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सिनेमा इतिहास में पहलीबार अंडरवर्ल्ड के रिश्तों की कहानी में आत्माओं का डोज
सिनेमा प्रयोग के दौर में गुजर रहा है. 30 मई को देश भर में रिलीज हुई हॉलमार्क स्टूडियोज इंडिया और सनम प्रोडक्शंस इंडिया की फिल्म 'बॉम्बे' एक ऐसी ही फिल्म है जो दर्शकों को तब हैरान कर देती है जब बॉम्बे दंगो की पृष्ठभूमि में बनी अंडरवर्ल्ड के पारिवारिक रिश्तों की कनफ्लिक्ट में मृतक आत्माओं के क्रोधित चेहरे बदला लेते दिखाई पड़ने लगते हैं. फिल्म के लेखक निर्देशक संजय निरंजन और निर्मात्री फिरदौस शेख ने फिल्म रिलीज होने तक इस सस्पेंस को छुपाए रखा था.
'बॉम्बे' (आजका मुम्बई- जबकी यह कहानी है शहर बम्बई या BOMBAY ही कहा जाता था) फिल्म की शुरुआत में पर्दे पर कैप्शन लिखकर आता है: 'Bombay 1993...' जगह जगह बम ब्लास्ट के धमाकों के बीच शहर जलता हुआ दिखाई देता है जैसे उस समय हुआ था जब सचमुच शहर जला था. उस समय सारे अंडरवर्ल्ड सरगना और आतंकवादी शहर छोड़कर दुबई या दूसरे देशों में जा छुपे थे. सिर्फ एक खालिद रह गया था जिसकी सर परस्ती में उभरता युवा डॉन उल्हास म्हात्रे इन्टरनेशनल डॉन बनने के सपने संजो रहाथा. फिर उल्हास म्हात्रे (गेवी चहल) का कुनबा बढ़ता गया. चार और क्रिमिनल दहसतगर्द नाना( दानिश भट्ट), तात्या, मिक्की, भूतेश्वर नाथ आदि उससे जुड़ गए और वे दुबई के भाई चंगेज खान (राज जुत्शी) से कंट्रोल किए जाने लगे. उल्हास म्हात्रे रंगीन तबियत का था जिसके जीवन मे कई खूबसूरत लड़कियां थीं जिनमे एक डीएसपी रैंक की पोलिस ऑफिसर उसकी समर्पित महबूबा थी.अपनी पहली प्रेमिका (दीप शिखा) के साथ उसकी जवान लड़की की आबरू पर भी वह आशक्त था.... फिर इन क्रूर बहसियों के खात्मे का दौर शुरू करती हैं परा शक्तियां ! रोचक बात यही है कि किसी डॉन की कहानी में, भारतीय सिनेमा में पहली बार आत्माओं का प्रतिशोध शामिल हुए है.
फिल्म के कलाकारों से निर्देशक संजय निरंजन ने बड़ी कुशलता से काम लिया है. अपने रोल में सभी करेक्टर में स्टार लगते हैं. गेवी चहल, दानिश भट्ट, दीप शिखा नागपाल, वंदना लालवानी, गणेश पई, आशीष वारंग, परी मिर्जा, अक्षिता अग्निहोत्री, दीपक भाटिया, राज जुत्शी सभी 'बॉम्बे' ब्लास्ट के बाद के रियल करेक्टर लगते हैं. शायद यही निर्देशक की जीत है. फिल्म के एक्शन डायरेक्टर मोसेस फर्नांडिस का एक्शन कमाल का है और एस पप्पू फिल्म के सिनेमेटोग्राफर हैं. गीत-संगीत काम चलाऊं है तो फिल्म के संवाद चुटीले हैं. कोमल वर्मा की एडिटिंग काबिले तारीफ है.
निर्मात्री फिरदौस शेख ने 'बॉम्बे' को चार भाषाओं (हिंदी, मराठी, कन्नड और तेलुगु) में बनाया है. इस फिल्म का कन्नड वर्सन रिलीज होकर पहले ही हिट हो चुका है. हिंदी और मराठी भाषा मे यह फिल्म एक साथ रिलीज की गई है. सेंसर बोर्ड ने "बॉम्बे" को 'A' सर्टिफिकेट दिया है.
हमारी रेटिंग है: 3.30/ 5
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