ ऐसा है जो बहुत असली और जड़ से जुड़ा हुआ लगता है. आखिर वह चीज़ क्या है जो आपको इतना ज़मीन से जोड़े हुए रखती है?
मुझे लगता है कि इसका पूरा श्रेय मेरे माता-पिता को जाना चाहिए, क्योंकि जो मैं आज जो हूँ और जैसा हूँ, यह सब कुछ सालों तक मेरे माता-पिता द्वारा मुझे सिखाया गया है, यह मेरी परवरिश का हिस्सा है. इसके श्रेय के वह सच में हकदार हैं.
Vicky Kaushal आप अपनी चुनौतियों को कैसे समझते हैं और इससे कैसे खुद को निकालते है?
जब आप ऑडिशन देने जाते हैं और दरवाजा खटखाते है तो आपको नहीं पता कि अन्दर किस चीज़ की शूटिंग की जा रही है, आपको नहीं पता कि अन्दर कोई साबुन का ऐड किया जा रहा है ब्रश का, और फिर जब हम उनसे पूछते है कि ‘क्या मैं इस ऑडिशन के लिए फिट हूँ’ फिर वह आपको ऊपर से नीचे देखते है और फिर कहते है ‘ok’ . इसके बाद वह आपको एक परचा पकड़ाते है और आप देखते है कि उसमें कई सारे नाम पहले से लिखे हुए है. इतना ही नहीं आपके बाद भी कई और नाम लिखे जाने है. इसके बाद जब आप अन्दर जाते है तो आप देखते है कि आपसे बहुत अच्छे दिखने वाले लोग वहां पहले से मौजूद है, उस वक़्त आप insecurity लिए हुए होते हैं. फिर जब ऑडिशन की बारी आती है तो आपको रिटेक करने का मौका नहीं मिलता. आपके 1-2 शॉट के बाद आपके मौके खत्म हो जाते हैं. पहले जब इतना हो जाता था उसके बाद हम ऑडिशन पास हुआ या नहीं, यह सोचते थे.
आपको सीरियस फिल्म ‘मसाम’, एक्शन फिल्म उरी और आत्मकथा सैम बहादुर में देखा गया है. लेकिन आप अपने आपको कॉमेडी एक्टर के तौर पर कैसे देखते है?
मुझे लगता है कि कॉमेडी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है. कॉमेडी को सिंपल रखना होता है, तभी ह्यूमर निकलकर आता है, लेकिन दिक्कत यह है कि एक एक्टर का दिमाग कभी शांत नहीं होता. वह हमेशा सोचता रहता है कि वह कैसे अपने किरदार और बेहतर बना सकता है.
आपने संघर्ष भरी शुरुआत देखी है? आपने अपने पिता (एक्शन डायरेक्टर श्याम कौशल) को संघर्ष करते देखा है, तो क्या इन अनुभवों और यादों ने यह तय किया कि आप कभी भी स्टारडम या सफलता को हल्के में न लें?
हाँ बिल्कुल, यह वहीं से आया है. जब आप एक चॉल में पैदा होते हैं, जो एक 10x10 कमरे जैसा होता है, और आपके पिता एक स्टंटमैन थे जो अपनी रोज़ की कमाई के लिए खुद को आग लगा रहे थे, बिल्डिंग की 10वीं मंजिल से कूद रहे थे, तो आप चीज़ों को एक अलग नजरिए से देखते हैं. मेरे माता-पिता कभी भी अपने संघर्षों को छिपाने से नहीं कतराए, ताकि हम समझ सकें कि क्या अहम है और यह कितना मुश्किल है, तो मैं कह सकता हूं कि कहीं न कहीं यह सब कुछ वहीं से शुरू हुआ है. इसके अलावा, इस प्रोफेशन में, सब कुछ इतना नाज़ुक होता है – आपका स्टारडम, प्यार, पहचान – यह सब इतना नाज़ुक है कि आप कभी भी इसे हल्के में नहीं ले सकते. यह बस एक फिल्म के बाद दूसरी फिल्म होती है, और फिर आप आगे बढ़ते जाते हैं.
(Katrina-Vicky) कैटरीना और आपकी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत दिलचस्प यात्रा रही है, और वह लंबे समय से एक बड़ी स्टार रही हैं. क्या आप दोनों एक-दूसरे के अनुभवों से सीखते हैं और आप एक-दूसरे से कितना रचनात्मक रूप से प्रेरित होते हैं?
कैटरीना का सफ़र मेरे सफ़र से बहुत लंबा और शानदार रहा है. वह बहुत बड़ी स्टारडम में हैं. मुझे उनके सफ़र से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, क्योंकि उन्होंने अपने सफ़र में बहुत मेहनत और संघर्ष किया है. जब वह अपने लक्ष्य पर ध्यान देती हैं, तो कोई भी उसे उसका फोकस नहीं हटा सकता, और यही वजह है कि वह जहां हैं, वहां हैं. इसके अलावा, जब भी मैं उनसे किसी स्क्रिप्ट या अपने रचनात्मक मामलों के बारे में बात करता हूँ, तो उनका नजरिया बहुत ही objective होता है, और जब आप कपल होते हैं तो यह आसान नहीं होता. उनका हमेशा एक शानदार नजरिया होता है, जो मुझे हेल्प करता है.
आपके डांस को बहुत पसंद किया जाता है, कैटरीना आपको डांस में कितने नंबर देती है?
वो मुझे नंबर तो नहीं देती है लेकिन हां उसे मेरा डांस पसंद है.
क्या कैटरीना आपकी सबसे ईमानदार आलोचक हैं?
हां, वह एक ईमानदार आलोचक हैं और कभी-कभी वह बहुत ज्यादा ईमानदार हो जाती हैं, तो मैं उनसे कहता हूँ, ‘थोड़ा- सा शुगर-कोट कर दो’.
आपको बता दें कि विक्की ने अपने करियर में कई बेहतरीन फ़िल्में की है, जिसमें मसान, उरी, संजू, राज़ी, सैम बहादुर, लव शव द चिकन खुराना, bad न्यूज़, गोविंदा नाम मेरा, लस्ट स्टोरीज, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर मनमर्जियां, जरा हटके जरा बचके, भूत, बॉम्बे वेलवेट, सरदार उधम, लव एंड वॉर, डंकी, द ग्रेट इंडियन फैमिली, Love Per Square Foot, Psycho Raman 2.0, जुबान और लघु फिल्म गीक आउट शामिल है. विक्की कौशल ने साल 2018 में 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार हासिल किया था. इसके अलावा उन्हें तीन फिल्मफेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है.
आपको बता दें कि 14 फरवरी को उनकी बहुचर्चित फिल्म ‘छावा’ सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, इसके निर्देशक लक्ष्मण उतेकर है.
by PRIYANKA YADAV