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आदि शंकर ने मात्र 32 वर्ष के छोटे से जीवनकाल में राष्ट्र और समाज के लिए इतने कार्य किये कि यदि उनके जीवन और ऐतिहासिक कार्यों को कहानी के रूप में प्रस्तुत करना हो तो एक नहीं कई फिल्में खर्च हो जाएंगी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए लेखक-निर्देशक ओंकारनाथ मिश्रा ने अपनी वेब सीरीज के पहले सीजन में शंकराचार्य के प्रारंभिक 8 वर्षों की गाथा एक हिस्टॉरिकल ड्रामा के रूप में प्रदर्शित करने का शानदार प्रयास किया है. "आदि शंकराचार्य" सीरीज के पहले सीजन में कुल 10 एपिसोड हैं जिन्हे अलग अलग नाम दिए गए हैं जो उनमें निहित कहानी के अनुसार हैं. जैसे आगमन, विलक्षण बालक और विदेशी षड्यंत्र, प्रतिकार और पूर्वाभास, गुरुकुल में प्रवेश, कलरीपट्टू और चाइनीज युद्धकला, पहला चमत्कार, अद्भुत शिष्य, दूसरा चमत्कार, सन्यास के लिए आग्रह, और सन्यास.
पहले एपिसोड में आदि शंकर के जन्म और समसामयिक ऐतिहासिक घटनाओं के साथ-साथ उनके जन्म से 1000 वर्ष पहले तक की ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत किया गया है. कहानी की शुरुआत होती है यह बताते हुए कि "सृष्टि के विकास के साथ साथ वैदिक संस्कृति का विकास हुआ है, इसलिए इस संस्कृति का अपना धर्म- सनातन धर्म मानवता का धर्म है जो स्वभाव से स्वतः ही विश्व के प्रत्येक प्राणी का है यह धर्म सबकी रक्षा और कल्याण की बात करता है. परंतु कलयुग के प्रारंभ के साथ धर्म तथा समाज में अनेकों भ्रष्ट प्रथाओं की शुरुआत हुई, मद्य मांस के साथ पूजा में पशुबलि और नर बलि दी जाने लगी. शक्ति का रूप मानी जाने वाली देवी की भांति पूजित नारी उपभोक्ता वस्तु हो गई और देवताओं के नाम पर उसे मंदिरों में अर्पण किया जाने लगा. सनातन के अंदर ही अनेकों वाम मार्गी संप्रदाय बन गए जो वेदों का भी अनर्थ करने लगे और आम जनता को भ्रमित करने लगे कि वेदों में मांस खाने और उससे यज्ञ करने को कहा गया है. इस प्रकार चारों ओर धर्म के नाम पर छल कपट झूठ व्यभिचार अनाचार का साम्राज्य हो गया परिणाम स्वरूप जैन और बौद्ध मत का उदय हुआ और नए देवताओं, संप्रदायों और धर्म परिवर्तन के नए युग की शुरुआत हुई."
इसी के साथ पहले सीन में सम्राट अशोक को कलिंग के युद्ध में एक ही वार में दुश्मन का सर धड़ से अलग करते हुए दिखाया गया है जिसके बाद सम्राट ने बौद्ध धर्म अपना लिया और फिर कहानी सिलसिलेवार ढंग से ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म के प्रादुर्भाव और प्रचार प्रसार और धर्म परिवर्तन की घटनाओं को दिखाते हुए आगे बढ़ती है और पहुँचती है 712 ई० में निडर, बलशाली और राष्ट्रपरायण राजा दाहिर और मोहम्मद बिन कासिम के टकराव के सीन में. और फिर भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित सिंध प्रदेश से होते हुए सुदूर दक्षिण में केरल में स्थित नंबूदरी ब्राह्मण शिवगुरु और अर्यम्बा के घर में जहां सन् 788 ई० में जन्म जन्म होता है प्रतापी बालक शंकर का. आगे के एपिसोड में कहानी शंकर को केंद्र में रखते हुए एपिसोड्स के नाम के अनुसार और समसामयिक घटनाओं से रूबरू कराते हुए अत्यंत मनोरंजक और फुल ड्रमैटिक अंदाज में आगे बढ़ती है. पहले सीजन की समाप्ति श्री शंकर के 8 वर्ष की अवस्था में अपनी माता से आज्ञा लेकर गृह त्याग और अपने गुरु श्री गोविंदपाद की खोज में ओंकारेश्वर के लिए प्रस्थान करने से होती है. इसके बाद की कहानी अगले सीजन में देखने को मिलेगी.
आज से 1200 वर्ष पहले 8वीं सदी के भारत की छवि पेश करने के लिए गहन अध्ययन और डीप रिसर्च की आवश्यकता होती है और लेखक-निर्देशक ओंकारनाथ मिश्रा इस काम में खरे उतरे हैं. उन्होंने उस वक्त के रहन-सहन, भाषा शैली, परस्पर व्यवहार, आचार-विचार, सामाजिक ताने-बाने वस्त्र और पहनावे, प्राकृतिक सुंदरता, रंगों के चुनाव आदि हर छोटी-बड़ी बात का अच्छे से ध्यान रखा है और यही कारण है कि प्रथमदृष्टया कोई लूप होल नजर नहीं आता. सीरीज देखते हुए लगता है ओंकारनाथ मिश्रा ने टाइम मशीन का प्रयोग कर के आपको उसी युग में लाकर खड़ा कर दिया है. साथ ही निर्देशक ने अपने रिसर्च का भरपूर फायदा उठाते हुए सीरीज को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से दर्शाया है. सीरीज के निर्माता नुकुल धवन और ओमकार नाथ मिश्र हैं. अर्णव खानिजों इस सीजन के मुख्य आकर्षण हैं. वह 8 वर्षीय बालक आदि शंकर के किरदार की सभी योग्यताएं पूरी करते हुए दिख रहे है. कलाकार: अर्नव खानिजो, संदीप मोहन, गगन मलिक, सुमन गुप्ता, योगेश महाजन, राजीव रंजन बैनर: द आर्ट ऑफ लिविंग, श्री श्री पब्लिकेशन ट्रस्ट और ओएनएम मल्टीमीडिया. आर्ट ऑफ लिविंग के ओटीटी एप पर दर्शकों के लिए फ्री मे उपलब्ध वेब सीरीज आदि शंकराचार्य 1 नवंबर को कुल 8 भाषाओं (हिन्दी, इंग्लिश, बांग्ला, कन्नड, मराठी, तमिल, तेलुगु और मलयालम) में रिलीज की गयी है.
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