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Kala Ghoda Art Festival: भारतीय कला की आत्मा कहे जाने वाला प्रतिष्ठित आर्टिस्ट्स सेंटर अब अपने मूल स्थान — आर्मी एंड नेवी बिल्डिंग, काला घोड़ा (Kala Ghoda Art Festival), मुंबई — में भव्य रूप से पुनः आरंभ हो चुका है. 1950 में अडोर हाउस में स्थापित यह कला केंद्र दशकों तक उभरते और प्रतिष्ठित कलाकारों का आत्मिक घर रहा है.
इस ऐतिहासिक वापसी का शुभारंभ हुआ वरिष्ठ कलाकार नागनाथ माणकेश्वर (Nagnath Mankeshwar) की एकल प्रदर्शनी "साइलेंट वॉयेजेस – ब्रशस्ट्रोक्स बाय द सी" (Silent Voyages: Brushstrokes by the Sea) के साथ. उनकी शांत और सौम्य जलरचनाएं दर्शकों को आत्मा की गहराइयों तक ले गईं — जहां हर लहर एक स्मृति है, और हर नाव एक मौन कविता.
इस विशेष अवसर पर भारतीय कला जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति ने इस शाम को ऐतिहासिक बना दिया. इनमें शामिल थे: Brinda Miller, Sarayu Doshi, Tarana Khubchandani, Saroj Satija, Varsha Karale, Prof. Prakash Bhise, Seema Mankeshwar, Saubhagya Kulkarni, Divya Sood, Sunil Pujari, और प्रख्यात सारंगी वादक उस्ताद Siraj Khan.
कई वक्ताओं ने इसे केवल एक पुनः उद्घाटन नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सांस्कृतिक पुनर्जन्म बताया — जहां दीवारों में आज भी वे तमाम भावनाएं, संघर्ष और प्रेरणाएं बसी हुई हैं, जिन्होंने भारत के समकालीन कला इतिहास को आकार दिया. नागनाथ माणकेश्वर की यह प्रदर्शनी आने वाले कुछ सप्ताहों तक जारी रहेगी, और यह सभी कला प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी.
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