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एंटरटेनमेंट:बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें टाइगर पटौदी के नाम से भी जाना जाता है, की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, उनकी शादी उस दौर की सबसे चर्चित शादियों में से एक थी, क्योंकि इसमें न केवल दो अलग-अलग धर्मों के बल्कि दो अलग-अलग दुनिया के लोग एक-दूसरे के साथ जीवनभर के बंधन में बंधे थे, लेकिन इस रिश्ते को स्वीकार करना और निभाना दोनों के लिए आसान नहीं था खासकर, जब बात धर्म की आई, तो शर्मिला टैगोर के सामने कई सवाल उठे
शादी को लेकर लोगों के मन में थीं कई शंकाएं
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शर्मिला टैगोर बंगाली हिंदू परिवार से थीं, और मंसूर अली खान पटौदी एक मुस्लिम परिवार से, उनकी शादी को लेकर लोगों के मन में कई शंकाएं थीं, खासकर उनके धर्म को लेकर, जब शर्मिला टैगोर और टाइगर पटौदी ने शादी करने का फैसला किया, तो सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि क्या शर्मिला को अपना धर्म बदलना होगा? उस समय यह एक बहुत बड़ा मुद्दा था, क्योंकि धर्म और जाति के मामले में समाज बहुत संवेदनशील था,शर्मिला ने अपनी शादी से पहले एक इंटरव्यू में इस बारे में खुलकर बात की थी उन्होंने कहा था कि धर्म परिवर्तन एक बहुत गंभीर और निजी फैसला होता है और इसे लेकर लापरवाही नहीं बरती जा सकती उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि धर्म बदलने का निर्णय केवल दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए इसे तभी करना चाहिए जब आप पूरी तरह से उसके प्रति आस्था रखते हों और उस धर्म को पूरी निष्ठा से स्वीकार कर सकें
शादी के लिए धर्म नहीं बदलेंगी
![Sharmila Tagore Met Mansoor Ali Khan Pataudi At The Age Of 20, Recalls Their Journey [Throwback]](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/mayapuri/media/post_attachments/db624c6b0713082d4c07a48ef2307ad20d3556e2cf1a4d4c3a02dddc845cf24a.jpg)
शर्मिला ने बताया था कि उन्होंने इस विषय पर काफी सोच-विचार किया और यह फैसला किया कि वह केवल शादी के लिए धर्म नहीं बदलेंगी उन्होंने कहा था, "आप इसके बारे में लापरवाह नहीं हो सकते यह एक ऐसा निर्णय है जो पूरी ज़िन्दगी पर प्रभाव डालता है, इसलिए इसे बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए"
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टाइगर पटौदी भी इस मामले में पूरी तरह से शर्मिला के समर्थन में थे उन्होंने कभी भी शर्मिला पर धर्म बदलने का दबाव नहीं डाला उनका मानना था कि दो लोगों का साथ रहना और एक-दूसरे का सम्मान करना ही सबसे महत्वपूर्ण है उनके लिए प्यार और आपसी समझ ही सबसे बड़ी चीज़ थी, न कि धर्म या समाज के बने-बनाए नियम,अंत में, शर्मिला टैगोर ने इस्लाम धर्म कबूल किया और उनका नाम आयशा सुल्ताना रखा गया हालांकि उन्होंने यह फैसला अपनी इच्छा से लिया और किसी दबाव में आकर नहीं इस निर्णय के बाद भी उन्होंने अपनी जड़ों से कभी समझौता नहीं किया वह अपनी परंपराओं और संस्कृति के साथ-साथ अपने नए जीवन को भी पूरी तरह से जीती रहीं,
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