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फिल्म "एनिमल" में जोया का किरदार निभाकर स्टारडम पा जाने वाली अभिनेत्री तृप्ति डिमरी मूलतः गढ़वाल,उत्तराखंड की रहने वाली हैं. एक गैर फिल्मी परिवार से संबंध होते हुए भी उन्होने महज सात वर्ष के अंदर बॉलीवुड में अपनी एक अलग जगह बना ली है. इन दिनों वह कई फिल्में कर रही हैं. जिनमें से धर्मा प्रोडक्षंस' की 19 जुलाई को प्रदर्शित होने वाली फिल्म "बैड न्यूज" का लेकर वह काफी उत्साहित हैं. इस फिल्म में उनके साथ विक्की कौशल और एमी विर्क भी हैं.
तृप्ति डिमरी के साथ हुई बातचीत के अंष..
तृप्ति जी, अपने बारे में कुछ बताएं?
मैं गढ़वाल की रहने वाली हॅूं. मुझे बचपन से ही अभिनय करने व टेनिस खेलने का शौक रहा है. बॉलीवुड में मेरी शुरुआत 2017 में प्रदर्शित श्रेयस तलपडे निर्देशित कॉमेडी फिल्म 'पोस्टर बॉयज़' से हुई थी. फिर मैने 2018 में रोमांटिक ड्रामा फिल्म 'लैला मजनूं 'में मुख्य भूमिका निभायी. फिर अन्विता दत्त निर्देशित रोमांचक फिल्म 'बुलबुल' की. इसमें मेरे साथ राहुल बोस, पाओली डैम, अविनाश तिवारी और परमब्रत चटर्जी भी थे. इसके बाद मैने 'काला' की. मार्च 2022 में मुझे 'धर्मा प्रोडक्षन' की आनंद तिवारी निर्देशित फिल्म "बैड न्यूज" मिली. यह फिल्म अब 19 जुलाई को प्रदर्शित होगी. इससे पहले लोग मुझे संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म 'एनिमल' में रणबीर कपूर के साथ जोया के किरदार में देख चुके हैं. फिलहाल मैं फिल्म 'बैड न्यूज' को लेकर अति उत्साहित हॅूं.
'एनिमल' से पहले आपने 'बुलबुल' व 'कला' जैसी फिल्में की. इनकी विषय वस्तु और इन फिल्मों में आपके किरदार काफी अच्छे थे. लोगों ने इन फिल्मों में भी आपको पसंद किया था. मगर इन फिल्मों से आपके करियर को वह बूस्टअप नही मिला, जो कि फिल्म "एनिमल"से मिला. इसकी क्या वजह आपकी समझ में आयी?
मुझे जो वजह समझ में आयी वह यह कि 'बुलबुल' हो या 'कला' हो यह दोनों फिल्में एक खास वर्ग के दर्शकों के लिए थीं. यह दोनों फिल्में ओटीटी पर आयी थीं. इन फिल्मों को भारत में काफी कम लोगो ने देखा. जबकि 'एनिमल' सीधे सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई. सिनेमाघर के दर्शक अलग और काफी लोगों ने देखा. सिनेमाघर की बात ही कुछ और है. मेरी फिल्म "लैला मजनॅूं" सिनेमाघरो में प्रदर्शित हुई थी. उसके पूरे छह वर्ष बाद 'एनिमल' सिनेमाघर में पहुंची, तो इसका भी असर पड़ा. इतना ही नही इस फिल्म की विषय वस्तु और सह कलाकारों ने भी दर्शकों को सिनेमाघर के अंदर खींचा. इस वजह से 'एनिमल' से मेरे करियर को बूस्ट अप मिलना स्वाभाविक ही था. अगर 'एनिमल' से पहले हमारी फिल्म 'बैड न्यूज' सिनेमाघर पहुंच जाती, जिसे हमने पहले ही शूट किया था, तो बात कुछ और हो जाती. पर कुछ वजहों से हम 'बैड न्यूज' को पहले सिनेमाघरों में नही पहुंचा पाए. अब यह फिल्म 19 जूलाई को सिनेमाघरों में पहुंच रही है. यदि 'एनिमल' से पहले 'बैड न्यूज' सिनेमाघर में आ जाती, तो इस फिल्म से भी मुझे जबरदस्त लोकप्रियता मिलती. सिनेमाघर में हम विशाल दर्शक वर्ग तक पहुंच पाते हैं, इसीलिए हर कलाकार चाहता है कि हर शुक्रवार को उसकी फिल्म सिनेमाघर पहुंचे और दर्शक सिनेमाघर जाकर हमारी फिल्म देखे. वैसे भी बड़े परदे का कमाल अलग ही होता है. यॅूं तो मैने सभी अच्छी फिल्में ही की हैं. हर कलाकार अपने आपको बड़े परदे पर देखना पसंद करता है और षायद उसका असर दर्शकों पर भी ज्यादा अच्छा होता है.
जब आपको फिल्म "बैड न्यूज" का आफर मिला था, तब स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद इस फिल्म की किस बात ने आपको इंस्पायर किया कि इस फिल्म से जुड़ना चाहिए?
सबसे पहले फिल्म के निर्देशक आनंद तिवारी ने मुझे इस फिल्म की कहानी व मेरे किरदार को लेकर नरेशन दिया था. नरेशन सुनकर मुझे यह फिल्म काफी फनी लगी थी. निर्देशक आनंद तिवारी की कॉमिक टाइमिंग और उनका सेंस आफ ह्यूमर बहुत ही अच्छा है. यह बहुत ही अलग तरह का विषय है. अब तक मैंने इस तरह का सब्जेक्ट सुना ही नहीं था. इसलिए मैने इस फिल्म सलोनी का किरदार निभाने का निर्णय लिया. उसके बाद मैने पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी और अपनी तरफ से थोड़ी सी रिसर्च की, तो पता चला कि इस तरह के सत्रह केस इस संसार में हो चुके हैं. तो कुल मिलाकर यह फिल्म सत्य घटनाक्रमों पर आधारित है. लेकिन निर्देशक ने इस विषय को कॉमेडी स्पेस में डालने का प्रयास किया है. इस फिल्म को करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इसमे मुझे कॉमेडी करने का अवसर मिला है, जबकि इससे पहले मैने कभी कॉमेडी की नही थी. मुझे इस फिल्म का आफर 'काला' के बाद मिला था. .आप भी जानते हैं कि 'काला' तक मैने हर फिल्म में काफी गंभीर किस्म के ही किरदार निभाए हैं. एक कलाकार के तौर पर मैं बार बार खुद को चैलेंज करते रहना चाहती हॅूं. जब मैं किसी चैलेंज को स्वीकार करती हॅूं, तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
लगातार कई गंभीर किरदार निभाते हुए एक कम्फर्ट जोन बन गया था. ऐसे में मैं फिल्म 'बैड न्यूज' कर अपने आपको उस कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना चाहती थी. 'बैड न्यूज' में सलोनी का किरदार निभाना स्वीकार करते समय मुझे सबसे पहले डर लगा कि मैं इसे परदे पर सही ढंग से निभा पाउंगी या नहीं. जब मेरे अंदर किसी किरदार या फिल्म को करने के सवाल पर डर लगता है तो मैं उसे जरुर करना पसंद करती हॅूं. क्योंकि मेरा मानना है कि जिसे करने में डर लगे, उसे करने में बहुत कुछ सीखने को मिलता है और कलाकार के तौर पर ग्रोथ भी होती है. कॉमेडी बहुत ही कठिन जॉनर है. कम से कम मुझे तो कॉमेडी करना बहुत ही कठिन लगता है.
कॉमेडी फिल्म करते हुए हम किसी एक सेट पैटर्न पर काम नही कर सकते. हमें हर सीन में खेलना पड़ता है. हमें अपने संवाद की लाइनों के साथ,अपने सह कलाकारों के साथ खेलना पड़ता है. सह कलाकारों के साथ कॉमिक की जुगलबंदी बहुत जरुरी है. इसी के चलते इस फिल्म के सेट पर धीरे धीरे हमें हर दिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता था.
आपने अभी बताया कि यह 17 लोगों की वास्तविक कहानी से पे्ररित फिल्म है. तो क्या इनमें से किसी से आपकी मुलाकात हुई?
जी नही.. क्योंकि यह सभी भारत से बाहर की महिलाएं हैं. इसलिए इनमें से किसी से भी बातचीत या मुलाकात नही हो पायी. मगर हमने इनके बारे में इंटरनेट पर काफी कुछ पढ़ा. वास्तव में एक अखबार में खबर छपी थी कि चीन में ऐसा हुआ है, जिसे पढ़ने के बाद निर्देशक आनंद तिवारी ने इस पर काम किया. धर्मा प्रोडक्षन से जुड़े लोगों को भी लगा कि इस पर लाइट हार्टेड कॉमेडी फिल्म बन सकती है. तो निर्देशक ने भी कहानी पढ़ने के बाद उसे कॉमेडी अंदाज में फिल्म मे पेष किया है.
आपने खुद इंटरनेट पर कितना पढ़ा अथवा आपने स्क्रिप्ट को ही किरदार की तैयारी के लिए प्रधानता दी?
हमें इंटरनेट पर ज्यादा पढ़ने की जरुरत नही पड़ी. हमने स्क्रिप्ट को ही ज्यादा प्रधानता दी. हमने वर्कशॉप भी किए.स्क्रिप्ट में जो द्रश्य हैं,उन पर हमने काफी काम किया. यह फिल्म तीन किरदारों की यात्रा है. शुरुआत कहीं से होती है. पर जब फिल्म खत्म होती है, तो तीनो किरदारों को अपनी अपनी जिंदगी से काफी कुछ सीखने को मिलता है. तीनों इस बीच अपनी कई गलतियों को स्वीकार करते हैं और उन्हे सुधारते हैं. इस यात्रा में तीनों किरदार जीवन में ग्रो भी करते हैं. शुरुआत में तो तीनो ही किरदार थोड़ा नादान होते हैं और गलतियां करते है, पर अंत में उन्ही गलतियों से सीखते हैं. फिल्म में तीनों किरदारों का एक ग्राफ है. तो हम तीनों कलाकारों ने स्ट्क्टिली स्क्रिप्ट के दायरे में रह कर ही तैयारी की है.
आप सलोनी को कैसे परिभाषित करेगी?
सलोनी मध्यम वर्गीय परिवार की करियर ओरिएंटेड लड़की है. वह एक ऐसी लड़की है, जो कि बड़े सपने देखने की हिम्मत रखती है. वह अपने सपनों को पाने के लिए कड़ी मेहनत करती है. सलोनी को बचपन से ही बड़े सपने देखने की आदत रही है. आउट स्पोकेन है. मेहनती है. वह अपनी तरफ से सब कुछ सही करने का प्रयास करती है. खुद को खुश रखने के साथ ही परिवार को भी खुश रखने का प्रयास करती है. वह कुछ भी करके अपना नाम कमाना चाहती है. उसे खाना बनाने का बेहद शौक है. फिल्म में वह बहुत ही मशहूर 'शेफ' है. उसकी सोच यही है कि 'शेफ' के रूप में उसका काम चल जाए. वह अपने लिए और अपने परिवार के लिए नाम कमाए.
विक्की कौशल और अमी विर्क के साथ काम करने के क्या अनुभव रहे?
बहुत अच्छे अनुभव रहे. दोनो बहुत ही ज्यादा सहयोग करने वाले इंसान हैं. दोनों बहुत ही ज्यादा प्रतिभाषाली कलाकार हैं. मैं तो 'मसान' देखकर ही विक्की कौशल की फैन बन गयी थी. उसके बाद मैने उनका सारा काम देखा. उनका काम मुझे बहुत पसंद आता था. मैं हर बार सोचती थी कि मुझे इनके साथ काम करना है. जब हम अच्छे व प्रतिभाषाली कलाकार के साथ काम करते हैं, तो हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है. जब मुझे पता चला कि इसमें विक्की कौशल भी हैं, तो मुझे खुशी हुई थी कि अब काफी कुछ सीखने को मिलेगा. यही एमी विर्क के साथ था. एमी विर्क भी टैलेंटेड हैं. मैने इन दोनो के साथ काम करते हुए काफी कुछ सीखा और एन्जॉय भी किया. दोनों की कॉमिक टाइमिंग कमाल की है. यह दोनों स्क्रिप्ट को पढ़ व समझकर फिर जो कुछ कागज पर लिखा हुआ है, उसे अपने अभिनय से बेहतर बनाते हैं. मैं तो कागज पर ही अटक जाती थी. मेरा मानना है कि टैलेंट से कहीं ज्यादा अच्छा इंसान होना जरुरी है और विक्की कौशल तथा एमी विर्क अच्छे इंसान भी हैं. ऐसे लोगों के साथ काम करना खुद भी सहज रहते हैं. हमारे निर्देशक आनंद तिवारी भी अच्छे इंसान हैं. सच तो यह है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान हम एक परिवार की तरह हो गए थे.
आपकी और रणबीर की 'एनिमल 2' कब आएगी?
इसकी सही जानकारी मेरे पास नही है. इसका सच तो संदीप रेड्डी वांगा सर ही बता सकते है. आपको उनसे ही यह सवाल करना चाहिए. 'एनिमल पार्ट वन' की रिलीज के बाद तो सभी अपनी अपनी दूसरी फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हो गए हैं. जब संदीप जी अनाउंस करना चाहेंगें,तब वह अनाउंस करेंगे ही. वही निर्देशक हैं. फिल्म की स्थिति पर सही बात करने का हक भी उन्हीं का है.
टेनिस खेलना जारी है या बंद?
नहीं.. टेनिस खेलना जारी है. यह तो मेरा शौक है. मुझे स्कूल के दिनों से ही टेनिस खेलना अच्छा लगता रहा है. मैं इसके फायदे या नुकसान की बात कभी नहीं सोचती. टेनिस खेलकर मुझे खुशी मिलती है.
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